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कौआ । - भू-वि० पहाड़पर या पहाड़से उत्पन्न । पु० पाषाणभेदा लता । - मूर्धा ( र्धन् ) - पु० पहाड़की चोटी । नगण - पु० [सं०] एक गण जिसमें तीनों अक्षर लघु हों । नगण्य - वि० [सं०] जो गणना में न आ सके, तुच्छ, निकृष्ट । नगद - वि०, पु० दे० 'नद' ; नागदमनी । नगदी - स्त्री० दे० 'नदी' |
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नगन* - वि० नग्न, निरावरण ।
नगनी - स्त्री० वह कन्या जो रजोधर्मकी अवस्थाको न पहुँची हो; वह कम अवस्थाकी कन्या जो बिना ऊपरका शरीर ढके भी रह सकती हो; वस्त्रहीन स्त्री ।
नगफनी * - स्त्री० दे० 'नागफनी' ।
नग़मा - पु० [अ०] सुरीली आवाज; गान; राग । नगर - पु० [सं०] कस्बे से बड़ी और समृद्ध वस्ती जिसमें अनेक जातियों और पेशोंके लोग बसते हों, पुर, शहर । - आयोजन - पु० (टाउन प्लैनिंग ) सोच-विचारकर तैयार की गयी योजना के अनुसार चौड़ी सड़कों, उद्यानों, उपवनों (पार्क्स), विद्यालयों, खेलके मैदानों आदिसे युक्त नगर बसानेका आयोजन करना, नगर-निर्माण-योजना । - काक - पु० तुच्छ व्यक्ति । -कीर्तन - पु० नगर में घूम घूमकर किया जानेवाला कीर्तन; गाजे-बाजे के साथ किया जानेवाला धर्मप्रचार | -जन- पु० नगर में रहनेवाले लोग, नागरिक । - नायिका, - नारी, -मंडना - स्त्री० वारां गना, वेश्या । - निगम - पु० ( म्यूनिसिपल कारपोरेशन) राज्यके किसी बड़े नगरकी नगरपालिका जिसे ऋणादि लेनेका तथा कुछ अन्य अधिकार भी प्राप्त होते हैं । - निगमाध्यक्ष- पु० (मेयर) किसी नगर निगमका अध्यक्ष । - पाल - पु० वह जिसका काम सभी बाधाओं से नगरकी रक्षा करना हो । - पालिका - स्त्री० (म्यूनिसिप लटी) नगरकी सफाई, रोशनी, सड़कों, पानी आदिकी व्यवस्था करनेवाली संस्था जिसके सभी या अधिकतर सदस्य जनता द्वारा निर्वाचित होते हैं। - पिता-पु० (सिटीफादर) नगरपालिकाका सदस्य, नगर- शासक । - प्रांत-पु० उपनगर । - भवन- पु० ( टाउनहाल ) नगरका वह सार्वजनिक भवन जहाँ समवेत होकर किसी विषयपर विचार किया जाय या जहाँ सभाओं, भाषणों आदिका आयोजन किया जा सके। -भाग- पु० (वार्ड) स्थानीय प्रशासनकी सुविधाकी दृष्टिसे किये गये नगर के भागोंमेंसे कोई भाग, हलका । -मार्ग - पु० राजमार्ग, चौड़ी सड़क । -रक्षा-स्त्री० नगरकी देखभाल या शासनप्रबंध । - वासी (सिन् ) - - पु० नगर में रहनेवाला, नागर, पुरवासी । - वृद्ध - पु० (एल्डरमैन) नगर निगम का मेयर से छोटा पदाधिकारी ।
नगराई * - स्त्री० नागरिकता; चतुरता, चालाकी । नगराधिप- पु० [सं०] वह कर्मचारी जिसके ऊपर नगरकी रक्षा आदिका दायित्व हो ।
नगराधिपति - पु० [सं०] दे० 'नगराधिप' | नगराध्यक्ष - पु० [सं०] दे० 'नगराधिप' । नगरी - स्त्री० [सं०] नगर । नगरीय - वि० [सं०] नगर-संबंधी, नागरिक । नगरेतर क्षेत्र - पु० [सं०] (मोफसिल) केंद्रस्थ नगर के आस
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नगण-नज़र
पासके स्थान ।
नगरोपांत - पु० [सं०] उपनगर । नगवास * - पु० नागपाश ।
नगवासी * - स्त्री० नागपाश ।
नगाड़ा - पु० डुगडुगीकी शकलका एक बड़ा बाजा । नगाधिप, नगाधिपति - पु० [सं०] हिमालय; सुमेरु । नगाधिराज - पु० [सं०] हिमालय; सुमेरु । नगारा - पु० दे० 'नगाड़ा' । नगारि-पु० [सं०] इंद्र | नगिचाना* - अ० क्रि० पास आना ।
नगी - स्त्री० रतः छोटा रत्न; पार्वती; पहाड़ी स्त्री । नगीच * - अ० दे० 'नज़दीक' ।
नगीना - पु० [फा०] शोभावृद्धिके लिए अँगूठी आदिमें जड़ा जानेवाला पत्थर या शीशेका रंगीन टुकड़ा । - गर - साज़- पु० नगीना बनाने या जड़नेवाला । नगेंद्र- पु० [सं०] हिमालय; सुमेरु | नगेश- पु० [सं०] दे० 'नगेंद्र' । नगेसरि* - पु० नागकेसर |
नग्न - वि० [सं०] जिसके शरीरपर एक भी वस्त्र न हो, विवस्त्र, नंगा, दिगंबर; जिसपर कोई आवरण न हो, निरावरण |
नग्नतावाद - पु० [सं०] ( न्यूडिज्म ) पश्चिममें प्रचलित सिद्धान्त जिसके अनुयायी धूप और खुली हवाके समुचित सेवनकी दृष्टिसे विवस्त्र रहते हैं ।
नग्ना - स्त्री० [सं०] वह कन्या जो रजोधर्मको प्राप्त न हुई हो; दस या बारह वर्ष से कम अवस्थाकी कन्या जो बिना ऊपर के शरीर को ढके भी घूम-फिर सकती हो; बेहया स्त्री । नग्मा - पु० दे० 'नग़मा' | नग्र* - पु० दे० 'नगर' |
नघना-स० क्रि० लांघना, पार करना । नघाना-स० क्रि० पार कराना, लाँधनेका काम कराना । नचना* - अ० क्रि० नाचना, नृत्य करना; इधर-उधर भटकना । वि० नाचनेवाला, जो नाचे; जो बराबर इधरउधर घूमा करे ।
नचनि* - स्त्री० नाचनेकी क्रिया या ढंग; नाच । नचनिया * - पु० नाचनेका पेशा करनेवाला; नाचनेवाला । नचवैया - पु० नाचनेवाला या नचानेवाला । नचाना-स० क्रि० नाचने में प्रवृत्त करना; हैरान करना; किसीसे तरह-तरह के काम कराना; गोलाई में घुमाना; इधर से उधर घुमाना या फेरना । नचीला* - वि० नाचता हुआ, चंचल |
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नचौँहा* - वि० जो इधर से उधर घूमा करे, चंचल, विलोल । नछत्र* - पु० दे० 'नक्षत्र' |
नछत्री* - वि० जिसने किसी अच्छे नक्षत्र में जन्म लिया हो, भाग्यशाली ।
नज़दीक - अ० [फा०] समीप, पास । नज़दीकी - वि० [फा०] निकटका । पु० निकटका संबंधी । नज़र - स्त्री० [अ०] दृष्टि, निगाह; कृपा, दया; निगरानी, देखभाल; कुष्ट, टोना; परख; ध्यान; उपहार, उपायन, भेंट; वह रुपया अशरफी आदि जिसे अधीनस्थ राजा या