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तेही-तोता तेही*-वि० क्रोधी, गुस्सैल; अभिमानी ।
तो-अ० तब, उस स्थितिमें; एक अव्यय जिसका प्रयोग त*-सर्व० तू । प्र० से ।
किसी शब्द पर जोर देनेके लिए अथवा यों ही किया जाता तैतालीस-वि०, पु० दे० 'ते तालीस' ।
है* था। * सर्व० तुझ, 'तू'का वह रूप जो उसे विभक्ति तैतीस-वि०, पु० दे० 'ते तीस' ।
लगनेके पहले प्राप्त होता है। तै-वि० दे० 'तय' ।। अ० उतने ।
तोइ*-पु० तोय, जल । तेण्य-पु० [सं०] तीक्ष्ण होनेका भाव, तीक्ष्णता । तोई-स्त्री० मगजी, गोट । तैजस-वि० [सं०] चमकीला; तेजसे उत्पन्न; जिसमें तेज हो। | तोख*-पु० दे० 'तोष'। तैना*-स० कि० तपाना, जलाना ।
तोखना*-स० क्रि० संतुष्ट करना, प्रसन्न करना। तैनात-वि० किसी कामके लिए नियत या नियुक्त। तोखार*-पु० दे० 'तुखार' । तैनाती-स्त्री नियुक्ति, मुकर्ररी।
तोटक-पु० [सं०] एक वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरणमें चार तैयार-वि० जो बनकर बिलकुल ठीक हो गया हो; जो सगण होते है। पककर खाने योग्य हो गया हो; पूर्णतः व्यवहारके योग्य तोटना*-अ० क्रि० टूटना । उद्यत, कटिबद्ध मुस्तैद प्रस्तुत, मौजूद; हृष्ट-पुष्ट; शिक्षा तोड़-पु० तोड़नेकी क्रिया या भाव; नदी आदिके जलका आदिके द्वारा कामके योग्य बनाया हुआ ।
जोरदार बहाव; कुश्तीमें एक दाँवके जवाबमें किया गया तैयारी-स्त्री० तैयार होनेकी क्रिया या भाव; तत्परता, दूसरा दाँव; झोंका दहीका पानी ।-जोड़-पु० दाँव-पेंचा
मुस्तैदी सजधज शरीरकी पुष्टता; अभ्याससे प्राप्त कुशलता । उपाय, युक्ति। तैयो*-अ० तो भी, फिर भी।
तोड़क-पु० तोड़नेवाला। तैरना-अ०क्रि० किसी जीवका हाथ पाँव आदि चलाते हुए तोड़ना-म०क्रि० आधात, झटके या दवाबसे किसी वस्तुके पानीपर चलना पानीके ऊपर-ऊपर फिरना; उतराना। दो या अधिक टुकड़े करना; किसी वस्तुके अंगको या उसमें तैराई-स्त्री० तैरनेकी क्रिया या भाव; तैरने-तैराने के बदले लगी हुई दूसरी वस्तुको नोचकर या और तरहसे आधारसे प्राप्त द्रव्य ।
पृथक करना; किसी वस्तुका कोई अंग खंडित या बेकाम तैराक-वि० तैरनेमें कुशल । पु० वह व्यक्ति जो अच्छी करना; बल, प्रभाव आदिको निःशेष या नष्ट करना; तरह तैरना जानता हो।
किसी संस्था या कार-बार आदिको सदाके लिए बंद कर तैराना-स० क्रि० तैरनेका काम दूसरेसे कराना; दूसरेको देना; किसी नियमको रद करना या कायम न रखना; तैरने में लगाना, संतरणमें प्रवृत्त करना।
किसी आज्ञाका उल्लंघन करना; संबंध या नातेको आगेके तैलंग-पु. आंध्र देश तैलंग देशका रहनेवाला । लिए न निभाना; बातपर कायम न रहना; दूर करना; तैलंगी-वि० तैलंग देशका; तैलंग देश-संबंधी। पु० तैलंग फुसला लेना, फोड़ना।। देशका निवासी । स्त्री० तैलंग देशकी भाषा।
तोड़र*-पु० तोड़ा; पैरका एक गहना। तैल-पु०[सं०] तिलको पेरकर निकाला हुआ द्रव्य, तेल । | तोड़वाना-स० [क्रि० तोड़नेका कार्य दूसरेसे कराना, -कार-पु० तेली । -किट्ट-पु० तेलके नीचे बैठा हुआ तोड़ने में प्रवृत्त करना; तोड़ने देना ('तोड़ना'का प्रेर०)। मैल; खली। -चित्र-पु० (आइल पेंटिंग) तेल मिले हुए तोड़ा-पु० रुपये रखनेकी टाट आदिकी थैली जिसमें एक रंगोंसे बनाया गया चित्र। -पोत-पु० (आइल टैंकर) हजार रुपये अँट सकें; कलाई में पहननेका एक गहना खनिज तेल ढोनेवाला जहाज। -वाहक पोत-पु० | टोटा; नाचका एक हिस्सा; हरिस; पलीता । (तोड़ेदार (टेकर) बड़ी मात्रामें खनिज तेल अपनी टंकीमें भरकर बंदक-स्त्री० पलीता दागकर छोड़ी जानेवाली बंदूक । ले जानेवाला जहाज, तेलपोत ।
मु० (तोड़े) उलटना या गिनना-किसीको बहुत अधिक तैलाक्त-वि० [सं०] जिसमें तेल लगा हो; जिसने तेल द्रव्य देना। सोखा हो।
तोड़ाई-स्त्री० तोड़ाने या तोड़नेकी क्रिया या भाव; तैलाभ्यंग-पु० [सं०] शरीर में तेल मलनेकी क्रिया। तोड़नेकी उजरत । तैलिकयंत्र-पु० [सं०] कोल्हू ।
तोड़ाना-स० क्रि० तोड़नेका काम दूसरेसे कराना; रस्सीके तैश-पु० [अ०] आवेगपूर्ण क्रोध, क्रोधकी झझक । मु०- बंधनसे अपनेको मुक्त करना; किसी सिक्केको भुनाना । में आना-बहुत ऋद्ध होना।
तोण*-पु० तरकश, तूणीर । तैसा-वि० दे० 'वैसा'।
तोत*-पु० राशि, समूह । तैसे-अ० दे० 'वैसे।
तोतई-वि० तोतेके रंगका । पु० तोतेकासा रंग । तों*-अ० त्यों, उस प्रकार; उस समय ।
तोतक*-पु. पपीहा। तीअर*-पु० भाले जैसा एक अस्त्र, तोमर ।
तोतरी-वि० दे० 'तोतला'। तौंद-स्त्री. पेटका आगेकी ओर बढ़ा हुआ भाग ।। तोतरा-वि० दे० 'तोतला'। पचकना-मोटाई दूर होना ।
तोतराना-अ० क्रि० दे० 'तुतलाना'। तौदल-वि० तोंदवाला, जिसका पेट निकला हुआ हो। तोसला-वि० जो तुतलाकर बोलता हो तुतलानेकासा । तौदी-स्त्री० नाभि ।
तोतलाना-अ० क्रि० दे० 'तुतलाना'। तौंदीला-वि० तोंदवाला।
तोता-पु० हरे या अन्य रंगका प्रसिद्ध पक्षी जिसकी चोंच
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