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दंड देने तथा कारागृहकी व्यवस्था आदि संबंधी विद्या । - विधान- पु० दंडकी व्यवस्था, जुर्म और सजाका कानून । - विधि - स्त्री० दे० 'दंडविधान' । - व्यूह - पु० एक प्रकारकी व्यूहरचना जिसमें सेना के विविध अंग पॉस-पास कतारों में स्थित किये जाते थे । - शास्त्र - पु० जुर्म और सजाका कानून ।
दंडक - पु० [सं०] डंडा, सोंटा; हरिस; झंडेका डंडा; दंड देनेवाला, शासित करनेवाला; वह छंद जिसके प्रत्येक चरण २६ से अधिक अक्षर हों; दंडकारण्य । दंडकारण्य - पु० [सं०] विंध्यके दक्षिण एक प्राचीन वन जहाँ वनवास काल में रामने निवास किया था ।
दंडन - पु० [सं०] दंड देनेकी क्रिया, सजा देना, निग्रह | दंडना * - स० क्रि० दंडित करना, दंड देना । दंडनीय - वि० [सं०] दंड देने योग्य ।
दंडमान - वि० [सं०] दंडनीय |
दंडवत् - पु०, स्त्री० [सं०] डंडेकी तरह पृथ्वीपर पड़कर किया जानेवाला प्रणाम, साष्टांग प्रणाम ।
दंडात्मक - वि० [सं०] (प्यूनिटिव) ( सार्वजनिक उपद्रव आदि के कारण) क्षेत्र विशेष के लोगों को दंड देना ही जिसका उद्देश्य हो; दंड देनेकी गरजसे लगाया गया या बैठाया गया । - कर - पु० ( प्यूनिटिव टैक्स) दंड मा सजाके रूपमें लगाया गया कर, दंडकर, ताजीरी कर । दंडादंडि - स्त्री० [सं०] लाठियोंकी मार-पीट, वह मार-पीट जिसमें दोनों ओरसे लाठी चलती हो । दंडादेश - पु० [सं०] (सेंटेंस) किसी अपराधीको दंड देनेका न्यायाधीश द्वारा सुनाया जानेवाला आदेश या निर्णय । दंडादेशित - वि० [सं०] (सेंटेंस्ड) जिसे किसी अपराधके कारण न्यायालय ने दंडका आदेश दिया हो । दंडाधिकारी - पु० [सं०] ( मजिस्ट्रेट) फौजदारी मुकदमे सुनने और शासन प्रबंधका काम करनेवाला अफसर । दंडाधिप - पु० [सं०] स्थानविशेषका प्रधान शासक । दंडापूप - पु० [सं०] डंडा और पूआ । - न्याय- पु० एक तर्क-प्रणाली जिसके अनुसार आधेयरूप बात उसी प्रकार स्वतः सिद्ध मानी जा सकती है जिस प्रकार किसी डंडे के गायब हो जानेपर उसमें बँधे हुए पूएका गायब होना । डायमान- वि० [सं०] जो डंडेकी भाँति सीधा स्थित हो;
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खड़ा ।
दंडाई - वि० [सं०] दंड पाने योग्य ।
दंडालय - पु० [सं०] अदालत, न्यायाधिकरण । दंडित - वि० [सं०] जिसे दंड दिया गया हो, सजायाफ्ता । दंडी (डिन् ) - पु० [सं०] यम; राजा; द्वारपाल पुलिसकर्मचारी; दंडधारी संन्यासी । दंडपबंध - पु० [सं०] ( सैक्शन ) किसी अधिनियम या अंतरराष्ट्रीय संधिके साथ लगा हुआ यह उपबंध कि उसका पालन न करनेपर उल्लंघनकारीको क्या दंड मिलेगा । दंड्य - वि० [सं०] दे० 'दंडनीय' । - षड्यंत्र - पु० (क्रि मिनल कांस्पिरेसी) ऐसा षड्यंत्र जो देशकी विधि-व्यवस्था के अनुसार दंडनीय हो, अपराद्ध षड्यंत्र । दंत - पु० [सं०] दाँत; पठार; कुंज; ३२ की संख्या । - कथा - स्त्री० किंवदंती, जनश्रुति ।
-क्षत - पु०
२२-क
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दंडक - दंभान
कविप्रसिद्धि के अनुसार कामकेलिमें कपोलों, अधरोंपर दाँत काटने से पड़नेवाला चिह्न । -च्छद-पु० ओष्ठ, होंठ । - छत, छद* - पु० दे० 'दंतक्षत' । जात-पु० वह बच्चा जिसके दाँत निकल आये हों; दाँत निकलनेका समय । : धावन - पु० दाँत साफ करनेका काम, दंतमार्जन; दातौन; करंजका पेड़; मौलसिरीका पेड़ । -पंक्तिस्त्री० दे० 'दंतालि' । - पात - पु० दाँत गिरना । - प्रक्षालन - पु० दाँत साफ करना । -बीज, - बीजक, - वीज-पु० अनार । -मूल-पु० दाँतकी जड़; एक औषध; दाँतका एक रोग । - लेखक - पु० दाँतकी रँगाई से जीविका चलानेवाला । - वेष्ट-पु० दाँतका एक रोग; मसूड़ा; हाँथीदाँत पर चढ़ाया जानेवाला छल्ला । - शर्करा - स्त्री० दाँतपर जमनेवाली पपड़ी । -शोफपु० मसूड़ों की सूजन - श्लिष्ट - वि० दाँतों में अँटका हुआ । दंतादंति - स्त्री० [सं०] लड़ाई-झगड़ेमें एक दूसरेको दाँत से
काटना ।
दंतायुध - पु० [सं०] सूअर (जिसका आयुध उसका दाँत है) । दैतार- वि० बड़े दाँतोंवाला । पु० हाथी । दंतार्बुद - पु० [सं०] मसूड़े में होनेवाला फोड़ा । दंतालि - स्त्री० [सं०] दाँतों की कतार । दंति - पु० हाथी ।
दतिया - स्त्री० छोटे-छोटे दाँत ।
दंती (तिन् ) - पु० [सं०] हाथी; गणेश; पहाड़ । वि० दाँतोंवाला । - चक्र - पु० (गिअर) साइकिल या किसी यंत्रादिका दाँतोंसे युक्त पहिया अथवा पहियोंका समूह जो गति प्रदान करनेमें सहायक होता है। -मद- पु० हाथी के मस्तक से चूनेवाला मद ।
दंतुर - वि० [सं०] जिसके दाँत आगेकी ओर निकले हों । दैतुरिया * - स्त्री० बच्चों के नये-नये दाँत ।
तुला - वि० जिसके दाँत बड़े या आगेकी ओर निकले हों । दंतोभेद - पु० [सं०] दाँतोंका निकलना । -काल - पु० (टीथिंग पीरियड) वह समय जब बच्चे के दाँत निकल रहे हों । दंतोष्ठ्य - वि० [सं०] दाँत और ओठसे उच्चरित होनेवाला । दंत्य - वि० [सं०] जिसका उच्चारणस्थान दंत हो। दंद * - पु० द्वंद्व, झगड़ा, उपद्रव । स्त्री० गरमी । दंदन* - वि० दमन करनेवाला ।
दंदान - पु० [फा०] दाँत । - साज-पु० दाँत बनानेवाला । दंदाना - अ० क्रि० गरमाना, गरम हो लेना । पु० [फा०] आरा, कंघी आदिका दाँत । - (ने) दार - वि० जिसमें दंदाने हों ।
दंदी* - वि० झगड़ालू, उपद्रवी । दंपति * - पु० दे० 'दंपती' ।
दंपती - पु० [सं०] पति-पत्नी, स्त्री-पुरुष । दंपा* - स्त्री० विद्युत्, बिजली ।
दंभ - पु० [सं०] पाखंड, आडंबर, ढकोसला; अभिमान; कपट; शाट्य; इंद्र का वज्र; शिव । दंभक - वि०, पु० [सं०] पाखंड ; वंचक, कपटी । दंभन - पु० [सं०] ढोंग करना, पाखंड करना । दंभान* - पु० पाखंड; घमंड - 'हौं जु कहत लै चलो जानकी छाड़ि सबै दंभान' - सू० ।
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