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निबेरना-नियम निबेरना-म० क्रि० दे० 'निबेड़ना'; छोड़ना; वसूल करना निमीलन-पु० [सं०] आँखें मूंदना या झपकाना। -'ब्याज निबेरत ऊधो'-सू० ।
निमीलित-वि० [सं०] मुँदा हुआ, बंद (नेत्र); जो जड निबेरा-पु० दे० 'निवेडा'।
या सुन्न हो गया हो, अंधकाराच्छन्न; लुप्त । निबेहना*-स० क्रि० दे० 'निबेरना' ।
निमुँहा-वि० जिसे बोलनेका साहस न हो, जो दृढ़तानिबोधन-पु० [सं०] समझने या समझानेकी क्रिया। __ पूर्वक कुछ बोल न सके, चुप रहनेवाला । निबौरी*-स्त्री० दे० 'निमकौड़ी' ।
निमूंद-वि० बंद। निभ-वि० [सं०] प्रखर प्रकाशवाला; समान, सदृश (समा- निमेख*-पु० दे० 'निमेष' ।
सांतमें) । पु० प्रकाश; व्याज; छल-कपट; प्रकट होना। निमेट*-वि. जो मिट न सके, अमिट, जो बना रहे । निभना-अ० क्रि० दे० 'निबहना।
निमेष-पु० [सं०] दे० 'निमिष'; आँखोंके फड़कनेका निभरम*-वि० जिसे या जिसमें किसी प्रकारका खटका न रोग । * स्त्री० पलक-'निमेषै बिथकित भई'-कविता० । हो, भ्रमरहित । अ० बेखटके, निम्शंक।
निमोना-पु० चने या मटरके पिसे हुए कच्चे दानोंसे निभरमा-वि० जिसका भरम या विश्वास उठ गया हो; तैयार की हुई मसालेदार दाल । जिसकी पोल खुल गयी हो।
निम्न-वि० [सं०] गहरा; नीचा। -गा-स्त्री० नदी निभरोसी*-वि०जिसे कोई सहारा न रह गया हो, पहाड़ी झरना । वि०स्त्री० नीचे जानेवाली ।-लिखितअसहाय; आश्रयहीन ।
वि० नीचे लिखा हुआ। -सदन-पु. (लोअर हाउस) निभाउ, निभाव-पु० दे० 'निबाह' । वि० भावरहित । दे० 'अवरागार'। निभालन-पु० [सं०] देखना, दर्शन; मालूम करना। निम्नांकित-वि० [सं०] नीचे लिखा हुआ। निभृत-वि० [सं०] रखा या धरा हुआ; गुप्त, अंतहिंत; निम्नोन्नत-वि० [सं०] विषम, नीचा-ऊँचा, ऊबड़-खाबड़ ।
जो अस्त होने जा रहा हो; नम्र, विनीत; अचल, स्थिर; नियंता(त)-पु० [सं०] नियमन करनेवाला, नियंत्रणमें भरा हुआ; निर्जन, सूना; शांत; जो जोरदार न हो, धीमा, रखनेवाला; शासनकर्ता दंड देनेवाला; विशिष्ट नियमके मंद; बंद किया हुआ, आवृत; धीर, धैर्यवान् ।
अनुसार संचालन करनेवाला, संचालक चलानेवाला । निभ्रांत*-वि० दे०निभ्रांत'।
नियंत्रण-पु० [सं०] नियमोंमें बाँधकर रखना, वशमें निमंत्रण-पु० [सं०] किसी कार्य, उत्सव आदिमें या श्राद्ध, | रखना, स्वच्छंद न रहने देना, प्रतिबंधन; अपने अधिकार भोज आदिमें सम्मिलित होनेका निवेदन, बुलावा, न्योता। या देखरेख में रखकर व्यापारादि चलाना । -पत्र-पु. वह पत्र जिसमें किसी कार्य, उत्सव आदिमे नियंत्रित-वि० [सं०] नियंत्रणमें रखा हुआ, प्रतिबद्ध सम्मिलित होनेका निवेदन किया गया हो, निमंत्रणका पत्र। प्रतिबंध द्वारा जिसका व्यापार या कार्य सीमित कर दिया निमंत्रना*-स० क्रि० निमंत्रण देना, न्योता देना। गया हो। निमंत्रित-वि० [सं०] जो आमंत्रित किया गया हो,आइत। निय*-वि०निज । निमका-पु० दे० 'नमक' ।
नियत-स्त्री० दे० 'नीयत' । वि० [सं०] नियमबद्ध, बँधा निमकी-स्त्री० नीबूका अचार; नमकीन टिकिया। हुआ; नियुक्त; स्थिर किया हुआ, पक्का किया हुआ, निमकीड़ी-स्त्री० नीमका फल या उसका बीज ।
निश्चित, मुकर्रर ।-कालिक पलीता-पु० (टाइम फ्यूज) निमन्जन-पु० [सं०] डुबकी लगाना; डुबकी लगाकर स्नान वह पलीता जिसमें ज्वलनशील वस्तुएँ भरी हों या जो करना, अवगाहन।
उनमें डुबाकर, संलिप्त कर बनाया गया हो, अतः जो निमजना*-अ० क्रि० दृबकी लगाना, अवगाहन करना। निर्धारित समयके बाद जल उठे। -कालिक प्रस्फोटनिमज्जित-वि० [सं०] डूबा हुआ।
पु० (टाइम-बम) दे० 'सावधिक प्रस्फोट' । -भागीनिमता*-वि. जो माता हुआ या मत्त न हो; शांत । (गिन्)-पु० (एलॉटी) वह व्यक्ति जिसे कोई वस्तु निमाज-स्त्री० दे० 'नमाज' ।
या कोई हिस्सा निर्दिष्ट किया गया हो, दे० 'आवंट्य' । निमान*-पु० नीची जगह, ढाल, खाल; जलाशय । नियतांश-पु० [सं०] (कोटा) समूची राशिका वह अंश निमि-पु० [सं०] एक ऋषि जो दत्तात्रेयके पुत्र थे;इक्ष्वाकु- जो किसी व्यक्तिसे लेने या उसे देनेके लिए निर्धारित वंशके एक राजा जो मिथिलाके विदेहवंशके प्रवर्तक थे किया जाय। पलकोंका गिरना, निमेष ।-राज-पु० राजा जनक । | नियतात्मा(त्मन्)-पु० [सं०] अपने ऊपर नियंत्रण निमिख*-पु० दे० 'निमिष'।
रखनेवाला, संयमी, वशी। निमित्त-प० [सं०] कारण साधनभूत कारण चिह, लक्षण नियताप्ति-स्त्री० [सं०] नाटककी पाँच अवस्थाओं में से एक लक्ष्य, उद्देश्य, फल; शकुन; दिखावटी कारण, बहाना। जिसमें फलप्राप्तिका निश्चय होता है। -कारण,-हेतु-पु० समवायी और असमवायी कारणसे नियति-स्त्री० [सं०] नियत होनेकी क्रिया या भाव; नियभिन्न कारण-जैसे घटनिर्माणमें कुम्हार, चाक, दंड आदि | मन; अदृष्ट, भाग्य, भवितव्यता; आत्मसंयम । -वाद(न्या०)।
पु० दे० 'भाग्यवाद'।
| नियम-पु० [सं०] विधान या निश्चयके अनुकूल नियंत्रण उतना समय जितना एक बार पलक गिरने में लगे, क्षण। स्थायी कार्यक्रम, दस्तूर, निश्चित व्यवस्था रीति, पद्धति, निमिषांतर-पु० [सं०] पलभरका अंतर ।
कायदा; अनुशासन, नियंत्रण वह संकल्प जिसका सदा
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