________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
३४५
दगवाना-दफ्तर दगवाना-स० क्रि० दागनेका काम दूसरेसे कराना।
राज-पु० दे० 'ददिहाल' । दगहा-वि० दागा हुआ, दागदार । पु० मृतक संस्कार ददियाल-पु० दे० 'ददिहाल' । करनेवाला।
ददिया ससुर-पु० ससुरका पिता। दग़ा-स्त्री० [फा०] धोखा, फरेब, छल । -दार-वि० फरेब ददिया सास-स्त्री० समरकी माता, सासकी सास । करनेवाला, धोखेबाज, छलिया। -बाज़-वि० धोखा | ददिहाल-पु० दादाका कुल या घर । देनेवाला, कपटी। -बाज़ी-स्त्री० धोखेबाजी, फरेब, छल। | ददोड़ा-पु० दे० 'ददोरा'। दगल-वि०जिसे दाग लगा हो; खोटा; दगाबाज, छलो। ददोरा-पु० चकत्ता जो मच्छर आदिके काटने या खुजदग्ध-वि० [सं०] जला या जलाया हुआ, भस्मीकृत; लानेसे शरीरपर पड़ जाता है। पीडित, संतप्त धूर्त; अशुभ नीरस तुच्छ, निकृष्ट । पु० दग-पु० [सं०] एक प्रकारका कुष्ठ, दाद नामका रोग । एक घास । -काक-पु० डोमकौआ।
-न-पु० चक्रमर्द, चकवड़। दग्धा-स्त्री० [सं०] वह दिशा जिसमें सूर्य बराबर सिरपर दध*-पु० दे० 'दधि' । -सार-दे० 'दधिसार'। रहता है। कुछ विशेष तिथियाँ जो अशुभ मानी जाती हैं। दधना*-अ० क्रि० दे० 'दहना'। दग्धा(ग्ध)-वि०, पु० [सं०] जलानेवाला ।
दधि-पु० [सं०] दही; वस्त्र । -काँदो-पु० [हिं०] कृष्ण दग्धाक्षर-पु० [सं०] कुछ अक्षर-झ, ह, र,भ और ष- जन्माष्टमीके बाद पड़नेवाला एक उत्सव जिसमें लोग जिनका छंदके आरंभमें प्रयोग करना निषिद्ध है।। हल्दी मिला हुआ दही एक-दूसरेपर फेंकते हैं । कृष्णजन्मदग्धित-वि० दे० 'दग्ध' ।।
के उपलक्ष्यमें गोकुलमें यह उत्सव मनाया गया था और दचक-स्त्री० दचकनेकी क्रिया; दचका; धक्का दबाव । तभीसे चला आ रहा है। -ज,-जात-पु० मक्खन । दचकना-अ० क्रि० दबना; नीचे-ऊपर होना; झटका। -मंथन-पु० दही मथना । -मुख,-वक्त -पु० रामखाना । स०क्रि० धक्का लगाना; दबाना ।
की बानरी सेनाका एक सेनापति; एक तरहका साँप । दचका-पु० सवारीके नीचे-ऊपर होनेसे लगनेवाला धक्का; -सार-पु० दहीसे निकाला हुआ मक्खन । ठोकर।
दधि -पु० उदधिः समुद्र। -ज,-जात-पु० चंद्रमा । दचना*-अ० क्रि० पड़ना, गिरना।
-सुत-पु० कमल; चंद्रमा; मोती; विष, हलाहल; जलंदच्छ*-पु० दे० 'दक्ष'। -कुमारी,-सता-स्त्री० दे० धर नामक दैत्य ।-सुत-सुत-पु०पंडित, विज्ञ।-सुता'दक्षकन्या'।
स्त्री० सीप, शुक्ति । दच्छना, दच्छिना -स्त्री० दक्षिणा, ब्राह्मणोंको दिया। दधीच, दधीचि-पु० [सं०] एक प्रसिद्ध ऋषि जिनकी जानेवाला दान; भेट ।
हड्डीसे इंद्रका वज्र बना था । दच्छिन*-वि०, पु०, अ० दे० 'दक्षिण ।
दनदनाना-स० क्रि० 'दन-दन' शब्द करना; खुशी दढ़ना-अ० क्रि० जलना।
मनाना। दढ़ियल-वि० दाढ़ीवाला।
दनादन-अ० 'दन-दन' की आवाजके साथ । दतवन-स्त्री० दातीन ।
दनु-स्त्री० [सं०] कश्यप ऋषिकी एक पत्नी जिसके पुत्र दतारा-वि० बड़े दाँतोंवाला (हाथी)।
दानव कहलाये ।-ज-पु० दानव, असुर । -ज दलनीदतिया-स्त्री० दाँतका अल्पार्थक, छोटा दाँत ।
स्त्री० दुर्गा ।-ज द्विद् ()-पु० देवता ।-ज राय*दतुअ(व)न, दतू(तौ)न-स्त्री० दे० 'दातन' ।
पु० हिरण्यकशिपु । -ज पति-पु० रावण । -पुत्र,दत्त-पु० [सं०] दत्तात्रेय; दत्तक (पुत्र); दान । वि० दिया। संभव,-सून-पु० दे० 'दनुज'। हुआ; दान किया हुआ; सुरक्षित । -चित्त-वि० जिसका दनुजारि-पु० [सं०] देवता, सुर । मन किसी कार्य में अच्छी तरह लगा हो, एकाग्र ।-दृष्टि- दनुजेंद्र, दनुजेश-पु० [सं०] रावण; हिरण्यकशिपु । वि० जिसकी दृष्टि किसी एक वस्तुपर लगी हो, कृतेक्षण । | दनू*-स्त्री० दे० 'दनु' ।। दत्तक-पु० [सं०] जो औरस पुत्र न होनेपर शास्त्र-विधिसे | दपट-स्त्री० डाँटने-डपटनेकी क्रिया; घुड़की । पुत्र बना लिया गया हो, गोद लिया हुआ पुत्र, मुतबन्ना। | दपटना-स० कि० घुड़कना, डाँटना । -ग्रहण-पु० (एडॉप्शन) किसीको दत्तक (गोद लिया। दपु*-पु० दर्प, अहंकार । हुआ पुत्र) बनानेका कार्य, दत्तक ग्रहण करने या स्वीकार दान-पु० [अ०] गाड़ना; किसी वस्तु या मुरदेको करनेके कार्य।
जमीनमें गाड़नेका काम । दत्तात्मा(त्मन्)-पु० [सं०] वह जो माता-पिताके दफ़नाना-स० क्रि (मुरदेको) जमीनमें गाड़ना । निधनके कारण अथवा उनके द्वारा त्यागे जानेपर स्वयं दफा-स्त्री० बार, मर्तबा; किसी कानूनकी किताबका वह किसीके यहाँ जाकर उसका दत्तक पुत्र बने।
अंश जिसमें एक नियमका उल्लेख हो, कानूनका एक दत्तात्रेय-पु० [सं०] अत्रि ऋषिके पुत्र जो विष्णुके चौबीस | नियम, धारा। -दार-पु० चौकीदारोंका मुखिया । अवतारोंमेंसे एक अवतार माने जाते हैं।
दफ्रा-पु० [अ०] दूर करना, हटाना, ढकेलना। दधिम-वि० [सं०] दानसे प्राप्त । पु० बारह प्रकारके दफीना-पु० [अ०] पृथ्वीमें गाड़ा हुआ धन, दफन किया पुत्रोंमेंसे एक, दत्तक पुत्र ।
हुआ खजाना। ददा-पु० दे० 'दादा'।
दफ्तर-पु० [अ०] हिसाब-किताबके कागज, बही, रजिस्टर,
For Private and Personal Use Only