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नजरना-नथनी
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प्रजावर्गके लोग राजाओं या बड़े जमीदारोंको दरबार, | नटखट-वि० उपद्रवी, चंचल, शरीर, पाजी। त्योहार या किसी अन्य विशिष्ट अवसरपर भेंट करते हैं; नटखटी-स्त्री० पाजीपन, शरारत । चढ़ावा। -अंदाजी-स्त्री० जाँच, परख । -बंद-वि० | नटता-स्त्री० [सं०] नटका भाव या कार्य । जो किसी स्थानमें कड़ी निगरानीमें रखा गया हो और नटन-पु० [सं०] नाचना; अभिनय करना। जिसे निश्चित सीमाके बाहर जानेकी आशा न हो, जिसे नटना*-अ० क्रि० अभिनय करना नजरबंदीकी सजा दी गयी हो। पु० नजरबंदीका खेल कहकर फिर इनकार करना, मुकरना; नष्ट होना । स० दिखानेवाला जादूगर । -बंदी-स्त्री. वह सजा जिसके क्रि० बिगाड़ना, नष्ट करना । अनुसार किसीको किसी स्थानमें कड़ी निगरानीमें रखते नटनि*-स्त्री० नर्तन, नृत्य; इनकार, मुकरना। हैं और निश्चित सीमाके बाहर जानेकी अनुमति नहीं | नटनी-स्त्री० दे० 'नटिन'। दी जाती; नजरबंद होनेकी स्थिति; जादूका खेल जिसे नटसाल*-पु० नष्टशल्य, बाणकी गाँसी जो शरीरमें ही जादूगर दर्शकोंकी नजर बाँधकर किया करता हैं । बाग़- रह गयी हो; काँटेका वह हिस्सा जो निकल न सका हो; पु० घरसे मिला हुआ बाग । -व नियाज-पु. भेंट- पुनः पुनः उठनेवाली पीड़ा, टीस-'उठ सदा नटसाल लौं उपहार । -सानी-स्त्री० सुधार या संशोधनके लिए सौतिनके उर सालि'-बि० ।। किसी कार्य या लेखको देखना । मु०-अंदाज करना- नटिन, नटिनी-स्त्री० नटकी स्त्री; नट जातिकी स्त्री। दृष्टि न डालना; नापसंद करना ।-आना-दिखाई देना। नटी-स्त्री० [सं०] नाट्य करनेवाली स्त्री, अभिनेत्री प्रधान -पर चढ़ना-(किसीका) कोपभाजन होना; पसंद आ अभिनेत्री, सूत्रधारकी स्त्री; नट, अभिनेताकी स्त्री; वेश्या; जाना । -बदलना-रुष्ट होना; इरादा बदलना। नट जातिकी स्त्री; एक रागिनीः नखो नामक गंधद्रव्य । -बाँश्ना-मंत्र-प्रयोग आदिके द्वारा किसीको दृष्टि भ्रम नटेश, नटेश्वर-पु० [सं०] शिव । उत्पन्न कर देना। -लगना-बुरी दृष्टिका असर होना।। नटैया*-स्त्री० गला; गरदन । -लगाना-टोना करना।
नठना*-अ० क्रि० नष्ट होना। नजरना*-अ०क्रि० देखना । स०क्रि० नजर लगाना । नदना*-स० क्रि० गूंथना, पिरोना; कसना । नजरानना*-स० क्रि० नजर करना, भेटमें देना, उपायन- नत-वि० [सं०] नम्रीभूत, झुका हुआ; टेढ़ा । पु०मध्यंदिनके रूपमें देना; नजर लगाना ।
रेखासे किसी ग्रहकी दूरी; तगरमूल । -द्रुम-पु० लतानज़राना-पु० भेटमें दी जानेवाली वस्तु; उपायन, उप- शाल नामक वृक्ष । -पाल-पु० शरणागतका पालन करने हार । अ० क्रि० नजर लग जाना। स० क्रि० नजर वाला, प्रणतपाल । -मस्तक-वि० जिसका सिर झुका लगाना।
हुआ हो। नजरि*-स्त्री० दे० 'नजर' ।
नत*-अ० दे० 'नतु'। नज़ला-पु० [अ०] जुकाम, प्रतिश्याय, सरदी।
नतइता-पु० दे० 'नतेत'। नज़ाकत-स्त्री० [फा०] सुकुमारता ।
नतर, नतरकी-अ० दे० 'नतरु' । नजात-स्त्री० [अ०] मुक्ति, छुटकारा ।
नतरु*-अ० नहीं तो, अन्यथा । नज़ामत-स्त्री० [सं०] नाजिमका पद नाजिमका महकमा | नतांग-वि० [सं०] जिसका बदन झुका हो। या दफ्तर प्रबंध, इंतजाम ।
नतांगी-स्त्री० [सं०] स्त्री, नारी। नज़ारत-स्त्री० [अ०] नाजिरका पदः नाजिरका महकमा नति-स्त्री० [सं०] नम्र होना, झुकना; नमन, नमस्कार; या दफ्तर ।
विनय, टेढ़ापन; झुकाव । नज़ारा, नज्जारा-पु० [अ०] दृश्य; नजर; देखना। नतिनी-स्त्री० बेटीकी बेटी। नजिकाना*-अ० क्रि० पास पहुंचना, निकट पहुँचना। । नतीजा-पु० [फा०] फल, परिणाम; परीक्षाफल । नजीक*-अ० समीप, पास ।
नतु*-अ० नहीं तो, अन्यथा । नज़ीर-स्त्री० [अ०] उदाहरण, दृष्टांत, मिसाल; किसी मुक- नतैता-पु० रिश्तेदार, नातेदार । दमेका वह फैसला जो उसी ढंगके दूसरे मुकदमे में मिसाल- | नतैनी*-स्त्री० नाता, संबंध, रिश्ता। के तौरपर पेश किया जाय ।
नतोदर-वि० [सं०] (कॉन्केव) जिसका ऊपरी हिस्सा चारों नजूम-पु० [अ०] ज्योतिष ।
__ ओरसे भीतरकी ओर झुका हुआ हो । नजूल-पु० [अ०] सरकारी जमीन ।
नत्थी-स्त्री० कागज या कपड़ेके बहुतसे टुकड़ोंको एकमें नट-पु० [सं०] नाट्य करनेवाला, अभिनेता; गा-बजाकर गूंथना; एकमें गुंथे हुए कागज या कपड़ेके टुकड़े; मिसिल । या तरह-तरहकी कसरतें या खेल-तमाशे आदि दिखाकर नथ-स्त्री० नाकमें पहननेका बालीकी शकलका एक गहना। जीवनयापन करनेवाली एक जाति । -राज-पु० कृष्ण; नथना-अ० क्रि० नत्थी होना, नाथा जाना छेदा जाना। शिवः कुशल नट । -वर-पु० प्रधान नट, सूत्रधार; अति पु० नाकके छेदोंका आगेकी ओरका ऊपरी पर्दा जो साँस कुशल नट; कृष्ण जो नाट्यके आचार्य माने जाते है । वि० खींचने और छोड़ने में पचकता और फूलता रहता है; चतुर, चालाक । -सार,-सारा*-स्त्री० दे० 'नाट्य- | शाला'। -सारी*-स्त्री० बाजीगरी।
नथनी-स्त्री. छोटी नथ, बैल, भैसकी नाकमें पहनायी नई-स्त्री० गला; गलेकी घंटी।
| जानेवाली रस्सी; तलवारकी मूठपरका छला; नथके
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