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ताव मोधःपु० मुंशी, न
ताज-पु.
तांबूली(लिन्)-तादृश
३२४ तांबूली(लिन्)-पु० [सं०] पान बनाकर देनेवाला; पान | स्थानपर दफनाया जाता है। बेचनेवाला।
ताज़ियाना-पु० [फा०] चाबुक, कोड़ा। ताँवरा-पु० दे० 'ताँवरी'।
ताज़ी-वि० [फा०] अरबी, अरबका। पु० अरबी घोड़ा; तावरी*-स्त्री० झाँई, चक्कर, मूर्छा; जूड़ी; ज्वर । शिकारी कुत्ता । स्त्री० अरबी भाषा । तासना*-स० क्रि० धमकाना; डराना डाँटना; तंग करना। ताजीम-स्त्री० [अ०] दूसरेको बड़ा समझना; बड़ोंके प्रति ता-प्र० [सं०] एक भाववाचक प्रत्यय । अ० [फा०] तक आदर-भाव प्रदर्शित करना। * तो। * सर्व०, वि० उस ।
ताज़ीमी सरदार-पु० [फा०] वह सरदार जिसकी ताजीम ताई *-अ० तक, पर्यत ।
बादशाह भी करे। ताई-स्त्री० जेठी चाची; हलका ज्वर; जलेबी आदि बनाने ताज़ीर-स्त्री० [अ०] दंड, सजा। की छिछली कड़ाही।
ताज़ीरात-स्त्री० [अ०] 'ताजीर'का बहु०।-हिंद-स्त्री० ताईद-स्त्री० [अ०] समर्थन, पुष्टि । पु० मुंशी, नायब । भारतमें प्रयोगमें आनेवाले फौजदारी कानूनोंका संग्रह, ताउ*-पु० ताप, तावक्रोध; आवेश ।
भारतीय दंडविधान । ताऊ-पु० पिताका बड़ा भाई(बछियाके ताऊ-महामूर्ख)। ताज़ीरी-वि० [अ०] दंडात्मक; दंडरूपमें तैनात या लगाया ताउन-पु० [अ०] प्लेग।
हुआ (-पुलिस, कर आदि)। ताऊस-पु० [अ०] मोर; सितार जैसा एक बाजा जिसपर ताज्जुब-पु० दे० 'तअज्जुब' । मोरकी शकल बनी होती है।
ताटक-पु० [सं०] कानका एक आभूषण; एक इंद। ताक-स्त्री० ताकनेकी क्रिया; अचल दृष्टि; घात; खोज, ताटस्थ्य-पु० [सं०] तटस्थता, निरपेक्षता, उदासीनता। टोह । -झाक-स्त्री० किसीकी प्रतीक्षा या खोजमें रह-ताड़-पु. एक लंना वृक्ष जिसमें शाखाएँ नहीं होती। रहकर ताकने या झाँकनेको क्रिया। मु०-में रहना- ताडका-स्त्री० [सं०] एक राक्षसी जिसे रामने मारा था। मौका देखते रहना । -लगाना-घातमें रहना।
ताडकेय-पु० [सं०] ताड़काका पुत्र, मारीच । ताक्र-पु० [अ०] ताखा, आला। मु०-पर धरना- ताडन-पु० [सं०] आघात; मार; फटकार, अनुशासन । पर रखना-काममें न लाना।
ताडना-स्त्री० [सं०] मार; आधात; मारने-पीटनेकी क्रिया; ताकत-स्त्री० [अ०] बल, शक्ति। -वर-वि० बलवान् । डाँट-डपट ।। ताकना-स० क्रि० देखना; स्थिर दृष्टिसे देखना; नजरताड़ना-सक्रि० भाँपनाजान लेना, समझ लेना; मारना; रखना; चाहना; निश्चय करना: ताड़ लेना।
सजा देना; कष्ट देना; दुर्वचन कहना। ताकि-अ० [फा०] इसलिए कि, जिसमें, जिससे । ताडनीय-वि० [सं०] दंडनीय । ताकीद-स्त्री० [अ०] किसी कार्यके लिए बार-बार चेताने-ताडित-वि० [सं०] जिसपर मार पड़ी हो; जिसे दंड दिया की क्रिया।
गया हो। ताखा, ताखा-पु० आला, ताक ।
ताड़ी-स्त्री० ताड़के वृक्षसे निकलनेवाला सफेद मादक रस; ताग-स्त्री० तागनेकी क्रिया । * पु० तागा । -पाट-पु० ध्यान, समाधि, तारी । रेशमका एक विशेष धागा जिसे विवाहके समय वरका तात-पु० [सं०] पिता; आदरणीय व्यक्ति एक संबोधन बड़ा भाई वधूको पहनाता है।
जो बराबरके लोगों या अपनेसे छोटोंके लिए प्रयुक्त होता तागड़ी-स्त्री० करधनी, क्षुद्रधंटिका ।
है। * वि० तप्त, गरम । तागना-स० क्रि० रजाई आदिमें दूर-दूरपर सिलाई करना। ताता*-वि० तप्त, गरम । तागा-पु० सूत, डोरा ।।
ताताथेई-स्त्री० नृत्यका एक बोल । ताज-पु० [फा०] राजाका मुकुटकलगी शिखा चाबुका / तातार-पु० [फा०] मध्य एशियाका एक देश । ताजमहलका संक्षिप्त नाम । -पोशी-स्त्री० राज्याभिषेक तातील-स्त्री० [अ०] अवकाश, छुट्टी। सिंहासनारूढ होने या ताजधारण करनेके समयका उत्सव । तात्कालिक-वि० [सं०] तत्कालका, उसी या उस समयका। ताज़गी-स्त्री० [फा०] ताजा होनेका भाव; नयापन तात्त्विक-वि० [सं०] तत्त्व-संबंधी; जिसमें तत्त्वपर विशेष सूखापन या कुम्हलाहटका अभाव; श्रांति या शैथिल्यका ध्यान दिया गया हो; वास्तविक । उलटा।
तात्पर्य-पु० [सं०] आशय, अभिप्राय, मंशा । ताजन, ताजना*-पु० दे० 'ताज़ियाना'; उत्तेजन देने- तात्पर्यार्थ-पु० [सं०] वाक्यार्थसे भिन्न अर्थ जो वाक्यवाली वस्तु; दंड।
विशेष में वक्ताका अभिप्राय समझा जाय । ताज़ा-वि० [फा०] हरा-भरा; जो सूखा या मुरझाया ताथेई-स्त्री० दे० 'ताताई' । हुआ न हो; पौधे या पेड़से तत्कालका तोड़ा हुआ (पुष्प, ! तादर्थ्य-पु० [सं०] उद्देश्यकी एकरूपता; अर्थकी समानता फलादि); तुरतका तैयार किया हुआ; तुरतका निकाला| उद्देश्य । हुआ; जो अधिक दिनोंका या बासी न हो।
तादात्म्य-पु० [सं०] अभिन्नता, दो वस्तुओंके परस्पर ताज़िया-पु० [अ०] बाँसकी तिल्लियों, रंगीन कागजों | अभिन्न होनेका भाव -संबंध-पु० अभेद संबंध ।
आदिका बना हुआ वह ढाँचा जो इमाम हसन और इमाम | तादाद-स्त्री० [अ०] संख्या । हुसेनके मकबरोंकी आकृतिका बनाया जाता और नियत ताश-वि० [सं०] वैसा, उसके समान ।
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