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पूज्य ।
नमकीन-नर
३९४ यथोचित सेवा करनेवाला। हलाली-स्त्री० नमकहलाल वि० विनयी नीतिज्ञ । होनेका भाव या गुण। मु०-भदा करना-स्वामी या नयकारी*-पु० नर्तकोंका मुखिया । पालककी यथोचित सेवा करना, उसके प्रति अपना कर्तव्य नयन-पु० [सं०] ले जाना या नेतृत्व करना शासन करना; पूरा करना। (किसीका)-खाना-(किसीकी) कृपासे बिताना, यापन; आँख, दृष्टि । -गोचर-वि०१० निर्वाह करना, (किसीकी) सेवा करके जीविका चलाना। _ 'दृष्टिगोचर' । -च्छद-पु० पलक। -जल-पु० आँसू । (कटेपर)-छिड़कना-दुःखीको और दुःख देना। -पट-पु०पलका-वारि,-सलिल-पु०आँसू ।-विषय -फूटकर निकालना-नमकहरामीका कुफल मिलना। -पु० दृश्य वस्तु; क्षितिज; दृष्टिपथ ।। -मिर्च मिलाना-किसी बातको आकर्षक या प्रभावोत्पा- | नयना*-अ० कि० झुकना, नम्र होना; नमस्कार करना । दक बनाने के लिए उसमें अपनी ओरसे कुछ और जोड़ देना। पु० दे० 'नयन' । नमकीन-वि० [फा०] जिसमें नमक छोड़ा गया हो; नयनाभिराम-वि० [सं०] जो देखने में सुंदर हो, नेत्रप्रिय । जिसमें नमकका स्वाद हो; लावण्ययुक्त, सलोना, सुंदर। नयनू-पु० नवनीत, मक्खन; एक तरहकी बूटीदार मलमल।
पु० नमक डालकर तैयार किया गया व्यंजन या पकवान । नयनोत्सव-पु० [सं०] दीपक प्रियदर्शन वस्तु । नमदा--पु० [फा०] जमाया हुआ ऊनी कपड़ा। नयनोपांत-पु० [सं०] आँखकी कोर, अपांग । नमन-पु० [सं०] प्रणाम करना नमस्कार, प्रणाम; झुकने- | नयर*-पु० नगर। की क्रिया।
नया-वि० जिसका उत्पादन, निर्माण, प्रकाशन, वयन, नमना*-अ० क्रि० नत होना; प्रणाम करना।
प्रवर्तन, ज्ञान या आविष्कार कुछ ही समय पूर्व हुआ नमनि*-स्त्री० दे० 'नमन' ।
हो, नवीन, नूतन, ताजा, पुरानाका उलटा कम उम्रका; नमनीय-वि० [सं०] नमस्कार या प्रणाम करने योग्य, । जिससे पहले-पहल साक्षात्कार या परिचय हुआ हो; जो
कुछ ही समय पहले प्रकट हुआ, देखा गया, मिला या नमश-स्त्री० [फा०] दूधका थोड़ा जमा हुआ फेन जो। पाया गया हो; हालका बना या बसा हुआ; पहलेवालेका जाड़ेके दिनोंमें बिकता है।
स्थानापन्न जिसका उपयोग पहले-पहल किया जा रहा नमसकारना*-स० क्रि० नमस्कार करना ।
हो, जिससे किसी दूसरेने कभी काम न लिया हो; जिसका नमस्करण-पु० [सं०] नमस्क्रिया।
आरंभ या पुनरारंभ अभी हालमें हुआ हो। [स्त्री० 'नयी'] नमस्कार-पु० [सं०] किसीके प्रति विनय सूचित करनेके -पनं-पु० नया होनेका भाव, नवीनता। लिए सिर नवाना, हाथ जोड़ना आदि ।
नर-पु० [सं०] पुरुष, मर्द नरसिंहके शरीरके नरभागसे नमस्क्रिया-स्त्री० [सं०] दे० 'नमस्कार'।
उत्पन्न एक दिव्य महर्षि, अर्जुन विष्णु; घोड़ा; शतरंजका नमस्ते-अ० [सं०] एक वाक्य जिसका अर्थ है-'आपको मोहरा सेवक *पानी बहनेका नल | वि० पुरुष जातिका नमस्कार है।
(मर्द)। -कत*-पु. राजा, नृप । -कपाल-पु० नमाज-स्त्री० [फा०] मुसलमानोंकी ईश्वरोपासना ।-गाह मनुष्यकी खोपड़ी। -केशरी(रिन्),-केसरी-(रिन्)-पु०, स्त्री० मस्जिदमें नमाज पढ़नेकी जगह ।
पु०विष्णुके अवतार नृसिंह; सिंह जैसा पराक्रमी मनुष्य । नमाना*-स० क्रि० झुकाना; शमें लाना ।
-केहरी-पु० दे० 'नरकेशरी' । -तात-पु० राजा । नमित-वि० [सं०] झुका हुआ; झुकाया हुआ।
-दारा-पु० जनखा, नपुंसक । -देव-पु० राजा; नमी-स्त्री० [फा०] तरी, सीलन ।
ब्राह्मण । -द्विट् (प)-पु० राक्षस । - नाथ,-नायकनमूना-पु० [फा०] किसी वस्तुका वह छोटा या थोड़ा
पु० राजा। -नारायण-पु० नर और नारायण-अर्जुन अंश जिससे अंशीका गुण, स्वरूप आदि जाना जाय, और कृष्ण जिन्हें एक ही सत्त्वके दो रूप मानते है । बानगी; वह वस्तु जिससे उस ढंग या जातिकी अन्य -नारी-स्त्री० अर्जुनकी स्त्री द्रौपदी; पुरुप-स्त्री।-नाहवस्तुओंका गुण, स्वरूप आदि जाना जायः वह जिसका पु. राजा। -नाहर-पु० [हिं०] दे० 'नरकेशरी'। अनुकरण किया जाय, आदर्श खाका ।
-पति-पु० राजा । -पद-पु० दे० 'जनपद'।-पशुनम्य-वि० [सं०] जो झुक सके।
पु० पशुतुल्य मनुष्य । -पाल-पु० राजा।-पिशाचनम्यता-स्त्री० [सं०] (प्लायेविलिटी) मोड़े जाने या झुका पु० पिशाचकी तरह कर स्वभाववाला मनुष्य, बहुत बड़ा दिये जानेपर वैसा ही रह जानेका गुण ।
नीच मनुष्य । -पुंगव-पु० श्रेष्ठ मनुष्य । -बलिनम्र-वि० [सं०] झुका हुआ, नत; विनीत; वक। स्त्री० मनुष्योंकी बलि । -भक्षी (क्षिन),-भुक् (ज)नय-पु० [सं०] ले जाने या नेतृत्व करनेकी क्रिया; नीति पु० मनुष्योंको खानेवाला, राक्षस । -मेध-पु० मनुष्योंराजनीति; नम्रता; व्यवहार, बर्ताव; सिद्धांत, मत; दूर- की बलि । -यंत्र-पु० समय जाननेका एक प्रकारका दर्शिता; नैतिकता; योजना । वि० नेतृत्व करनेवाला; उप- प्राचीन यंत्र, धूपघड़ी। -यान,-रथ-पु० मनुष्य द्वारा युक्त, उचित । * स्त्री० नदी ।-कोविद,-ज्ञ-वि० नीति खींची या ढोयी जानेवाली सवारी (डोली, पालकी, जाननेवाला, नीतिनिपुण । -चक्षु(स्)-वि० दूरदशी, रिक्शा इ०)। -लोक-पु० मर्त्यलोक; मनुष्य जाति । नीतिज्ञ । -नागर-वि० नीतिनिपुण । -नेता(त)-पु० -वध-पु० नरहत्या। -वर-पु० श्रेष्ठ मनुष्य । बहुत बड़ा राजनीतिश ।-पीठी-स्त्री० शतरंजकी बिसात । -वाहन-पु० कुबेरदे० 'नरयान'। -ध्याघ्र-पु० -विद,-विशारद-पु० राजनीतिका ज्ञाता। -शील श्रेष्ठ पुरुष; एक जलजंतु जिसका ऊद्व भाग बाध
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