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दिग्गयंद-दिनांत
३५६ प्रत्येक दिशामें स्थित माना जाता है।
दित्सा-स्त्री० [सं०] देने या दान करनेकी इच्छा।-प्रस्ताव दिगगयंद-पु० दिग्गज ।
-पु० (ऑफर) किसीको कोई सहायता, धन था अन्य दिग्ध-वि० दे० 'दीर्घ'।
वस्तु देनेको तैयार हो जाना, जिसे स्वीकार करना, न दिग्जय-स्त्री० [सं०] दे० 'दिग्विजय' ।
करना उसकी इच्छापर निर्भर हो। दिग्दंती(तिन्)-पु० [सं०] दिग्गज ।
दिसु-वि० [सं०] जिसे देने या दान करनेकी इच्छा हो। दिग्दर्शक यंत्र, दिग्द्योतक यंत्र-पु० [सं०] दिशाका शान दिदृक्षा-स्त्री० [सं०] देखनेकी इच्छा । करानेवाला एक यंत्र जिसकी सुईकी नोक सदा उत्तरकी दिक्ष-वि० [सं०] देखनेका इच्छुक । ओर रहती है, कुतुबनुमा, कंपास ।
दिन-पु० [सं०] सबेरेसे शामतकका समय; सूर्योदयसे दिग्दर्शन-पु० [सं०] सामान्य परिचय, सामान्य ज्ञान । सूर्योदयतकका चौबीस घंटेका समय समय, काल; मिति, दिशाका शान कराना; कुतुबनुमा ।
तिथि तारीख, नियत समय कालविशेष ! * अ० सदा । दिग्दाह-पु०[सं०] एक उत्पात जिसमें असमय में दिशाओंमें -अर*-पु० :सूर्यः आक, मदार । -कंत*-पु. ललाई छा जाती है और ऐसा ज्ञात होता है जैसे आग सूर्य ।-कर,-कर्ता(त),-कृत्-पु०सूर्य; आक, मदार । लगी हो।
-कर-कन्या-स्त्री० यमुना; तापती। -कर-तनय-पु. दिग्देवता, दिग्दैवत-पु० [सं०] दे० 'दिक्पति'। शनि; यम; कर्णः सुग्रीव । -कर-तनया-स्त्री० यमुना; दिग्बल-पु० [सं०] वह बल जो ग्रहोंके विशिष्ट दिशामें तापती । -कर-सुत-पु० दे० । 'दिनकरतनय' । स्थित होनेसे मिलता है।
-क्षय,-पात-पु० तिथिक्षय; सायंकाल । -चर्या-स्त्री० दिग्बली(लिन)-पु० [सं०] दिग्बलसे युक्त ग्रह । दिनभरका कार्य ।-चारी(रिन्)-पु० सूर्य |-दानी*दिग्भ्रम-पु० [सं०] दिशासंबंधी भ्रम, दिशाओंका न पह- पु० वह जो प्रतिदिन दान करता हो।-दिन-अ० प्रतिचाना जाना, दिशा भूल जाना।
दिन; कालक्रमसे । -दीप-पु० सूर्य। - नाथ,-नायक दिग्वसन, दिग्वस्त्र, दिग्वासा (सस)-पु०, वि० -पु० सूर्य ।-नाह*-पु० सूर्य ।-पंजी- स्त्री० (डायरी) [सं०] दे० 'दिगंबर'।
वह रजिस्टर (पंजी), कापी इत्यादि जिसमें प्रतिदिन किये दिग्विजय-स्त्री० [सं०] किसी राजाका दलबलके साथ गये कार्यादिका विवरण लिखा जाय, दैनंदिनी ।-पतिभूमंडलके अन्य समस्त राजाओंको घूम-घूमकर परास्त | पु० सूर्य। -पाल,-बंधु-पु० सूर्य ।-मणि-पु० सूर्य । करना किसी विशिष्ट विद्वान्, मतप्रचारक या गुणीका '-मान-पु० सूर्योदयसे सूर्यास्ततकके समयका मान । सभी प्रतिद्वंद्वियोंको हराकर संसार में अपनी धाक जमाना। -मुख-पु० प्रातःकाल, सबेरा। -राइ,-राउ*-पु० दिग्विजयी(यिन)-वि० [सं०] दिग्विजय करनेवाला, सूर्य - -राज-पु० सूर्य। -रात-[हिं०],-रैन -अ० जिसने दिग्विजय की हो।
सदैव, सर्वदा। -विकृति-विवरण-पु. (वेदर रिपोर्ट) दिग्विभावित-वि० [सं०] जिसकी ख्याति सभी दिशाओं- दिन-रातमें होनेवाले ताप, शीत, वर्षादि-संबंधी विकारोंका में फैली हो।
विवरण, मीसिमका हाल । -शेष-पु० संध्या, सायंकाल, दिग्व्याप्त-वि० [सं०] सभी दिशाओं में व्याप्त ।
शाम । मु०-काटना-किसी तरह निर्वाह करना ।-को दिङनाग-पु० [सं०] दिग्गज ।
तारे दिखाई देना-दुःखकी.प्रबलताके कारण होश ठिकाने दिङनाथ-पु० [सं०] दे० 'दिक्पति' ।
न रहना । -को दिन, रातको रात न समझना-काम दिङमंडल-पु० [सं०] दिशाओंका समूह; क्षितिज । करनेकी धुनमें अपने स्वास्थ्य आदिका खयाल न करना। दिच्छा-स्त्री० दे० 'दीक्षा'।
-को रात कहना-उलटी बात कहना ।-गिनना-प्रतीक्षा दिच्छित, दिछित*-वि० दे० 'दीक्षित' ।
करना ।-चढ़ना-मासिकधर्मका टल जाना, गर्भवती होनेदिजराज*-पु० दे० 'द्विजराज' ।
की संभावना होना; उदयके पश्चात् सूर्यका आकाशमें कुछ दिजोत्तम*-पु० दे० 'द्विजोत्तम'।
और ऊपर आना ।-चढ़े-सबेरा होनेके काफी देर बाद । दिठवन-स्त्री० दे० 'देवोत्थान' (एकादशी)।
-डबना-संध्या होना, सूर्यास्त होना ।-ढलना-सूर्यदिठादिठी-स्त्री० देखादेखी, साक्षात्कार ।
का अस्ताचलगामी होना ।-दहाड़े-दिनमें खुले तौरपर, दिठौना-पु. वह चिह्न जो बच्चोंको कुदृष्टिसे बचानेके लिए खुले खजाने । -दुना, रात चौगुना होना या बढ़ना
काजलसे उनके गाल या मस्तकपर बना दिया जाता है। शीघ्रतासे और बहुत अधिक उन्नति करना। -धरनादिढ़*-वि० दे० 'दृढ'।
दिन नियत करना, तारीख मुकरर करना । -धरानादिढ़ता*-स्त्री० दे० 'दृढता'।
दिन नियत कराना। -निकलना या होना-सूर्योदय दिवाई*-स्त्री० दे० 'दृढता' ।
होना, सबेरा होना। -फिरना-भले दिन आना, सुखके दिढ़ाना-स० क्रि० दृढ़ करना, पक्का करना।
दिन आना। दिढ़ाव*-पु० दृढ़ बनाना; समर्थन करना हढता। दिनांक-पु० [सं०] (डेट) गणनाके अनुसार किसी वर्षके दित-वि० [सं०] कटा हुआ, खंडित; विभक्त । | किसी महीनेका वह दिन जब कोई घटना हुई हो या पत्र, दिति-स्त्री० [सं०] दैत्योंकी माता जो दक्ष प्रजापतिकी लेखादि लिखा गया हो, तिथि । कन्या और कश्यपकी पत्नी थी। -ज-तनय,-पुत्र,- दिनांकित-वि० [सं०] (डेटेड) दे० 'तिथित' । सुत-पु० असुर, दैत्य ।
| दिनांत-पु० [सं०] संध्या, शाम ।
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