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जल रहनेके कारण पाँवोंमें होनेवाली खुजली। -कपि-पु० स्त्री० [हिं०] (ड्रेनेज़ स्कीम)दे० 'जलोत्सारणयोजना'। राँस, शिशुमार। -कपोत-पु० पानीके किनारे रहने- -निधि-पु० समुद्रः चारकी संख्या । -निर्गमवाली एक चिड़िया, जलपारावत । -करंक-पु० नारि- पु० पानीका निकास, जलपथ । -पक्षी(क्षिन)-पु० यल; कमल; जललता; बादल; शंख । -कर-पु० पानी- पानीके किनारे रहनेवाला, मछलियाँ आदि खानेवाला का कर; जलसे मिलनेवाले पदार्थो(मछली,सिंघाड़े आदि)पर |
पक्षी । -पटल-पु० बादल । -पति-पु० समुद्र वरुण; लगनेवाला महमूल । -कल-स्त्री० [हिं०] पानीका नल,
पूर्वापाढा नक्षत्र । -पथ-पु० जलमार्गः नहर आदि; पाइप ।-कलविभाग-पु०म्युनिसिपलिटीका वह विभाग पानीका रास्ता । -पद्धति-स्त्री० नाला। -पाटल*जो नगरका जलप्रबंध करे (वाटरवस)। -कष्ट-पु० , पु० काजल । -पात्र-पु० पानी पीने या रखनेका बरपानीकी कमी, जलाभाव । -कांक्ष,-कांक्षी(क्षिन्)
तन ।-पान-पु० कलेवा, नाश्ता ।-पान गृह-पु० वह पु० हाथी। -काक-पु० जलकौआ । -कुंतल-पु०
स्थान जहाँ जलपानका सामान (चाय, मिठाई आदि) सिवार । -कुंभी-स्त्री० दे० 'कुंभी'। -कुक्कुट-पु० मिले; जहाँ जलपान किया जा सके (रेस्तराँ)। -पारामुरगाबी। -केलि-स्त्री० जलक्रीडा । -कौआ-पु०
वत-पु० जलकपोत। -पुष्प-पु० पानीमें होनेवाला [हिं०] एक जलपक्षी जिसकी सारी देह काली और गर- फूल (कमल, कुई इ०)। -प्रणाली-स्त्री० (वाटर चैनल) दन सफेद होती है। -क्रिया-स्त्री० तर्पण ! -क्रीडा
दो समुद्रोंके बीचमें पड़नेवाला लंबासा जलमार्ग जो जलस्त्री० नदी, तालाब आदिमें स्त्रियोंका परस्पर या नायक
डमरुमध्यसे अधिक चौड़ा हो। -प्रदान-पु० प्रेतादिके नायिकाका एक दूसरेपर पानीके छीटे फेंकना, जलकेलि;
लिए जलदान, तर्पण । -प्रपा-स्त्री० पौसरा, प्याऊ । क्रीडाके लिए पानीमें तैरना आदि । -खरी-पु० गाँव
-प्रपात-पु० झरना; किसी नदी-नालेका पहाड़के ऊपरसे की जमीनका जलभाग, ताल-तालाब आदि । -घड़ी- नीचे गिरना। -प्रलय-पु. संपूर्ण सृष्टिका जलमग्न हो स्त्री० [हिं०] कालशानका एक साधन, पानीपर तैरता
जाना । -प्रवाह-पु० पानीका बहाव; पानीकी धारा हुआ कटोरा जिसके पेंदे में छेद होता है और जो ठीक एक
शवको नदी आदिमें बहा देना । -प्रस्फोट-पु० घड़ीपर पानीके बोझसे डूब जाता है। -चर-पु० जल में (डेप्थचार्ज) पानीमें फूटनेवाला प्रस्फोट (बम) जो किसी. रहनेवाला प्राणी, जलजंतु । -चरी-स्त्री० मछली।
पनडुब्बीपर या उसके निकट गिराया जाता है। प्रांगण-चादर-स्त्री० [हिं०] पानीकी चादर, ऊँचाईसे गिरने- पु० (टेरिटोरियल वाटर्स) दे० 'जलीय क्षेत्र'। -प्रांत-पु० वाली पानीकी काफी चौड़ी धार । -चारी(रिन)- नदी, झील आदिके पासकी जमीन । -प्राय-पु० जलपु० जलचर, मछली। -जंतु-पु० जल में रहनेवाला | बहुल प्रदेश । वि० जहाँ जल अधिक हो। -प्रिय-पु० जीव, जलचर। -जंतुका-स्त्री० जोक। -ज-पु० चातक; मछली ।-प्रेत-पु० वह प्रेत जो (किसीके) जलमें कमल; शंख, मछली; सिवार; जलबेत; समुद्रलवण; चंद्रमा डूबकर मरनेके कारण प्रेतयोनिको प्राप्त करे । -पावनकुचला । वि० जलमें उत्पन्न । -जन-पु० (हाइड्रोजन) पु० जलप्रलय; बाढ़ । -फल-पु० सिंघाड़ा ।-बिब-पु० एक गंधहीन, वर्णहीन, अदृश्य गैस (वायव्य) जिससे
बुलबुला। -बिडाल-पु० ऊदबिलाव । -बुबुद-पु० पानीका निर्माण होता है (पानीमें इसका दो तिहाई अंश बुलबुला । -भँवरा-पु० [हिं०] पानीपर तैरनेवाला एक विद्यमान रहता है), उदजन। -जन्म(न)-पु० कीड़ा, भौतुआ। -भाजन-पु० जलपात्र । -भीतिकमल । -जात-वि० जलमें उत्पन्न । पु० कमल । | स्त्री० जलातंक रोग। -भृत्-पु० बादल; पानी रखनेका -जीवी(विन्)-पु० मछुआ। -डमरूमध्य-पु० दो बरतन, घड़ा आदि। -मन-वि० पानीमें डूबा हुआ। समुद्रों, खाड़ियों आदिको जोड़नेवाली जल-प्रणाली।
-मातंग-पु० जलहस्ती ।-मानुष-पु० एक कल्पित(?) -तरंग-पु० एक बाजा जिसमें पानीसे भरी कटोरियोंपर प्राणी जिसकी नाभिसे नीचेकी देह मछलीकी और ऊपरकी छड़ीसे आघात कर ध्वनि उत्पन्न की जाती है। स्त्री० मनुष्यकी मानी जाती है, 'परीरू'।-मार्ग-पु० जलपथ, पानीकी लहर । -त्रास-पु० जलातंक रोग। -थंभ- जलप्रणाली।-मार्जार-पु० ऊदबिलाव ।-मुक(च)पु० [हिं०] जलस्तंभन । -थल-पु० [हि०] जल और
पु० बादल; एक प्रकारका कपूर । -यंत्र-पु० फुहारा; स्थल । -द-पु० बादल; कपूर, मोथा । वि० जल देने
कुएँ आदिसे पानी निकालनेका यंत्र (रहट आदि); जलवाला ।-द काल-पु० वर्षाकाल । -दक्षय-पु० शर- घड़ी। -यंत्र गृह,-यंत्र मंदिर-पु० वह मकान जिसमें त्काल । -दस्यु-पु० समुद्री डाकू। -दान-पु० प्रेत- या जिसके आस-पास फुहारे हों; वह मकान जिसके चारों कर्मके अंतर्गत मृत व्यक्तिको तिलांजलि देना, तर्पण । ओर पानी हो। -यात्रा-स्त्री० जलमार्गसे नाव आदिके -दुर्ग-पु० नदी, झील आदिसे घिरा हुआ किला, जल- द्वारा यात्रा; तीर्थजल लानेके लिए यजमानकी सविधि वेष्टित दुर्ग। -देव-पु० पूर्वापाढा नक्षत्र, वरुण । यात्रा । -यान-पु० जहाज, नाव ।-युद्ध-पु० पानीके -देवता-पु० वरुण । -धर-पु० वादल; समुद्र मोथा; ऊपर होनेबाला युद्ध, जहाजी लड़ाई ।-रंग-पु० (वाटरतिनिशका वृक्ष ।-धर माला-स्त्री० मेघपंक्ति एक हंद । कलर) दे० 'जलीय रंग'।-राक्षसी-स्त्री० लवण-समुद्र में -धरी-स्त्री० जलहरी । -धार*,-धारा-स्त्री० जलका | रहनेवाली सिहिका नामकी राक्षसी । -राशि-स्त्री. प्रवाह 1-धारी*-पु० बादल । -धि-पु०समुद्रः चारकी पानीका बहुत बड़ा ढेर, स्थानविशेषपर संचित अत्यधिक संख्या। -धिजा-स्त्री० लक्ष्मी। -धेनु-स्त्री० दानके जल । पु० समुद्र। -रुह-पु० कमल । -वायस-पु० लिए पानीके घड़े में कल्पित गाय। -निकास-योजना- कौडिल्ला नामकी चिड़िया। -वाह-पु० बादल; जल
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