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तलैया-तांबूलिक तलैया-स्त्री० छोटा ताल ।
वि० बिलकुल नया ( कपड़ा आदि), जिसकी तह न तलीछ-स्त्री० दे० 'तलछट' ।
खुली हो। -पेच-पु० पगड़ीके नीचेका कपड़ा।-बंदतल्प-पु० [सं०] शय्या, सेज, पलंग; अटारी;(ला०) पत्नी ।। पु० लुंगी जो प्रायः मुसलमान पहनते हैं। -बाज़ारी-कीट-पु० खटमल ।
स्त्री० वह बँधी हुई रकम जो जमींदार या ठेकेदार बाजारतल्पक-पु० [सं०] पलंग बिछानेवाला नौकर ।
में सौंदा बेचनेवालोंसे वसूल करता है। -मत-पु० तल्ला-पु० जूतेका वह भाग जो पैरके नीचे रहता है। लुंगी । तहेदिलसे-सच्चे दिलसे। (मकानकी) मंजिल; * सामीप्य ।
तहकीकात-स्त्री० [अ०] किसी मामले या घटनाके विषय में तल्लीन-वि० [सं०] उसमें मग्न, लगा हुआ।
सरकारकी ओरसे होनेवाली जाँच-पड़ताल । तव-सर्व० [सं०] तुम्हारा ।
तहजीब-स्त्री० [अ०] सभ्यता, शिष्टता । तवज्जुह-स्त्री० [अ०] किसीकी ओर रुख करना, ध्यान देना। तहना*-अ० क्रि० तपना; क्रुद्ध होना। तवना-अ० क्रि० दे० 'तयना'।
तहरी-पु० [अ०] एक प्रकारकी खिचड़ी। तवनी-स्त्री. छोटा तवा ।
तहरीक-स्त्री० [अ०] गति; उत्तेजन उसकाना, बढ़ावादेना। तवा-पु० रोटी सेंकनेका एक गोल छिछला पात्र चिलमपर | तहरीर-स्त्री० [अ०] लिखावट, लिखाई, लिखनेका ढंग रखकर तंबाकू पीनेका गोल ठीकरा । तवेकी बूंद | लिखित प्रमाण; लिखनेकी उजरत । आवश्यकतासे बहुत कम; क्षणखायी । मु०-सिरसे | तहरीरी-वि० [अ०] लिपिबद्ध । बाँधना-सिरपर चोट सहनेके लिए प्रस्तुत होना । तहलका-पु० [अ०] खलबली, हलचल । तवाज़ा-स्त्री० [अ०] आदर, सम्मान; दावत ।
तहवील-स्त्री० [अ०] अमानत; किसी मदका रुपया जो तवाना-सक्रि० गरम कराना । वि० [फा०] मोटा-ताजा। किसीके पास जमा हो। -दार-पु० वह जिसके पास तवायफ-स्त्री० [अ०] रंडी, बेश्या ।
किसी मदका रुपया जमा रहता हो। तवारा*-पु० जलन, ताप ।।
तहसनहस-वि० बरबाद, सर्वथा नष्ट । तवारीख-स्त्री० [अ०] इतिहास ।
तहसील-स्त्री० [अ०] वसूल करनेकी क्रिया; मालगुजारी तवालत-स्त्री० [अ०] लंबाई; विस्तार अधिकता; झमेला। बसूल करना; मालगुजारी जो किसी विशेष प्रदेशसे उगाही तवी-स्त्री० छोटा तवा । दे० 'तई'।
जाती है। जिलेका वह भाग जो तहसीलदारके अधीन रहता तशखीस-स्त्री० [अ०] निश्चय रोगका निदान; लगान है। तहसीलदारकी कचहरी। -दार-पु० सरकारी मालनिर्धारित करनेकी क्रिय।।
गुजारी वसूल करनेवाला, माल के मुकदमेका एक अफसर तशरीफ-स्त्री० [अ०] इज्जत करना; आदर, सम्मान; मालगुजारी वसूल करनेवाला । -दारी-स्त्री० तहसीलबुजुर्गा । मु०-रखना-बिराजना, आसनस्थ होना । - दारका पद तहसीलदारका काम । लाना-पधारना । -ले जाना-चला जाना।
तहसीलना-स० क्रि० मालगुजारी आदि वसूल करना। तश्त-पु० [फा०] थाली, परात जैसा छिछला बरतन । तहाँ-अ० वहाँ। तश्तरी-स्त्री० [फा०] छोटी रकाबी।
तहाना-स० क्रि० तह लगाना, लपेटना । तष्टा(ष्ट)-पु० [सं०] बढ़ई, रथकार; विश्वकर्मा । तहिया*-अ० उस दिन, उस समय । तष्टी- स्त्री० एक तरहकी रकाबी।
तहियाना -स० क्रि० तह करना । तस*-वि० वैसा । अ० वैसे ही।
ताँई-अ० तक; वास्ते, निमित्त के प्रति; पास । तसकीन-स्त्री० [अ०] सांत्वना, तसल्ली ।
तांगा-पु० पीछेकी ओर लटकी हुई एक गाड़ी जिसमें एक तसदीक़-स्त्री० [अ०] प्रमाणित करना, पुष्टि, समर्थन। घोड़ा जोता जाता है। तसदीह*-स्त्री० पीड़ा, कष्ट ।
तांडव-पु० [सं०] पुरुषोंका नृत्य; शिवका प्रसिद्ध नृत्य । तसद्दक़-पु० [अ०] कुर्बानी भक्ति, दान, खैरात । -प्रिय-पु० शिव । तसबी-स्त्री० दे० 'तसबीह'।
तांत-स्त्री० भेड़-बकरी आदिके चमड़े या नसोंको बटकर तसबीह-स्त्री० [अ०] माला, सुमिरनी ।
बनायी हुई धागे जैसी वस्तु, तंत्री; धनुषको डोरी। तसमा-पु० चमड़े या सूतकी चौड़ी पट्टी जो किसी वस्तुको | ताँता-पु० अटूट पाँत; कतार । मु०-लगना-तार न कसनेके काम आती है।
टूटना, एकके बाद एक इस तरह आना कि पंक्ति भंग तसला-पु० कटोरेकी शकलका कुछ बड़ा भौर गहरा बरतन । | न हो। तसली-स्त्री० छोटा तसला ।
ताँतिया-वि० ताँत जैसा दुबला-पतला । तसलीम-स्त्री० [अ०] अभिवादन; अंगीकार करनेकी क्रिया। तांत्रिक-पु० [सं०] तंत्रशास्त्रका ज्ञाता, तंत्रका प्रयोग तसल्ली-स्त्री० [अ०] ढाढ़स, दिलासा, सांत्वना ।
करनेवाला । वि० तंत्र-संबंधी। तसवीर-स्त्री० [अ०] चित्र ।
ताँबा-पु. लाल रंगकी एक प्रसिद्ध धातु । तस्कर-पु० [सं०] चोर । -वृत्ति-पु० पाकेटमार; चोर। तांबूल-पु० [सं०] पान; पानका बीड़ा। -वल्ली-स्त्री० तह, तह वा*-अ० वहाँ।
पानकी बेल, नागवल्ली। -वाहक-पु० पान खिलानेतह-स्त्री० [फा०] परत; दे० 'तल' । -खाना-पु० वाला और साथ-साथ पान लेकर चलनेवाला । जमीनके नीचे बना हुआ कमरा या घर ।-जर्द,-दर्ज- तांबूलिक-पु० [सं०] पान बेचनेवाला, तमोली ।
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