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निशेष-निकषण निःशेष-वि० [सं०] जिसमें कुछ बच न जाय, सारा, -वि० पासका, समीप रहनेवाला, जो दूर न हो; जिससे
समूचा जिसमें कुछ करनेको न रह गया हो, पूर्ण, समाप्त । नजदीकका नाता हो। -स्थ-वि० समीपस्थ, पासका, निःश्रेयस-पु० [सं०] मोक्ष कल्याण; मंगल; विद्या, विज्ञान; नजदीकी।
भक्ति प्रभाव; विशेष असर; शिव । वि० सर्वोत्तम । निकटता-स्त्री० [सं०] समीप होनेका भाव, समीपता । निःश्वसन-पु० [सं०] साँस बाहर फेंकना।
निकटपना-पु० दे० 'निकटता। निश्वास-पु० [सं०] प्राणवायुके नासिका द्वारा बाहर निकम्मा-वि० जिसका किया कुछ न हो, जिससे एक भी
निकलनेका व्यापार, साँसका बाहर निकलना; लंबी साँस। काम न सरे; जो एकदम बेकार हो, व्यर्थका । निःसंकोच-अ०, वि० [सं०] दे० 'निस्संकोच'। निकर-पु० [सं०] समूह, झुंड; राशि; निधिः सार; [अं०] निःसंख्य-वि० [सं०] अनगिनत, बेशुमार ।
घुटन्ना, जाँघिया। निःसंग-वि० [सं०] दे० 'निस्संग'।
निकरना*-अ० क्रि० दे० 'निकलना'। निःसंज्ञ-वि० [सं०] संज्ञाहीन, बेहोश ।
निकर्मा-वि० अकर्मण्य, जो कुछ न करे। निःसंतान-वि० [सं०] दे० 'निस्संतान' ।
निकलंक-वि० कलंकरहित, बेदाग, निर्दोष, लांछनहीन । निःसंदेह-वि० [सं०] दे० 'निस्संदेह' ।
निकलंकी-पु० कल्कि अवतार । वि० कलंकहीन । निःसंधि-वि० [सं०] संधिरहित, जिसमें छेद आदि न निकल-स्त्री० [अ०] एक धातु जो चाँदी जैसी सफेद हो; धना, कसा हुआ; मजबूत, ८ ।
होती है। निःसरण-पु० [सं०] बाहर आना, निकलना; धर आदिका निकलना-अ०कि.बाहर होना या आना, प्रकट होना;
निकास (द्वार); मरण बचनेका रास्ता, उपाय; निर्वाण । प्रवाहित होना,गिरना, बहना; उदय होना; व्याप्त या अन्य निसार-वि० [सं०] 'निस्सार'।
वस्तुओंके साथ मिली हुई वस्तुका पृथक् होना; जमना, उगना; निःसारण-पु० [सं०] बाहर करना, निकालना, बहि- | जड़ी या सटी हुई वस्तुका आधारसे पृथक होना; दल-बल करण; घर भादिका निकास ।
या बाजे-गाजेके साथ एक स्थानसे चलकर दूसरे स्थानतक निःसारित-वि० [सं०] निकाला हुआ, बाहर किया हुआ।। जाना; किसी ओरको बढ़ा होना; उत्पन्न होना; बीचसे निःसीम-वि० [सं०] दे० 'निस्सीम' ।।
होकर बाहर आ जाना या पहुँच जाना; पार होना शरीरनिःसृत-वि० [सं०] बाहर आया हुआ; निकला हुआ। पर उत्पन्न होना, उभर आना; पास होना, शिक्षा समाप्त निस्नेह-वि० [सं०] दे० 'निस्स्नेह' ।
करके पृथक् होना; स्थिर किया जाना, सोचा जाना, निःस्पंद-वि० [सं०] दे० 'निस्स्पंद' ।
ठहराया जाना दूर होना, जाता रहना, नष्ट होना; प्राप्त निःस्पृह-वि० [सं०] जिसे किसी वस्तुकी इच्छा न हो, होना, मिलना; व्यक्त होना, खुलना; सिद्ध होना, पूर्ण निरीह, आशारहित ।
होना; चलना, आरंभ होना, छिड़ना; अलग होना, पृथक निःस्व-वि० [सं०] दे० 'निस्स्व' ।
किया जाना हल होना; निर्मित होना, तैयार किया निःस्वादु-वि० [सं०] दे० 'निस्स्वादु' ।
जाना (नदी आदिका) उद्गत होना, बहना आरंभ करना; निःस्वामिक भूमि-स्त्री० [सं०] (नोमेंस लैंड) वह परती खोजा जाना, आविष्कृत या ईजाद होना; फंसा, बँधा या भूमि जो किसीके अधिकारमें न हो।
जुड़ा न रहना प्रचलित होना, जारी होना; प्रवर्तित निःस्वार्थ-वि० [सं०] दे० 'निरस्वार्थ' ।
होना; अपनेको दायित्वसे मुक्त करना, पृथक् होना, गला नि-उप० [सं०] एक उपसर्ग जो अधोभाव (निपात), समूह |
छोड़ाना; प्रकाशित होना; बिकना, खपत होना; सिद्ध (निकर), धनता (निकाम), आदेश (निदेश), नित्यता होना, साबित होना; बिना दंड पाये बच जाना, अपनेको (निवेश), कौशल (निपुण), बंधन (निबंध), सामीप्य मुक्त करना; पकड़, बंधन आदिसे मुक्त होना; हिसाब होने(निकट), अपमान (निकृति), दर्शन (निदर्शक), आश्रय । पर रकम जिम्मे आना, पावना होना;फटकर अलग होना; (निलय), अंतर्भाव (निपोत) आदिकी विशेषताका द्योतन पकड़ा जाना, बरामद होना, पाया जाना; समाप्त होना, करनेके लिए संज्ञा, क्रिया आदिके पूर्व जोड़ा जाता है।
बीतना, गुजरना; सवारो ढोने या जोताईके लिए शिक्षित निअर-* अ० समीप, निकट, पास I वि० समान । होना । मु. निकल जाना-चला जाना, पहुँच जाना; निअराना*-अ० क्रि० निकट, नजदीक आना, पास आना; कम हो जाना, घट जाना; जाता रहना, खो जाना; उपनिकट होना । स० क्रि० पास पहुँचना ।
योगमें न लाया जाना; छिन जाना; भाग जाना, पकड़में निआउ*-पु० दे० 'न्याय'।
न जाना; (स्त्रीका) अपना घर छोड़कर किसी प्रेमीके साथ निआन -अ० अंतमें, अंततोगत्वा। पु० निदान, परिणाम । चला जाना। निआमत-स्त्री० [अ०] दे० 'नेमत' ।
निकलवाना-स० क्रि० निकालनेका काम कराना । निआरा-वि० दे० 'न्यारा'।
निकष-पु० [सं०] कसौटी; कसोटीपर कसनेकी क्रिया निआर्थी*-स्त्री० अर्थहीनता, दरिद्रता, गरीबी ।
सान जिसपर चढ़ाकर हथियार तेज करते हैं; (ला०) निकंदन-पु० [सं०] नाश, संहार । वि. नाशकर्ता। कसौटीका काम करनेवाला; कसौटीपर सोना रगड़नेसे बनी निकंदना*-सक्रि० नाश करना।
हुई रेखा । निकट-अ० [सं०] पास, नजदीक । वि० पासका, समीप- निकषण-पु० [सं०] कसौटी, सानपर चढ़ानेकी क्रिया वती, नजदीकी, जो दूर या दूरका न हो । -वर्ती(र्तिन)| घिसना, रगड़ना।
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