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देखनि-देव बाँचना; संशोधन करना; प्रतीकार करना; निबटना; किसी लिए किये जानेवाले हवन-पूजनादि कृत्य; देवाऔर दृष्टि फेरना, ध्यान देना।
भिलपित कार्य । -काष्ठ-पु. देवदारु ।-गणिका-स्त्री० देखनि*-स्त्री० देखनेकी क्रिया या भाव ।
अप्सरा ।-गति-स्त्री० ऐसी सद्गति जिसे प्राप्त कर मृत देखराना-सक्रि० दे० 'दिखलाना।
व्यक्ति देवरूप हो जाता है। -गन*-पु० देवताओंका देखरावना*-स० क्रि० दे० दिखलाना।
समूह । -गिरा-स्त्री० देववाणी, संस्कृत । -गिरि-पु० देखाऊ-वि० जो केवल देखनेभरको हो, नकली, बनावटी। एक पर्वत; दक्षिण भारतका एक प्राचीननगर (दौलताबाद)। देखादेखी-स्त्री० एक दुसरेको देखनेकी क्रिया, साक्षात्कार। -गुरु-पु० कश्यप; बृहस्पति । -चर्या-स्त्री० देवताका अ० (किसीको) करते देखकर, अनुकरणके रूपमें ।
पूजन-अर्चन । -चिकित्सक-पु. अश्विनीकुमार; दोकी देखाना*-स० क्रि० दे० 'दिखाना'।
संख्या। -ठान -पु० दे० 'देवोत्थान'। -तरु-पु० देखाव-पु० दिखलानेका भाव या दंग; सज-धज, तड़क- देववृक्ष-इनके नाम है-मंदार, पारिजात, संतान, कल्पभड़क, बनाव-सिंगार।
वृक्ष और हरिचंदन; पीपल । -तर्पण-पु० देवताओंको देखावट-स्त्री० दे० 'देखाव' ।
जल देनेकी क्रिया ।-त्रयी-स्त्री०तीन देवताओंका-ब्रह्मा, देखावना-स० क्रि० दे० 'दिखाना'।
विष्णु और महेशका-समूह । -दत्त-पु० अर्जुनके देखौआ-वि० दे० 'देखाऊ'।
शंखका नाम; गौतम बुद्धका चचेरा भाई (यह उनका देग़-पु० [फा०] खाना पकानेका ताँबेका बड़ा बरतन । द्रोहीथा) । वि० देवताको समर्पित देवताका दिया हुआ।
-चा-पु० छोटा देग। -ची-स्त्री० छोटा देगचा । -दर्शन-पु० देवताका दर्शन; एक ऋषि, नारद । देदीप्यमान-वि० [सं०] चमकता हुआ, जाज्वल्यमान । -दार*-पु० देवदारु । -दारु-पु० एक प्रसिद्ध पहाड़ी देन-स्त्री० देनेकी क्रिया या भाव; दी हुई वस्तु । पु० [अ०] पेड़ जिसकी लकड़ी कड़ी, हल्की और पीले रंगकी होती है। कर्ज । -दार-वि० कर्जदार, ऋणी; आभारी। -लेन- -दास-पु० देवालयमें काम करनेवाला नौकर ।-दासी पु० सूदपर रुपया देनेका व्यवहार, महाजनीका व्यवसाय।। -स्त्री० नाच-गाकर देवता या देवालयकी सेवा करनेवाली -हार,-हारा*-वि० देनेवाला ।
स्त्री, देवमंदिरकी नर्तकी; वेश्या। -दीप-पु० देवताके देना-स० क्रि० किसी वस्तुपरसे अपना स्वामित्व हटाकर | निमित्त जलाया जानेवाला दीप; नेत्र, लोचन । -दतदूसरेको उसका स्वामी बनाना, प्रदान करना; समर्पित पु० देवता या ईश्वरका दूत, पैगंबर; फरिश्ता । -द्रम करना; सी पना; मिलाना, डालना; खींचना; लगाना; -पु० दे० 'देवतरु' । -धानी-स्त्री० इंद्रपुरी। -धाम रखना; मारना, रसीद करना; पैदा करना, जनना; -पु० तीर्थ स्थान |-धुनी-स्त्री० गंगा कोई पवित्र नदी । हवाले करना, थमाना अनुभव कराना; पहुँचाना । ( यह -धेनु-स्त्री० कामधेनु । -नदी-स्त्री० गंगा पुण्यतोया क्रिया अन्य क्रियाओंके साथ प्रायः संयोजिका क्रियाके नदी । -नागरी-स्त्री० एक प्रसिद्ध लिपि जिसमें संस्कृत, रूपमें प्रयुक्त होती है । ) पु० कर्न, ऋण ।
हिंदी, मराठी आदि भाषाएँ लिखी जाती हैं। -नायकदेमान*-पु० दे० 'दीवान'।
पु० इंद्र । -पति-पु० इंद्र। -पथ-पु० छायापथ, देय-वि० [सं०] देने योग्य, दातव्य । पु० देना, ऋण । आकाश । -पालित-वि० देवता द्वारा रक्षित । -पुरदेयादेय-फलक-पु० [सं०] (बैलेंस-शीट) किसी व्यापारिक पु०,-पुरी-स्त्री० इंद्रकी नगरी, अमरावती। -बधूसंस्था आदिका, समय-समयपर तैयार किया जानेवाला, स्त्री० देवांगना; अप्सरा। -भाग-पु. यज्ञादिमें देवसमस्त देयों और आदेयों (पावनों तथा संपत्ति) का संक्षिप्त विशेषको दिया जानेवाला भाग; संपत्तिका वह भाग जो लेखा जिससे उसकी आर्थिक स्थितिका पता चले, चिट्ठा। देवकार्यके लिए अलग कर दिया गया हो। -भाषादेयासिनि*-स्त्री० झाड़-फूक करनेवाली (विद्यापति)। स्त्री० संस्कृत। -भिषक(ज)-पु० अश्विनीकुमार । देर-स्त्री० [फा०] उचितसे अधिक समय, विलंब, कालाति- -भू-भूमि-स्त्री० स्वर्ग । -भोज्य-पु० अमृत । पात; समय, वक्त।
-मणि-पु० कौस्तुभ मणि; सूर्य। -माता-स्त्री० देवदेरानी*-स्त्री० देवरानी।
ताओंकी माता, अदिति । -मान-पु० काल गणनाका देरी-स्त्री० दे० 'देर'।
वह मान जो देवताओंके संबंध में काममें लाया जाता हैदेव-पु० [फा०] दैत्य, दानवः भीमकाय मनुष्यः [सं०] जैसे मनुष्यका एक सौर वर्ष देवताओंके एक दिनके बरास्वर्गमें विचरण करनेवाला दिव्य शक्ति-संपन्न अमर प्राणी, बर होता है। -मास-पु० गर्भका आठवाँ महीना देवता; परमात्मा; इंद्रा मेघ; राजा; भव्य शरीरवाला देवताओंका महीना जो तीस सौर वर्ष के बराबर होता व्यक्ति; ब्राह्यगोंकी एक उपाधि, पूज्य व्यक्तियों तथा है। -यज्ञ-पु. वह हवन जो गृहस्थोंके पाँच नेत्यिक राजाओंके लिए आदरसूचक संबोधन; * देवर-'देव जेठ । यशोंमेंसे एक है। -यानी-स्त्री० शुक्राचार्यकी कन्या जो सब संगिहु मानौ'-राम। -ऋण-पु. एक प्रकारका कचके शापवश ययातिको ब्याही गयी थी। -युग-पु० शास्त्रोक्त ऋण जिससे मुक्त होनेके लिए देवताओंके । सत्ययुग । -योनि-स्त्री० देवता-जाति; देवताओंकी निमित्त यश, उपवास, व्रत आदि करना विहित है। कोटिमें गिने जानेवाले विद्याधर, अप्सरा आदि दस उप-ऋषि-पु० नारद आदि देवकल्प ऋपि । -कन्यका, देव । -राज-पु० इंद्र राजा; बुद्ध । -रानी*-स्त्री० -कन्या-स्त्री० देवताकी पुत्री; (ला०) अत्यंत रूपवती | इंद्राणी; दे०क्रममें ।-राय*-पु० इंद्र ।-रिपु-पु०असुर। तरुणी। -कर्म(न),-कार्य-पु० देवताओंकी तुष्टिके -लोक-पु० देवताओंका लोक, स्वर्ग; भूः भुवः आदिः
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