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निराहार - वि० [सं०] जिसने कुछ खाया पिया न हो; _ जिसे करनेमें कुछ खाया न जाय (व्रत) । निरिंद्रिय - वि० [सं०] जो किसी इंद्रियसे रहित हो,
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को निराशामय दृष्टिकोण से देखनेका सिद्धांत । -वादी ( दिन ) - वि० जीवन के दुःखमय पहलू पर जोर देने वाला, संसारको निराशाकी दृष्टिसे देखनेवाला । निराश्रय - वि० [सं०] दे० 'निरवलंब' |
निरुत्सव - वि० [सं०] बिना उत्सवका । निरुत्साह - वि० [सं०] जिसमें उत्साह न हो, उत्साहरहित । पु० उत्साहका अभाव । निरुत्सुक - वि० [सं०] जो उत्सुक न हो; उत्सुकतारहित ।
निरास - पु० [सं०] दूर करना; प्रत्याख्यान, खंडन; वमन; निरुदक - वि० [सं०] जिसमें या जहाँ जल न हो । निरुद्देश्य - वि० [सं०] उद्देश्यरहित । अ० विना किसी उद्देश्यके ।
विरोध । * वि० दे० 'निराश' ।
निरासा * - स्त्री० दे० 'निराशा' |
निरासी* - वि० हताश, नाउम्मेद; विरक्त; उदास, कांति निरुद्ध-वि० [सं०] जिसका निरोध किया गया हो, विशेष हीन; जहाँ या जिसमें उदासी छायी हो । रूपसे रोका हुआ; विशेष रूपसे रुका हुआ, प्रतिबद्ध, रुँधा हुआ । पु० चित्तकी पाँच भूमियोंमें से एक (योग) । -कंठवि० जिसका गला रुँध गया हो । निरुद्यम - वि० [सं०] जो उद्यम न करे, चुपचाप बैठा रहनेवाला, आलसी, बेकार, निकम्मा । निरुद्योग - वि० [सं०] दे० 'निरुद्यम' | निरुद्वेग - वि० [सं०] उद्वेगरहित, शांत । निरुपजीव्याभूमि- स्त्री० [सं०] वह भूमि जिसकी उपज से गुजर न हो सके, अलाभकर जोत । निरुपद्रव - वि० [सं०] जिसमें या जहाँ कोई उत्पात न हो, शांतिमय, विघ्नरहित, सुरक्षित; जो किसी प्रकारकी बाधा या कष्ट न पहुँचाये; शुभ, मंगलकारी । निरुपधि - वि० [सं०] विशुद्ध, पवित्र सच्चा, निश्छल । निरुपम - वि० [सं०] बेजोड़, अतुलनीय | निरुपयोग - वि० [सं०] जिसका कोई उपयोग न हो, जो किसी काम न आये ।
जिसकी कोई इंद्रिय बेकाम हो; कमजोर । निरिच्छ - वि० [सं०] जिसे कोई चाह न हो, निरीह । निरिच्छन* - पु० दे० 'निरीक्षण' ।
निरिच्छना * - स० क्रि० निरीक्षण करना, ध्यानपूर्वक देखना | निरीक्षक - पु० [सं०] निरीक्षण करनेवाला; देखरेख करनेवाला (इंस्पेक्टर); परीक्षा भवनमें परीक्षार्थियोंकी निगरानी करनेवाला (इन् विजिलेटर) |
निरीक्षण - पु० [सं०] गौर से देखना; देखरेख करना; मुआइना करना, जाँच करना; चितवन । निरीक्षित - वि० [सं०] गौर से देखा हुआ; देखाभाला हुआ; जिसकी जाँच की गयी हो, मुआइना किया हुआ । निरीक्ष्यमाण- वि० [सं०] जिसका निरीक्षण किया जा रहा हो, जिसकी निगरानी की जा रही हो । निरीश्वरवाद - पु० [सं०] ईश्वरके अस्तित्वका खंडन करनेवाला सिद्धांत ।
निरीश्वरवादी ( दिन ) - ५०
माननेवाला ।
[सं०] निरीश्वरवादको
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निरुज * - वि० दे० 'नीरज' । निरुत्तर - वि० [सं०] जो कोई उत्तर न दे सके, जिसके पास कोई उत्तर न हो; जिसकी जबान बंद हो गयी हो ।
निराश्रय-निरोधन
निरुपयोगी (गिन् ) - वि० [सं०] बेकार, निरर्थक । निरुपाधि - वि० दे० 'निरुपधि' ।
निरुपाय - वि० [सं०] जो कोई उपाय करनेमें असमर्थ हो; जिसका कोई उपाय न हो, जिसका कोई प्रतिकार न किया जा सके ।
निरुवरना * - अ० क्रि० कठिनाई दूर होना, सुलझना । निस्वारना * - स० क्रि० दे० 'निरवारना' ।
निरूढ - वि० [सं०] अत्यंत रूढ, अधिक प्रसिद्ध; जिसका अधिक व्यवहार होता हो; अविवाहित । -लक्षणा - स्त्री० वह लक्षणा जिसमें शब्दका प्रसिद्ध अर्थ रूढ हो गया हो ।
निरीह - वि० [सं०] जिसे किसी वस्तुकी इच्छा न हो, इच्छा, तृष्णासे रहित, उदासीन, विरक्त'जो क्रियाशील न हो । निरीहता - स्त्री०, निरीहत्व - पु० [सं०] निरीह होनेका भाव, चेष्टाहीनता ।
निरुआ - पु० टालने या दूर करनेकी क्रिया; निस्तार; निरूप - वि० बिना रूपका, रूपरहित; बुरी शलका, कुरूप । त्राण, बचाव; निवटारा; सुलझाव ।
निरुभरना - स० क्रि० दे० 'निरवारना' | निरुक्त - वि० [सं०] जिसका निर्वचन किया गया हो; नियोग करानेवाला; नियोगमें प्रवृत्त किया हुआ | पु० वेद के छ अंगों में से एक; यास्क मुनि-रचित एक प्रसिद्ध ग्रंथ जिसमें वैदिक शब्दोंके निघंटुकी विशद व्याख्या की गयी है । - कार - पु० निरुक्त के रचयिता यास्क मुनि | निरुक्ति - स्त्री० [सं०] ऐसी व्याख्या जिसमें प्रकृति-प्रत्यय आदि अवयवोंका अर्थ समझाते हुए शब्दोंका अर्थ स्पष्ट किया गया हो; एक काव्यालंकार जहाँ किसीके नामका प्रसिद्ध अर्थ छोड़कर युक्तिपूर्वक कोई मनमाना अर्थ किया जाय ।
निरूपण - पु० [सं०] ढूँढ़ना, जाँचना, अन्वेषण; मौखिक रूपसे या लेख द्वारा किसी विषयको ठीक-ठीक समझा देना । निरूपना* - स० क्रि० निरूपण करना, स्पष्ट शब्दों में समझा देना; प्रतिपादन करना, वर्णन करना । निरूपित - वि० [सं०] जिसका निरूपण किया गया हो । निरेखना* - स० क्रि० देखना, निरखना । निरै* -- ५० निरय, नरक ।
निरोग, निरोगी । - वि० जिसे कोई रोग न हो, स्वस्थ | निरोध-पु० [सं०] रोक, रुकावट, प्रतिबंध; वशमें लाना, निग्रह; छेंकना, घेरना, अवरोध; नाश; चित्तकी वह अवस्था जिसमें सभी वृत्तियों और संस्कारोंका लय हो जाता है; (डिटेशन) दे० 'निरोधन' । निरोधक - वि० [सं०] निरोध करनेवाला, रोकनेवाला । निरोधन- पु० [सं०] दे० 'निरोध' ; पारेका छठा संस्कार (आ० ० ); (डिटेंशन ) किसी संदिग्ध या उपद्रवी व्यक्तिको
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