________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
३७५
इंदर* - वि० झगड़ा करनेवाला; उलझनेवाला । पु० संसार । द्वंद्व - पु० [सं०] युगल, युग्म, जोड़ा; दो व्यक्तियोंका परस्पर युद्ध, कलह, संघर्ष, झगड़ा; स्त्री-पुरुषका, नर-मादाका जोड़ा, मिथुन, समासका एक भेद ( व्या० ) । -चरपु० चकवा | वि० युग्मरूपमें चलनेवाला; जो सदा अपनी मादा के साथ रहे । -चारी (रिन् ) - पु० चकवा | - युद्ध - पु० दो व्यक्तियोंका पारस्परिक युद्ध द्वय - वि० [सं०] दो । पु० युग्म, जोड़ा (समासांत में) । द्वा- वि० [सं०] 'द्वि'का समासगत रूप । - दश- वि० बारह; वारहवाँ | -दशी - स्त्री० पक्षकी बारहवीं तिथि । - दस - वि० [हिं०] दे० 'द्वादश' । - दस बानी - स्त्री० दे० 'वारहवानी' |
द्वादशांग - पु० [सं०] गुग्गुल, चंदन, तेजपात आदि बारह वस्तुओं के योगसे बना हुआ एक हवनीय द्रव्य । द्वादशाक्षर - पु० [सं०] विष्णुका बारह अक्षरोंका मंत्र-ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।
द्वादशाह - पु० [सं०] बारह दिनोंका समुदाय; बारह दिनों में समाप्त होनेवाला एक यश; मरण- तिथिसे बारहवें दिन किया जानेवाला श्राद्ध ।
द्वार - पु० [सं०] मकान, कमरे आदिको दीवार में बनाया हुआ भीतर-बाहर आने-जानेका विशेष प्रकारका छिद्र; वह मार्ग जिसके द्वारा इंद्रियाँ अपने विषयोंका ग्रहण करती हैं; माध्यम, साधन - कंटक - पु० दरवाजेकी किल्ली, सिटकिनी । कपाट-पु० दरवाजेका पल्ला । -चार - पु० [हिं०] विवाह के अवसरपर लड़कीवालेके दरवाजेपर होनेवाली एक रस्म । - छँकाई - स्त्री० [हिं०] एक वैवाहिक रीति जिसमें बहन कोहबर के द्वारपर विवाहोपरांत वधू सहित घर लौटे हुए भाईका मार्ग रोकती है; इस रीतिके उपलक्ष्य में बहनको मिलनेवाला नंग - ताल - पु० ( लॉकआउट ) दे० ' तालाबंदी | - नायक, -प-पु० द्वारपाल । -पटी-स्त्री० दरवाजेपर लगा हुआ परदा; चिक । - पाल, पालक - पु० ड्योढ़ी पर नियुक्त सिपाही या पहरेदार, द्वाररक्षक, ड्योढ़ीदार | - पूजा - स्त्री० विवाहके पहले दिनकी एक रीति जिसमें कन्यादान करनेवाला व्यक्ति बराऩके साथ द्वारपर आये हुए बरकी पूजा करता है। -स्थ- पु० द्वारपाल । मु०खुलना- किसी बातके जारी रहनेका रास्ता निकल आना । - खुला होना - प्रवेश आदिमें कोई हिचक या बाधा न होना ।
द्वारका, द्वारिका - स्त्री० [सं०] काठियावाड़की एक प्राचीन
जसे कृष्ण बसाया था। इसकी गणना चारों धामों में । - नाथ, पति - पु० कृष्ण; द्वारिकामें स्थित उनकी मूर्ति
द्वारकाधीश - पु० [सं०] दे० 'द्वारकानाथ' | द्वारवती, द्वारावती-स्त्री० [सं०] दे० 'द्वारका' । द्वारा - अ० साधक होनेसे या साधक बनानेसे, कर्तृत्वसे, जरिये, मारफत । * पु० दे० ' द्वार' |
द्वाराधिप - पु० [सं०] द्वारपाल । द्वारिक - पु० [सं०] द्वारपाल । द्वारी * - स्त्री० छोटा द्वार ।
२४-क
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
इंदर - द्विरुक्ति
द्वि- वि० [सं०] दो । -ककार - पु० काक (कौआ); कोक चकवा ) । - ककुद् - पु० ऊँट । -कर्मक- वि० दो कर्मोंवाली (क्रिया) । -गु-पु० समासका एक उपभेद ( व्या० ) । वि० दो गायोंवाला । -गुण- वि० दुगना, दूना । - गुणित - वि० दुगना किया हुआ । -चक्रयान- पु० (बाइसिकल) रबड़ के टायरोंवाली दो पहियोंकी गाड़ी जो पैडल घुमानेसे चलती है, साइकिल, पैरगाड़ी । - ज - पु० दे० ' क्रममें' | - जन्मा (न्मन्) - ५० दे० 'द्विज' । - जाति - स्त्री० दे० 'द्विज' | - जिह्व - पु० सर्प सूचक, चुगलखोर; खल, दुष्ट । - दल - वि० दो दलोंवाला; दो पत्तोंवाला । पु० दो दलोंवाला अनाज-जैसे अरहर, मटर, चना आदि; दाल । - धातुता - स्त्री०, धातुत्व-पु० (बाइमेटलिज्म) सोने तथा चाँदी दोनों ही धातुओंकी मुद्राका समान विधिग्राह्य मुद्राके रूपमें प्रचलन । धात्वीय प्रणाली - स्त्री० (बाइमेटलिक सिस्टम) सोना, चाँदी दोनों धातुओंके सिक्कोंको निश्चित अनुपात के साथ, विधिग्राह्य मुद्रा माननेकी प्रणाली । - पक्षीय प्रसंविदा- स्त्री० (बाइलेटरल कांट्रैक्ट) दो पक्षोंके बीच होनेवाला इकरार या समझौता । -पदवि० दो पैरोंवाला; जिसमें दो चरण या पद हों । पु० दो पैरोंवाला जीव, मनुष्य आदि । - भाषी (पिन् ) - पु० दुभाषिया; दो भाषाएँ बोलनेवाला । - मातृ - मातृज - पु० गणेश; जरासंध । -रद- वि० जिसके दो दाँत हो । पु० हाथी । - रसन-पु० सर्प । वि० दो जीभोंवाला । -रेफ-पु० भ्रमर, भौंरा ( 'भ्रमर' शब्द में रकार दो बार आया है ) । - वचन - पु०व्याकरणमें दोका बोध करानेवाला वचन। - विध-वि० दो प्रकारका । -सदनात्मक - वि० (बाइमरल) विधानमंडल के दो सदनों (सभाओं) वाला। - सदस्य निर्वाची क्षेत्र - पु० (डबल मेंबर कांस्टिट्यूएंसी) वह निर्वाचन क्षेत्र जहाँसे दो सदस्य चुने जानेको हो । द्विज-पु० [सं०] संस्कृत ब्राह्मण; ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य जिनका यज्ञोपवीत संस्कार दूसरे जन्म के समान माना जाता है; पक्षी आदि अंडज जीव; दाँत; चंद्रमा । वि० जिसने दो बार जन्म लिया हो । - पति-पु०ब्राह्मण; गरुड; चंद्रमा । -राज-पु० ब्राह्मण; श्रेष्ठ ब्राह्मण; चंद्रमा; गरुड; कपूर ।
द्विजेंद्र, द्विजेश- पु० [सं०] दे० 'द्विजराज' | द्विजोत्तम पु० [सं०] द्विजों में श्रेष्ठ, ब्राह्मण ।
द्विट् (प) - वि० [सं०] शत्रु-भाव रखनेवाला | पु० शत्रु | द्वितीय - वि० [सं०] दूसरा । पु० पुत्र ( जिसके रूपमें आत्मा ही दूसरी बार जन्म लेती हैं); मित्र । द्वितीया - स्त्री० [सं०] पक्षकी दूसरी तिथि; पत्नी । द्वितीयाश्रम - पु० [सं०] गृहस्थाश्रम | द्वित्व - पु० [सं०] दो अथवा दोहरा होनेका भाव । द्विधा - अ० [सं०] दो प्रकार से; दो भागों में । द्विरागमन - पु० [सं०] पुनरागमन; विवाह के बाद वधूका पति के घर आना, गौना ।
द्विरुक्त - वि० [सं०] जो दो बार कहा या लिखा गया हो,
दो बार कथित; जो दो प्रकार से कहा गया हो; अनावश्यक । द्विरुक्ति - स्त्री० [सं०] दो बार कहने या उल्लेख करनेकी क्रिया, दो बार कहना |
For Private and Personal Use Only