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दीपित-दुःख स्पष्ट करनेवाली पुस्तक ।
दीर्घावकाश-पु० [सं०] (वैकेशन) न्यायालयों या विद्यादीपित-वि० [सं०] दीप्त, प्रज्वलित, प्रभासित; उत्तेजित ।। लयोंके दो सत्रोंके बीचकी लंबी छुट्टी। दीपोत्सव-पु० [सं०] दीवाली ।
दीर्घास्य-पु० [सं०] हाथी। वि० जिसका मुंह बड़ा हो। दीप्त-वि० [सं०] दे० 'दीपित' ।
दीर्घिका-स्त्री० [सं०] जलाशयका एक भेद, वापी । दीप्ति-स्त्री० [सं०] प्रभा, द्युति, चमक; कांति, छटा। दीर्ण-वि० [सं०] विदारित, फाड़ा हुआ; फटा हुआ। -प्रसारण,-विकिरण-पु० (रैडियेशन) प्रकाशकी किरणें दीवट-स्त्री० दीपक रखनेका लकड़ी आदिका आधार । चारों ओर प्रसारित करना, फैलाना ।
दीवा*-पु० दे० 'दीया'। दीप्तिमान् (मत्)-वि० [सं०] प्रभायुक्त, कांतिमान् , दीवान-पु० [फा०] शाही दरबार या अदालत, आस्थानशोभन ।
मंडप; राजा या बादशाहकी बैठक; प्रधान मंत्री; वह दीप्यमान-वि० [सं०] प्रकाशमान, चमकता हुआ। पुस्तक जिसमें गजलें संगृहीत हों। -आम,-आलम-पु. दीमक-स्त्री० एक तरहकी सफेद चींटी जो कागज, लकड़ी | बादशाह या राजाका वह दरबार जिसमें सर्वसाधारण अदिके लिए बहुत हानिकर है।
प्रवेश पा सकें। -खाना-पु० बैठक; बाहरी लोगोंसे दीयट-स्त्री० दे० 'दीवट'।
मुलाकात करनेकी जगह । -ख़ास-पु० बादशाह या दीया-पु० तेल या घीके योगसे जलनेवाली बत्तीका आधार; राजाका वह दरबार जिसमें गिने-चुने लोग सम्मिलित हों। मिट्टीका छोटा छिछला पात्र जिसमें बत्ती जलाते हैं। | दीवानगी-स्त्री० [फा०] दे० 'दीवानापन' । -बत्ती-स्त्री० दीया जलानेका कार्य । -सलाई-स्त्री० दीवाना-वि० [फा०] पागल, विक्षिप्त, सनकी । -पनदे० 'दिया-सलाई'।मु०-जलनेके समय-संध्या समय । पु० दीवाना होनेका भाव, पागलपन, सनक । -ठंडा करना-दीपकको बुझादेना। -ठंडा होना-दीपक दीवानी-स्त्री० [फा०] वह अदालत जिसमें रुपये और बुझना । -दिखाना-(किसीके) सामने आलोक करना । जायदादके मुकदमोंकी सुनवाई होती है; दीवानका पद । -बत्तीका समय-दीया जलानेका समय, सायंकाल । दीवार-स्त्री० [फा०] मिट्टी; ईट आदिका बनाया हुआ -लेकर हूँढना-बड़े परिश्रमसे खोजना।
परदा या घेरा, भीत। -गीर-स्त्री० दीवार में लगाया दीरघ-वि० दे० 'दीर्घ'।।
हुआ दीया रखनेका आधार दीवार में लगानेका लैप। दीर्घ-वि० [सं०] (देश और काल दोनोंकी दृष्टिसे) बड़ा; दीवाल-स्त्री० [फा०] दे० 'दीवार'। . ऊँचा, आयत; गहरा (जैसे श्वास); विस्तृत; लंबा गुरु दीवाली-स्त्री० कात्तिककी अमावास्याको पड़नेवाला हिंदु. (मात्रा)। पु० ऊँट; गुरु मात्रा (आ, ई आदि)।-काय- ओंका एक त्योहार जिसमें दीपक जलाये जाते है । वि० लंबा। -गति-पु० ऊँट (जिसके डग बहुत बड़े होते दीसना-अ० क्रि० दिखाई देना, दृष्टिगत होना । हैं)। -ग्रीव-पु० ऊँट सारस । वि० लंबी गरदनवाला। दीह*-वि० दीर्घ; लंबा; बड़ा। -जिह-पु० सर्प । -जीवी(विन)-वि० जो बहुत दिनों दंद*-पु० दो व्यक्तियोंका युद्ध या कलह, ऊधम, उत्पात तक जीये, चिरजीवी। -दर्शी(शिन)-पु० भालू गीध। युगल, जोड़ा; नगाड़ा, डंका । अ० ठक-ठक । वि० जो बहुत दूरतककी बात सोचे या सोच सके, दूर-दुंदभ*-पु० जन्म-मरणादिका क्लेश । दशी। -दृष्टि-पु. गीध । वि० दूरदर्शी। -निद्रा- म-पु० [सं०] एक तरहका नगाड़ा। स्त्री० बहुकालव्यापी निद्रा; मृत्यु । -नि:श्वास-पु० दुंदु-पु० [सं०] एक तरहका नगाड़ा; कृष्णके पिता वसुदेव; शोक या दुःखके कारण ली जानेवाली लंबी साँस ।-बाह | * जन्म-मरण आदि कष्ट । -वि० जिसकी भुजा लंबी हो। -रद-पु० शूकर । वि० दुंदुभ-पु० [सं०] डंका, दुंदुभि पानीमें रहनेवाला साँप जिसके दाँत बड़े हों। -वक्त्र-पु० हाथी। वि० जिसका | * जन्म-मरणादिका कष्ट । मुँह लंबा हो। -सत्र-पु. बहुत दिनोंतक चलनेवाला दुदुभि-खी० [सं०] डंका, नगाड़ा । पु० वरुण; एक दैत्य । यश ऐसा यज्ञ करनेवाला व्यक्ति ।-सूत्रता-स्त्री. प्रत्येक दुंदुभी-स्त्री० नगाड़ा। कार्यको देर में करनेकी आदत; (रेड टेपिज्म) सार्वजनिक दुदुर-पु० चूहा । कार्योंके संबंधमें सरकारी कर्मचारियों द्वारा अत्यधिक औप- दुदुह*-पु० दे० 'डिडिम' । चारिकताके कारण की जानेवाली देर । -सूत्री(विन) दुबक-पु० [सं०] एक प्रकारका भेढ़ा, दुबा । -वि० जो प्रत्येक कार्यको देरमें करे, जो आरंभ किये हुए दुबा-पु० एक प्रकारका मेढ़ा जिसकी पूँछ सिरेपर गोल, कार्यमें उचितसे अधिक समय लगाये।
मोटी और चौड़ी होती है। दीर्घा-स्त्री० [सं०] लंबा तालाब; भवनके भीतर दर्शकोंके दुकुंत*-पु० दे० 'दुष्यंत'।
बैठनेके लिए बना हुआ लम्बा-सा ऊँचा स्थान (गैलरी) दुःख-पु० [सं०] कष्ट, कुश, तकलीफ। -कर-वि० दीर्घाकार-वि० [सं०] बड़े आकारका ।
दुःख पहुँचानेवाला, कष्टप्रद । -ग्राम-पु० संसार दीर्धाध्वग-पु० [सं०] दूत, हरकारा।
दुःखोंका समूह । -त्रय-पु० आधिभौतिक, आधिदैविक दीर्घायु-पु० [सं०] कौआ सेमरका पेड़ मार्कण्डेय ऋषि ।। और आध्यात्मिक-ये तीन प्रकारके दुःख । -द-वि० वि० दीर्घजीवी, लंबी आयुवाला।
दुःख पहुँचानेवाला, क्लेशकर । -दग्ध-वि० जो बहुत दीर्घायुध-पु० [सं०] भाला; सूअर; साही। वि० जिसके दुःखमें हो, भीषण कष्टमें पड़ा हुआ। -दाता()-पु० पास बड़ा अस्त्र हो।
। वह व्यक्ति जो कष्ट पहुँचाये । -दायका-दायी(यिन्)
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