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नाट्य- नापित
या तागा पहनाना, नत्थी करना; एक सूत्र में बद्ध करना । नाद-पु० [सं०] शब्द, ध्वनि; अव्यक्त शब्द; वर्णोंके उच्चारणमें एक प्रकारका बाह्य प्रयत्न; संगीत: भारी शब्द, गर्जन; स्तुति करनेवाला |
नादना * - स० क्रि० बजाना । अ० क्रि० बजना; गरजना । नादिम-वि० [अ०] लज्जित, शर्मिंदा ।
नाव्य - पु० [सं०] नृत्य; नाटकादिका अभिनय, नृत्यकला; अभिनयकला; अभिनेताकी वेशभूषा । - कार - पु० नाटक करनेवाला, नट, नाटक लिखनेवाला । -मंदिर- पु० दे० 'नाटयशाला' । - शाला - स्त्री० नाटक खेलनेका घर या स्थान । - शास्त्र - पु० अभिनय आदि संबंधी शास्त्र । नाट्यागार - पु० [सं०] नाटयशाला । नाट्याचार्य - पु० [सं०] अभिनय, नृत्यादिकी शिक्षा देने नादिया - पु० नंदी; वह बैल जिसे साथ में लिये योगी भीख माँगते हैं । ( इसके एकाध अंग अधिक होता है ) । नादिर - वि० [अ०] अद्भुत, असाधारण । - शाह - पु० फारसका एक नृशंस शासक जिसने सन १७३८ में दिल्ली के तत्कालीन बादशाह मुहम्मद शाहको हराकर नगर में कतलेआम कराया था । - शाही - वि० नादिरशाह संबंधी; नादिरशाह के अत्याचार जैसा । स्त्री० निरंकुश शासन; पाशविक अत्याचार |
वाला ।
नाट्यांचित - वि० [सं०] अभिनय करने योग्य । नाठ* - पु० नाश; सत्ताका अभाव; लावारिस जायदाद । नाठना * - स० क्रि० नष्ट, ध्वस्त करना । अ० क्रि० नष्ट, ध्वस्त होना; हटना; भाग जाना ।
नाठा* - पु० वह जिसके आगे-पीछे कोई न हो । नाड़ - स्त्री० गर्दन ।
नाड़ा - पु० स्त्रियोंका घाँघरा या धोती बाँधनेकी सूतकी मोटी डोरी, नीबी; देवताओंको चढ़ाया जानेवाला लाल या पीले रंगका गंडेदार सूत ।
नातर, नातरु * - अ० 'नतम्' ।
नाता- पु० संबंध, रिश्ता । ( नाते) दार - पु० रिश्तेदार । वि० [सगा, संबंधी ।
नाडि - स्त्री० [सं०] नाही; नली । नाडी - स्त्री० [सं०] नली; शरीरकी रक्तवाहिनी शिराएँ; वे नयाँ जिनके द्वारा हृदयका शुद्ध रक्त शरीरके सब अंगों में पहुँचता है, धमनी; शरीरकी ज्ञानवाहिनी, शक्तिवाहिनी और श्वास-प्रश्वासवाहिनी नलियाँ ( हठयोग ); फोड़ेका छेद; किसी तृण या पौधेका पोला डंठल; पद्मदंड; ६ क्षणोंका एक कालमान, घड़ी; फूँककर बजाया जानेवाला वाद्य ( बाँसुरी आदि ); हाथ या पैरकी नब्ज; गंडदूर्वा, छल, छा; कल्पित चक्रों में पड़नेवाले नक्षत्र जिनके अनुसार वर-वधु की गणना बैठाते हैं ( ज्यो० ) । -चक्र - पु० नाभिप्रदेश में स्थित मुर्गी के अंडेके आकारका चक्रविशेष । - परीक्षा - स्त्री० (वैद्यका) नब्ज देखना । - यंत्र - पु० शरीरमें चुभी या धँसी हुई वस्तुको निकालनेका एक प्राचीन यंत्र ( सुश्रुत ) । व्रण - पु० वह पुराना घाव जिसमें भीतर ही भीतर छेद हो जाता और मवाद निकला करता है, नासूर । - संस्थान - पु० नाडियोंका जाल । नाडीकेल - पु० [सं०] नारियल | नात - स्त्री० (नअत), प्रशंसा; स्तुति-गीत । पु० संबंधी, नान्हा* - वि० दे० 'नान्ह' । पु० नन्हा बच्चा ।
रिश्तेदार; संबंध, नाता ।
नातिन - स्त्री० लड़कीकी लड़की; लड़केकी लड़की । नाती - पु० लड़कीका लड़का; लड़केका लड़का | नाते - अ० संबंधसे, रिश्ता होनेसे; लिए, वास्ते । नारसी - पु० [ज०] जर्मनीका एक राजनीतिक दल जो द्वितीय विश्वयुद्ध के पहले बहुत प्रबल हो गया था । नाथ - स्त्री० बैल आदिकी नाक में पहनायी जानेवाली रस्सी; * दे० 'नथ' । पु० गोरखपंथी साधुओंकी एक उपाधिः सँपेरा; [सं०] प्रभु, अधीश्वर स्वामी; पति ।
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नाथता - स्त्री० [सं०] नाथ या स्वामी होनेका भाव, प्रभुता । नाथना - स० क्रि० बैल आदिको नाकको छेदकर उसमें नाथ पहनाना; कई वस्तुओं को एक साथ छेदकर उनमें रस्सी
नादी ( दिन्) - वि० [सं०] बजने वाला; गरजने वाला । नादेय - वि० [सं०] नदी संबंधी; नदीका; नदीमें उत्पन्न; ग्रहण न करने योग्य, अग्राह्य; जो अदेय न हो, देय । नाधना - स० क्रि० बैल, घोड़े आदिको रस्सी या तस्मेके द्वारा सवारी, हल आदिसे जोड़ना या बाँधना, जोतना; जोड़ना; आरंभ करना; ठानना; गूंथना, पिरोना; नाथना । नान - स्त्री० [फा०] रोटी, चपाती; तंदूर में पकायी जानेवाली एक प्रकारकी मोटी खमीरी रोटी । -ख़ताई - स्त्री० एक प्रकारको टिकिया की शकलकी मिठाई । - बाई - पु० रोटी और शोरवा बेचनेका पेशा करनेवाला । नानक - पु० सिक्खोंके आदि गुरु जिनका जन्म संवत् १५२६ में हुआ। पंथी-पु० नानक मतका अनुयायी । नाना - पु० माताका पिता, पितामह; [अ०] पुदीना । * स० क्रि० डालना; घुसाना; झुकाना । वि० [सं०] अनेक प्रकारके, कई तरहके, विविध । नानिहाल- पु० नानीका घर ।
नानी-स्त्री० नानाकी पत्नी, माताकी माता, मातामही ।
मु० - मर जाना - होश उड़ जाना, हौसला पस्त हो जाना । नान्ह* - वि० नन्हा, छोटा; नीच, अधम; बारीक, महीन । नान्हरिया * - वि० छोटा, नन्हा ।
नाप - स्त्री० किसी मानदंडके अनुसार स्थिर की गयी किसी वस्तुकी लंबाई, चौड़ाई, गहराई, ऊँचाई, मात्रा आदि, परिमाण, माप; किसी मानदंडके अनुसार किसी वस्तुकी लंबाई, चौड़ाई आदिका निर्धारण करनेकी क्रिया; लंबाईका मानदंड, वह स्थिर किया हुआ पैमाना जिसके अनुसार किसी वस्तुकी लंबाई निर्धारित की जाय; निश्चित लंबाईवाली वह वस्तु जिसके अनुसार किसी वस्तुकी लंबाईचौड़ाई आदि जानी जाय, मानदंड । -जोख, - तौलस्त्री० नापने और तौलनेकी क्रिया; नापकर या तौलकर निर्धारित की गयी मात्रा या परिमाण । नापना-स० क्रि० किसी मानदंडके अनुसार किसी वस्तु के विस्तार, परिमाण, मात्रा आदिका निर्धारण करना । नापसंद - वि० दे० 'ना' के साथ |
नापित-पु० [सं०] नाई, हज्जाम । -शाला, - शालिका - स्त्री० हज्जामकी दुकान, क्षौरालय (सैलून ) ।
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