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नियमन - निरंतर
निर्वाह किया जाय, प्रतिज्ञा; कार्यविशेषके संपादन या संचालन के लिए निश्चित सिद्धांत या आधार, विधि, विधान; योगके आठ अंगोंमें से एक जिसके अंतर्गत शौच, संतोष, तप आदि हैं; कवियोंकी एक वर्णन-पद्धति; अर्थालंकारका एक भेद; वह विधि जो अप्राप्त अंशका पूरण करे (मीमांसा); शर्त परमेश्वर ; परिभाषा, लक्षण । - निष्ठा - स्त्री० नियमों का कड़ाईके साथ पालन । पत्रपु० प्रतिज्ञापत्र, शर्तनामा ।-बद्ध - वि० नियमोंसे जकड़ा हुआ; नियमोंके अनुसार चलने या होनेवाला; नियमों के अनुकूल ।
नियमन - पु० [सं०] नियममें बाँधनेका कार्य, अनुशासन या वशमें रखना, नियंत्रण, शासन; निग्रह, दमन । नियमवती - स्त्री० [सं०] वह स्त्री जिसका मासिक स्राव नियमित रूपसे होता हो ।
नियमापत्ति - स्त्री० [सं०] (पॉइंट ऑव ऑर्डर) किसी सभा-समिति में कार्यप्रणालीकी मानी हुई परंपरा या स्वीकृत नियमोंके विरुद्ध कोई बात होनेपर उठायी गयी या की गयी आपत्ति | नियमावली - स्त्री० [सं०] किसी संस्थाके संचालन, प्रवेश आदि-संबंधी नियमोंका संग्रह, सदस्यों या कार्यकर्ताओंके अनुशासन, पथ प्रदर्शन आदि संबंधी नियम | नियमित- वि० [सं०] बँधा हुआ, निश्चित; नियमोंसे जकड़ा हुआ, नियमबद्ध नियमके अनुसार, बाकायदा ! नियम्य - वि० [सं०] नियमन करने योग्य, शासन या निग्रह करने योग्य; नियमबद्ध होने योग्य । नियरा - अ० निकट, पास नियराई * -
- स्त्री० समीपता, निकटता ।
नियराना * - अ० क्रि० पास आना । स० क्रि० पास पहुँचना |
नियरे* - अ० दे० 'नियर' ।
नियाज़-पु० [फा०] इच्छा; आवश्यकता; प्रार्थना; भेंट, दर्शन । स्त्री० चढ़ावा; फातिहा; प्रसाद । -मंद- वि० कुछ चाहनेवाला; प्रार्थी; विनीत (वक्ता विनय प्रकाशनार्थ, विनयवश अपनेको कहता है) । मु० - हासिल करना - ( बड़ेसे) मिलना, दर्शन या परिचय होना । नियान * - पु० परिणाम । अ० दे० 'निदान' । नियामक - पु० [सं०] व्यवस्था करनेवाला, विधायक; नियमन करनेवाला, नियंता, अनुशासक; दूर करनेवाला, नाशक; सारथि; माँझी, मल्लाह । वि० नियंत्रण करनेवाला; दमन करनेवाला; शासन करनेवाला | नियामत - स्त्री० दे० 'नेमत' ।
नियार - पु० जौहरी या सुनारकी दुकानका कूड़ा-कतवार । नियारना* - स० क्रि० अलग करना, दूर करना । नियारा * - वि० पृथक्, जुदा ।
नियारिया - पु० एकमें मिली हुई वस्तुओंको छाँटनेवाला; नियारमेंसे माल निकालनेवाला; चतुर व्यक्ति । नियारे* - अ० दे० 'न्यारे' ।
नियाव* - पु० दे० 'न्याय' |
नियुक्त - वि० [सं०] लगाया हुआ; नियोजित; जिसे प्रेरणा दी गयी हो, प्रेरित; जो नियोग करे या जिससे नियोग
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कराया जाय; तैनात किया हुआ, जो किसी पदपर रखा गया हो, अधिष्ठापित, अधिकृत । नियुक्ति - स्त्री० [सं०] नियुक्त होने या करनेकी क्रिया, तैनाती, मुकर्ररी ।
नियोक्तव्य - वि० [सं०] नियोजित करने योग्य । नियोक्ता (क्तृ ) - पु० [सं०] लगाने या जोतनेवाला, नियोजित करनेवाला, नियुक्त करनेवाला; नियोग करनेवाला; (एम्प्लॉयर) वेतन, मजदूरी आदि देकर अपने कारखाने, मिल आदि में किसीको काम करनेके लिए नियुक्त करने -
वाला ।
नियोग- पु० [सं०] लगाना या जोतना; नियुक्त करनेकी क्रिया; प्रेरण; प्रवृत्त करना, प्रवर्त्तनः एक प्राचीन प्रथा जिसके अनुसार निःसंतान स्त्री पति के रोगी, नपुंसक या मृत होनेकी दशामें देवर या किसी अन्य गोत्रजके द्वारा संतान उत्पन्न करा सकती थी । नियोगी (गिन् ) - वि० [सं०] जो नियुक्त किया गया हो; जिसे कोई पद दिया गया हो; नियोग करनेवाला । नियोजक - पु० [सं०] नियोजित करनेवाला, प्रवृत्त करनेवाला; तैनात करनेवाला; (एम्प्लॉयर) दे० 'नियोक्ता' । नियोजन- पु० [सं०] नियुक्त करनेकी क्रिया, किसी कार्य में प्रवृत्त करना, प्रेरणा; तैनात या मुकर्रर करना; (एम्प्लॉ
मेंट) वेतन, मजदूरी देकर किसीको किसी कामपर नियुक्त करने या करानेका कार्य, सेवायोजना । - केंद्र- पु० (एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज) बेकार व्यक्तियोंके नाम पता आदिका ब्योरा पंजीबद्ध कर उन्हें उपयुक्त नौकरी, काम-धंधा आदि प्राप्त कराने में सहायता करनेवाला कार्यालय । नियोजनालय - पु० [सं०] (एम्प्लॉयमेंट ब्यूरो) लोगोंको काम या नौकरी दिलाने में सहायता करनेवाला दफ्तर, सेवा योजनालय कामदिलाऊ दफ्तर | नियोजित - वि० [सं०] नियुक्त किया हुआ; लगाया हुआ; प्रवृत्त किया हुआ, व्यापृत; तैनात; (एम्प्लॉयड) वेतन, मजदूरी आदिपर किसी काम में नियुक्त । पु० (एम्प्लॉई ) वह व्यक्ति जो वेतन या मजदूरीपर कारखाने आदिमें कामपर नियुक्त हो ।
निरंक धनादेश - पु० [सं०] (ब्लैंक चेक) वह धनादेश जिसपर रुपयेकी संख्या पहलेसे न लिखी गयी हो, वरन् पानेवाले द्वारा भरी जानेके लिए छोड़ दी गयी हो । निरंकार* - वि०, पु० दे० 'निराकार' ।
निरंकुश - वि० [सं०] जिसपर किसी तरहका दबाव न हो, मनमाना करनेवाला, स्वेच्छाचारी ।
निरंग - वि० बदरंग फीका; [सं०] बिना अंगका, अंगहीन; निरा, विशुद्ध । - रूपक - पु० रूपक अलंकारका एक भेद जहाँ उपमेय में उपमानका इस तरह आरोप हो कि उपमानके और संब अंगोंकी चर्चा न आये ।
निरंजन - वि० [सं०] जिसमें आँजन न हो, अंजनरहित; निर्दोष, मायासे रहित ।
निरंजनी ( निनू ) - वि० [सं०] निरंजनी संप्रदायका (साधु) । पु० साधुओं का एक संप्रदाय ।
निरंतर - वि० [सं०] जिसके बीच में कोई व्यवधान न हो, बिना अंतर या फासले का; देश-कालकी दृष्टिसे अविच्छिन्न,
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