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जिज्ञासा-जिल्द जिज्ञासा-स्त्री० [सं०] जाननेकी इच्छा, शानकी चाह ज़िम्मा-पु० [अ०] प्रतिज्ञा, किसी बातके करने, किये ज्ञानप्राप्तिके लिए विचार, पूछ-ताछ, खोज।
जानेका भार; जमानतः सिपुर्दगी। -(जिम्मेदार-वि० जिज्ञासु-वि० [सं०] जाननेका इच्छुक; खोजी; मुमुक्षु । जवाबदेह । -दारी-स्त्री० जवाबदेही । -वार-वि० जिज्ञास्य-वि० [सं०] जिज्ञासा करने योग्य ।
जिम्मेदार । -वारी-स्त्री० जिम्मेदारी। मु०-लेनाजिठानी-स्त्री० दे० 'जेठानी'।
(किसी कामका) भार उठाना, हामी भरना। (किसीके जित*-अ० जिधर, जिस ओर । वि० [सं०] जीता हुआ, जिम्मे-किसीके ऊपर या किसीके हवाले करना, लगाना, पराजित, वशमें किया हुआ।-क्रोध-वि० जिसने क्रोधको निकलना।) जीत लिया हो, क्रोधरहित । -मन्यु-वि० दे० 'जित- जिय*-पु० जी, जीव । -बधा-पु० जल्लाद । क्रोध' । पु० विष्णु । -लोक- वि० जिसने दुनियाको | जियन*-पु० जीवन । जीत लिया हो; जो पुण्यबलसे स्वर्गादिका अधिकारी हो जियरा*-पु० जीव; हृदय । गया हो। -शत्रु-वि० जिसने शत्रुको जीत लिया हो, ज़ियादती-स्त्री० [अ०] अधिकता; जुल्म, जबर्दस्ती। विजयी। -श्रम-वि० जो थके नहीं। -स्वर्ग-वि० ज़ियादा-वि० [अ०] अधिक, बहुत, फाजिल । पुण्यबलसे स्वर्ग प्राप्त करनेवाला ।
जियान-पु० [फा०] हानि, नुकसान, टोटा । जितना-वि० जिस मात्राका, जिस कदर। अजिसमात्रामें। जियाना*-स० क्रि० दे० 'जिलाना'। जितवना*-स० क्रि० जताना; जितान।।
ज़ियाफ़त-स्त्री० [अ०] दावत, भोजनसे सत्कार; आतिथ्य । जितवाना-स० क्रि० दे० 'जिताना'।
ज़ियारत-स्त्री० [अ०] साधु-संत, देवमूर्ति आदिके दर्शन जितवार*-वि० जीतनेवाला।
करना या दर्शनार्थ जाना; तीर्थयात्रा। जितवैया-पु० जीतनेवाला ।
जियारी*-स्त्री० जीवन; जीवट; जीविका । जितामा(त्मन्)-वि० [सं०] जिसने अपने मन, अपनी | जिरगा-पु० [फा०] जमात; झुंड; सरहदी पठानोंकी इंद्रियोंको वशमें कर लिया हो।
पंचायत। जिताना-सक्रि० जीतनेका कारण होना, जीतने में समर्थ | जिरह-स्त्री० [अ० 'जरह'] चीरा, घाव; वे प्रश्न जो प्रतिकरना।
पक्षी या उसका वकील बयानकी सचाई जाँचने के लिए करे । जितारि-वि [सं०] जिसने अपने शत्रुओं या काम, क्रोध ज़िरह-स्त्री० [फा०] फौलादकी कड़ियोंका बना हुआ कवच ।
आदि-पड्रिपुओं-को जीत लिया हो । पु० बुद्ध । ज़िराअत-स्त्री० [अ०] खेती, किसानी। -पेशा-वि० जितेंद्रिय-वि० [सं०] जिसने अपनी इंद्रियोंको वशमें कृषिजीवी, खेतिहर । कर लिया हो।
जिराफा-पु० [अ० 'जराफा'] अफ्रीकाके जंगलों में पाया जिते*-वि०जितने।
जानेवाला एक जानवर जिसकी गरदन और अगली टाँगे जित*-अ० जिस ओर ।
ऊँटकीसी और खालपर बड़े-बड़े लाल-पीले या भूरे धब्बे जितैया*-पु० जीतनेवाला ।
होते हैं । चौपायों में यह सबसे ऊँचा होता है। जितो*-वि०जितना।
जिला-स्त्री० [अ०] चमक, ओप, पालिश; रगड़-माँजकर जित्-वि० [सं०] "को जीतनेवाला (जैसे इंद्रजित्) । चमकानेका काम। -कार,-साज़-पु० जिला करने जित्वर-वि० [सं०] जीतनेवाला, जयशील ।
वाला, सिकलीगर । जिद-वि० [अ०] उलटा । स्त्री० हठ, दुराग्रह ।
ज़िला-पु० [अ०] पहलू , पार्श्व; देशका विभाग, प्रदेश ज़िहन-अ० [अ०] हठवश ।
प्रांत या सूबेका वह भाग जो डिपटी कमिश्नर या कलक्टरज़िद्दी-वि० [अ०] हठी, जिद करनेवाला ।
के मातहत हो (डिस्ट्रिक्ट)। -अफसर-पु० कलक्टर । जिधर-अ० जिस ओर; जहाँ। -तिधर-अ० जहाँ-तहाँ। -जज-पु० जिलेका प्रधान न्यायाधिकारी (डिस्ट्रिक्ट जिन-पु० [सं०] बुद्ध जैन तीर्थकर विष्णु ।
जज)। -जेल-स्त्री०, पु० जिलेका जेलखाना । जिन, ज़िन्न-पु० [अ०] मुसलमानोंके विश्वासके अनुसार -पालिका-स्त्री० (डिस्ट्रिक्ट बोर्ड) दे० 'जिलाबोर्ड' । एक तेजस योनि, भूत, प्रेत, आसुरी बल-पौरुषवाला -बोर्ड-पु० जिलेके प्रतिनिधियोंका मंडल जिसका आदमी; हठी आदमी। मु०-चढ़ना,-सवार होना- काम जिलेकी सड़कों, शिक्षा, स्वास्थ्य आदिका प्रबंध गुस्से में पागल हो जाना।
करना होता है।-मजिस्टेट-पु० जिलेका प्रधान प्रबंधाज़िना-पु० [अ०]परस्त्रीगमन या परपुरुषगमन, व्यभिचार । धिकारी ।-(ले)दार-पु० जमीदारका कारिंदा जो गाँवका जिनि*-अ० दे० 'जनि' ।
लगान वसूल करे; नहर-महकमेका एक कर्मचारी। जिनिस-स्त्री० दे० 'जिंस' ।
जिलाना-स० क्रि० मरे हुएको जिंदा करना; पालनाजिन्सवार-पु० दे० 'जिंस' के साथ ।
पोसना; मरनसे बचाना, जीवन देना। जिबह-पु० गला काटना, हलाल करना।
जिलाह*-पु० जालिम, अत्याचारी। जिव्हा*-स्त्री० दे० 'जिह्वा' ।
जिल्द-स्त्री० [अ०] खाल, त्वचा; पुस्तककी रक्षाके लिए जिभ्या*-स्त्री० दे० 'जिह्वा' ।
लगायी, चिपकायी हुई दफ्ती आदि; पुस्तकका अलग जिमाना-स० क्रि० खाना खिलाना।
सिला, बँधा हुआ खंड; पुस्तककी प्रति । -गर-पु० दे० जिमि*-अ० जैसे, जिस प्रकार ।
'जिल्दबंद' । -दार-वि० जिसकी जिल्द बँधी हो।
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