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नाइक-नाग -मौज -वि० बेमेल । - याब-वि० जो मिलता न हो, करन।। -फटने लगना-दे० 'नाक न दी जाना। दुर्लभ । -राज-वि० ऋद्ध, अप्रसन्न, रुष्ट । -राज़गी- -बहना-नाकमेंसे श्लेष्मा निकलना।.-बैठना-नाक स्त्री० दे० 'नाराजी'।-राजी-स्त्री० नाराज होनेका भाव, चिपटी होना । -भी चढ़ाना या सिकोड़ना-क्रोध प्रकट अप्रसन्नता ।-लायक-वि० अयोग्य; नीच, अधम(हिं०)। करना, नाराज होना; घृणा प्रकट करना। -में तीर -वाकक्रियत-स्त्री० अनभिज्ञता। -वाकिफ-वि० करना या डालना-बहुत हैरान करना। -में दम अनभिज्ञ, वाकिफका उलटा । -वाजिब-वि० अनुचित, करना-खूब परेशान करना । -में बोलना-नकियाना । गैरवाजिब । -शाइस्ता-वि० नालायका नामौजू; -रख लेना-इज्जत बचाना। -रगड़ना-दीनता प्रकट अशिष्ट । -समझ-वि० जिसे समझ न हो, बुद्धिहीन, करना, गिड़गिड़ाना, आरजू-मिन्नत करना। -लगाकर मूर्ख । -हक-अ० अकारण, बेसबब व्यर्थ, बेमतलब । बैठना-बहुत इज्जतदार बनकर बैठना। -सिकोड़नानाइक*-पु० दे० 'नायक' ।।
घृणा प्रकट करना। (नाकौं) आना-आजिज आना, नाइन-स्त्री० नाईकी स्त्री नाई जातिकी स्त्री।
परेशान हो जाना। -चने चबवाना-खूब परेशान नाइब*-वि०, पु० दे० 'नायब' ।
करना, तंग कर मारना । नाई-अ० की भाँति, की तरह।
नाकड़ा-पु० नाकका एक रोग । नाई-पु० एक जाति जिसका व्यवसाय हजामत बनाना है; नाकना*-स० कि० लाँघना, डाँकना; प्रतियोगितामें बढ़ हज्जाम । * स्त्री० नाव ।
जाना, बढ़कर होना। नाउ*-पु० नाम।
नाका-पु० किसी नगर, बस्ती आदिमें पैठनेका प्रमुख नाउ*-स्त्री० नाव ।
स्थान, प्रवेशद्वार; रास्ते आदिका वह मोड़ जहाँसे दूसरी नाउन-स्त्री० दे० 'नाइन ।
ओर मुड़ें, निकलें या घुसें; दुर्ग आदिमें घुसने और बाहर नाडी-पु० दे० 'नाई।
निकलनेका भार्ग या द्वार; वह प्रमुख स्थान जहाँ पहरा नाक-पु० [सं०] स्वर्ग; अंतरिक्ष । -चर-पु० देवता। देने या किसी तरहका महसूल वसूल करने के लिए सिपाही
-नाथ,-नायक,-पति-पु० इंद्र । -वास-पु० स्वर्गमें नियुक्त हों; (सुईका) छेद; नाक नामका जलजंतु ।-बंदी, निवास ।
(नाके) बंदी-स्त्री० नाकेपर सिपाहियोंकी तैनाती, नाक-पु० मगर जैसा एक जलजंतु । स्त्री० वह दो छेदों- नाकेपर पहरा बैठाना; अवरोध । पु० नाकेपर तैनात वाला प्रसिद्ध अवयव जिससे साँस लेते और बाहर किया जानेवाला सिपाही। -दार-पु० नाकेपर तैनात निकालते हैं; चरखेमेकी वह लकड़ी जिसे पकड़कर उसे किया जानेवाला सिपाही । वि० छेदवाला। चलाते है; वह जिससे किसीकी प्रतिष्ठा बनी रहे, इज्जत | नाकेश-पु० [सं०] इंद्र ।। रखनेवाला; वह जो किसी समुदायमें प्रधान या सबसे नाक्षत्र-वि० [सं०] नक्षत्र-संबंधी; जिसका काल नक्षत्रबढ़कर हो; मान, मर्यादा, प्रतिष्ठा, इज्जत ।-बुद्धि-वि० चक्रके परिवर्तनके अनुसार निर्धारित हो। जो पशुओंकी तरह सुंधकर ही भक्ष्याभक्ष्य पहचान सके; नाक्षत्रिक-वि० [सं०] दे० 'नाक्षत्र'। महामूर्ख, तुच्छबुद्धि । मु०-इधर कि नाक उधर-हर नाखना*-स० क्रि० नष्ट करना; फेंकना; गिरानालाँधना। तरहसे एक ही बात । -ऊँची होना-इज्जत बढ़ना। ना.खुन, ना.खून-पु०[फा०] उँगलियोंके सिरेपरका कठिन -कटना-लाज या प्रतिष्ठा जाती रहना, बेइज्जती होना, और चिपटा आवरण; चौपायोंकी टाप था खुरकी बढ़ी हुई मान-मर्यादा नष्ट होना । -काटना-इज्जत उतार लेना, कोर । -तराश-पु० नाखून काटनेका आला, नहरनी। प्रतिष्ठा नष्ट करना, बेइज्जती करना । -का बाल-अत्यंत ना.खूना-पु० [फा०] एक नेत्ररोग जिसमें आँखोंमें सफेद अंतरंग या प्रिय ।-की सीधमें-ठीक सामने ।-घिसना- झिल्ली पड़ जाती है और धीरे-धीरे पुतलियोतकको ढाँक दे० 'नाक रगड़ना'।-चढ़ना-क्रोधवश नथनोंका ऊपरकी लेती है। लाल डोरे जो घोड़ोंकी आँखों में पड़ जाते हैं। ओर खिंच जाना । -चढ़ाना-क्रोधमें नथनोंका ऊपरकी नाग-पु० [सं०] मनुष्यके आकार के पातालवासी सर्प ओर खींचना; घृणा प्रकट करना । -छेदना-हैरान | जिनकी गणना देवयोनिमें है (इनमें मुख्य ये हैं-अनंत, करना, चें बुलवाना ।-तक खाना--स-टूंसकर खाना ।। वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कोटक और -तक भरना-(बरतन आदिको) ऊपरतक भरना; शंख); साँप; एक प्रकारका काला साँप जिसके सिरपर हँस-हँसकर खाना । -न दी जाना-असह्य दुर्गध | दो चरण-चिह्न होते हैं। पर्वत; हाथी; बादल; नागकेशर, मालूम होना, तीव्र दुर्गंध आना। -पकड़ते दम निक- पुन्नाग; शरीरका एक प्रकारका पवन; एक देशा उस लना-अति शक्तिहीन होना। (चाहे इधरसे)-पकड़ो देशमें बसनेवाली एक जाति; राँगा; सीसा; नागरमोथा; चाहे उधरसे-हर पहलूसे, हर तरहसे । -पर गुस्सा नागवल्ली; (ला०) कर मनुष्य; अश्लेषा नक्षत्र; खूटी होना-बहुत जल्द क्रोध आना । -पर दीया बालकर आठकी संख्या । -कन्यका-कन्या-स्त्री० नाग जातिआना-जीतकर या सफल होकर आना । ~पर मक्खी की कन्या (पुराणोंमें नागकन्याओंके सौंदर्यकी बड़ी प्रशंसा न बैठने देना-बहुत सतर्क रहना; किसीका थोड़ा भी की गयी है)। -कर्ण-पु० हाथीका कान; रेंड (जिसका कृतज्ञ न होना बहुत पाकसाफ रहना ।-पर रख देना- पत्ता हाथीके कानकी तरह होता है)। -कुमारिकामाँगनेके साथ ही दे देना या अदा कर देना। स्त्री० गुड़च; मजीठ। -केशर-स्त्री० सफेद, महकदार (किसीकी)-पर सुपारी तोड़ना-बहुत परेशान | फूलोंवाला एक सदावहार पेड़ जिसकी लकड़ी बहुत कड़ी
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