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निकषा - निखद टू
निकषा - स्त्री० [सं०] (रावण आदि) राक्षसोंकी माता । अ० निकट |
निकषोपल - पु० [सं०] सोना कसने या सान चढ़ानेका पत्थर । निकस - पु० [सं०] दे० 'निकष' ।
निकसना * - अ० क्रि० दे० 'निकलना' ।
निकाई* - पु० दे० 'निकाय' । स्त्री० भलाई; अच्छापन, बढ़ियापन; सुंदरता ।
निकाज - वि० निकम्मा, बेकार ।
निकाना - स० क्रि० दे० 'निराना' ।
निकाम - वि० बेकाम, निकम्मा; खराब; [सं०] पर्याप्त, काफी; अभीष्ट; इच्छुक । अ० अत्यंत भूरि, बहुत, खूब । पु० अभिलाषा; आधिक्य ।
निकाय - पु० [सं०] समूह, समुदायः सजातीय प्राणियोंका समूह; वासस्थान; परमात्मा; शरीर; लक्ष्य; राशि; (बॉडी) समान उद्देश्य से काम करनेवाले व्यक्तियोंका समूह, संस्था; जनप्रतिनिधियोंकी वह स्थानीय संस्था जो नगर, जिले या तहसील आदिकी स्वच्छता, स्वास्थ्य आदि संबंधी बातोंकी देखभाल करती है। समाजवाद - पु० (गिल्ड सोशलिज्म) एक तरहका संघ-समाजवाद जो ब्रिटेन में प्रचलित था (इसका सिद्धांत था कि श्रमिक संघोंके निकाय बनाये जायँ और उन्हीं के हाथमें कारखानों आदिका नियंत्रण सौंप दिया जाय, पर सरकार के अन्य विभागोंका नियंत्रण राज्यकी संसदके ही अधीन रहे ) | निकार - पु० निकालनेका काम, बहिष्कार, निष्कासन; निकलनेका द्वार या मार्ग, निकास; [सं०] अनादर, अवशा; पराभव; अनाज ओसाना या फटकना; उठाना; मारण, वध; दुष्टता; द्वेष; विरोध | निकारण-पु० [सं०] मारण, वध ।
निकारना * - स० क्रि० दे० 'निकालना' |
निकालना - स० क्रि० बाहर करना या लाना; प्रकट करना; प्रवाहित करना, गिराना, बहाना; व्याप्त या अन्य वस्तुओं के साथ मिली हुई वस्तुको पृथक् करना; जमाना, उगाना; गड़ी या सटी हुई वस्तुको आधार से पृथक् करना; दल-बल या बाजे-गाजेके साथ एक स्थान से चलाकर दूसरे स्थान तक ले जाना; किसी ओरको बढ़ा हुआ करना; उत्पन्न करना, पैदा करना; बीचसे ले जाकर बाहर ले जाना या पहुँचाना, पार करना; शरीरपर उत्पन्न करना, उभारना; पास करना, शिक्षा समाप्त करके पृथक् करना; स्थिर करना, सोचना, ठहराना; दूर करना; नष्ट करना; प्राप्त करना; व्यक्त करना, खोलना; सिद्ध करना, पूर्ण करना; चलाना, आरंभ करना, छेड़ना; अलग करना, पृथक् करना; हल करना; निर्माण करना, तैयार करना; ( नदी आदिको ) उद्गत करना, बहाना आरंभ करना; खोजना, आविष्कार करना, ईजाद करना; फँसा, बँधा या जुड़ा न रहने देना; प्रचलित करना, जारी करना, प्रवर्तित करना; प्रकाशित करना; बेचना, खपत करना; सिद्ध करना, साबित करना; दंड पानेसे बचाना, मुक्त करना; पकड़, बंधन आदि से मुक्त करना;
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रकम जिम्मे ठहराना; फाड़कर अलग करना; बरामद करना; बिताना, गुजारना; सवारी ढोने या जोताई की शिक्षा देना ।
निकाला - पु० निकालनेकी क्रिया; बहिष्कार; निर्वासन । निकाश - पु० [सं०] क्षितिज; सामीप्य; सादृश्य ( समासांत में ); दृश्य ।
निकाय - पु० [सं०] खुरचना; रगड़ना ।
निकास - पु० निकलने, निकालने की क्रिया या भाव; द्वार, दरवाजा; निकलनेका मार्ग या स्थान; बाहर या सामनेकी खुली जगह, इर्दगिर्द का मैदान, सहन; उद्गम, मूलस्थान; गुजारेका रास्ता, निर्वाहका उपाय, सिलसिला; वंशका मूल स्रोत; त्राणका उपाय, बचावका रास्ता, रक्षाकी युक्ति; आयका रास्ता; आय, आमदनी | [सं०] दे० 'निकाश' | - पत्र- पु० जमा-खर्च और बचतके हिसाबकी बही । निकासना + - स० क्रि० दे० 'निकालना' । निकासी - स्त्री० निकलने या निकालनेकी क्रिया या भाव; प्रस्थान; आय, प्राप्ति; वह रकम जो मालगुजारी आदि बेबाक करने के बाद जमींदार के पास बचे, मुनाफा; मालकी रवानगी या लदाई; रवन्ना; चुगी; खपत । निकाह - पु० [अ०] मुसलमानोंकी विवाहपद्धति; उस पद्धति के अनुसार किया गया विवाह । -नामा - पु० वह कागज जिसमें निकाहकी शर्तें लिखी जाती हैं । निकाही - वि० स्त्री० निकाह करके लायी हुई; ( वह स्त्री ) जिसने स्वेच्छा से विवाह कर लिया हो । निकिष्ट* - वि० दे० 'निकृष्ट' ।
निकुंज - पु० [सं०] सघन वृक्षों और लताओंसे आवृत स्थान, लतामंडप |
निकृष्ट - वि० [सं०] हीन, नीच, अधम; तुच्छ । निकेत, निकेतक - पु० [सं०] घरं, वासस्थान, निवास; चिह्न ।
निकाल - पु० निकलने, निकालनेकी क्रिया या भाव; कुश्ती निकेतन - पु० [सं०] घर, वासस्थान; प्याज । का एक पेंच, पेंचका काट ।
निक्षिप्त- वि० [सं०] फेंका हुआ; रखा हुआ; डाला हुआ; धरोहर रखा हुआ; भेजा हुआ; परित्यक्त ।
निक्षेप - पु० [सं०] फेंकने, डालने, रखने, भेजने, चलाने, त्यागने या अर्पण करनेकी क्रिया या भाव; धरोहर, अमानत; धरोहर रखना । - निधि - स्त्री० (सिंकिंग फंड ) दे० 'ऋणपरिशोधकोष' । - निर्णय - पु० (टॉस) सिक्का आदि हवा में फेंककर उसके नीचे गिरनेकी स्थितिसे कोई निश्चय करना, जैसे कौन पक्ष पहली पालीका खेल आरंभ करेगा । निक्षेपक- पु० [सं०] निक्षेपकर्ता; धरोहर रखनेवाला; (डिपाजिटर) बैंक आदिमें रुपया जमा करनेवाला । निक्षेपण-पु० [सं०] फेंकना; डालना; रखना; त्यागना; चलाना; अर्पण करना; धरोहर रखना । निक्षेपी (पिन्) - वि० [सं०] निक्षेप करनेवाला; धरोहर रखनेवाला ।
निक्षेप्ता (प्तृ ) - पु० [सं०] दे० 'निक्षेपक' । निखंग* - पु० दे० 'निषंग' | निखंगी* - वि० दे० 'निषंगी' ।
निखट्ट - वि० जो कहीं न टिके, जो इधर-उधर मारा फिरे; सब जगह झगड़ा फसाद करनेवाला; जिससे कुछ करतेधरते न बने, निकम्मा ।
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