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जात्री - जानपद
जात्री- पु० दे० 'यात्री' । जाथका * - स्त्री० ढेर, राशि | जादव * - पु० दे० 'यादव' । पति-पु० कृष्ण । जादसपति, जादसपती* - पु० वरुण । जादा* - वि० दे० ' ज्यादा' ।
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जादू - पु० [फा०] टोना, जंतर-मंतर; वशीकरण; मोहनी; इंद्रजाल, नजरबंदी; हाथकी सफाईका काम, बाजीगरी । - गर - पु० जादू करनेवाला । - गरी स्त्री० जादूका काम; जादू करनेकी विद्या । मु० - उतरना - जादूका असर दूर होना । - चलना-जादूका असर होना; बातोंका असर होना । - वह जो सिरपर चढ़कर बोले- उपाय वही अच्छा है जो सफल हो और विरोधीको भी मानना पड़े । जादौ* - पु० दे० 'यादव' । - राय - पु० कृष्ण । जान - पु०, स्त्री० जाननेका भाव, ज्ञान, जानकारी; समझ, खयाल | ( इस शब्दका प्रयोग की जानमें' जैसे अव्ययपद में या समासों में ही होता है। प्राचीन कविता और वोलचाल में प्रायः पुंलिंगमें ही प्रयोग मिलता है । ) वि० ज्ञानवान्, सुजान । - कार - वि० जाननेवाला, अभिश, विज्ञ । -कारी - स्त्री० परिचय; अभिशता, विज्ञता । - पना - पु०, पनी * - स्त्री० जानकारी; चतुराई । -पह चान - स्त्री० परिचय, भेंट मुलाक़ात । -मनि, - राय *वि० ज्ञानियोंमें मणिरूप, ज्ञानिश्रेष्ठ, ज्ञानिराज । जान * -- स्त्री० जादू-टोना - 'मेरे जान जानकी तू जानत है जान कछू ' - कविप्रि० । पु० यान, वाहन; दे० 'जानु' । जान - स्त्री० [फा०] प्राण, जीव; जीवन; बल, दम; सार सत्त्व; किसी चीज में जान डालनेवाली चीज; रस, शोभा आदिका आधारभूत गुण, तत्त्व ( यही वाक्य सारे निबंध-की जान है ); अति प्यारी वस्तु; प्रियजनका संबोधन । - जोखिम, - जोखौं - स्त्री० जान जानेका डर, जिंदगीका खतरा । - दार - वि० जिसमें जान हो, सजीव; हिम्मतवाला; जिसमें बल या ओज हो । पु० प्राणी । -निसार - वि० जान देनेवाला; जो किसीके लिए मरने को तैयार हो; स्वामिभक्त । - निसारी - स्त्री० वफादारी, स्वामि भक्ति । - बख़्शी - स्त्री० प्राणदान; प्राणदंडके अपराधीको क्षमादान । - बाज़ - वि० जानपर खेलनेवाला, वीर, साहसी । - बाज़ी - स्त्री० साहस, वीरता, जानको खतरेमें डालनेका भाव । - बीमा- पु० जिंदगीका बीमा । -लेवा - वि० जान लेनेपर तुला हुआ, जानी दुश्मन । -व माल - पु० प्राण और धन, धन-जन । -वर- पु० प्राणी; पशु, हैवान । वि० मूर्ख; उजड्ड । मु० - आँखों में आ जाना - आसन्नमरण होना । -का गाहक- जो जान लेनेपर अमादा हो, जानका वैरी । का नुकसान-प्राण हानि, किसी दुर्घटना में मनुष्योंका मरना या मारा जाना । -का रोग- कष्ट देनेवाली वस्तु या व्यक्ति जिससे जल्दी पीछा न छूटे, भारी जंजाल । -की ख़ैर-प्र :- प्राण-रक्षा; कुशल । — की तरह रखना - तनिक भी कष्ट न पहुँचने देना, सुख-सुपासका विशेष ध्यान रखना, बहुत सँभालकर रखना। -की पड़ना-जान बचानेकी चिंता होना, प्राणभय होना । - के लाले पड़ना-जान बचाना कठिन हो जाना, उबरने की आशा न रहना । (किसीकी) - को
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रोना- किसीसे, किसीके कारण पहुँचे हुए कष्ट, हानिको याद कर करके कुढ़ना । - खपाना - (किसी काममें) बहुत श्रम करना, कष्ट उठाना । खाना- किसी बात के लिए बार-बार कहकर, किसी बातकी याचना या तकाजेसे परे शान कर देना । - खोना-जान देना; किसी दुःख में घुलना । - चुराना - दे० 'जी चुराना' । - छुड़ानाछुटकारेका उपाय करना कराना, पीछा छुड़ाना। - छूटना - छुटकारा मिलना । - देना-मरना; मरनेको तैयार होना । (किसी चीज के लिए ) - देना - दाँतसे पकड़े रहना, व्यय या हानि सह न सकना । ( किसीपर ) - देना- किसी के कार्य से खिन्न, रुष्ट होकर प्राणत्याग, आत्महत्या करना; किसी पर बहुत अनुरक्त, आसक्त होना । - निकलना - अति कष्ट होना; जान सूखना । -निसार करना - दूसरे के लिए मरना, प्राणोत्सर्ग करना । - पढ़ना - प्राणसंचार होना; शक्ति आना; हरा भरा होना । - पर आ बनना-जान जानेका डर होना, भारी संकट में पड़ना । - पर खेलना-जानजोखोंका काम करना; साहस, वीरताका काम करना जिसमें जान जानेका डर हो । - पर नौबत आना-दे० 'जानपर आ बनना' । - बचाना - किसी अप्रिय या कष्टसाध्य कामसे कतराना, भागना, पीछा छुड़ाना। -बची लाखों पाये - मरनेसे बचे यही परम लाभ है । भारी होना- जीना दुःखद हो जाना, जिंदगी से ऊब जाना । में जान आनाढाढ़स बँधना, इतमीनान होना । - में जान होनाजिंदा होना ( जबतक जानमें जान है ) । - लड़ानाजी-जान से, जीतोड़ कोशिश करना। -लबौंपर आनादे० 'जान होठों पर आना' । -लेना - वध करना; बहुत कष्ट देना; बहुत कड़ी मेहनत लेना । -सूखना - डरसे होश गुम हो जाना, सुन्न हो जाना। -से गुज़र जाना, - से जाना - मर जाना। -से तंग आना,-से बेज़ार होना- जीना असह्य हो जाना, जीनेसे ऊब जाना । - से मारना - मार डालना, कतल कर देना । - से हाथ धोना - जान गँवाना, मरना । - है तो जहान हैदुनियाका सब सुखजिंदगी के साथ है। होंठों पर आना आसन्न -मरण होना; प्राणांतक कष्ट होना । जानकी - स्त्री० [सं० जनककी पुत्री, सीता । -जानि (जानकी है जाया जिनकी), - जीवन, - नाथ, - रमण, - रवन *, -वल्लभ- पु० रामचंद्र । जाननहार* - पु० जाननेवाला ।
जानना - स० क्रि० किसी वस्तु, व्यक्ति, घटनाका अभिश, जानकार होना; ज्ञाता होना, पहचानना, नाम-धामसे परिचित होना, अवगत होना। जानकर - जानते हुए, जान-बूझकर | मु० जान पड़ना - मालूम होना, दिखाई देना । जान-बूझकर - जानते-समझते हुए, सोच-समझकर । जाने-अनजाने - जानकर या बिना जाने । जानपद-पु० [सं०] जनपदवासी, ग्रामवासी जन, लोक; देश; जनपद से प्राप्त कर आदि । वि० जनपद-संबंधी । - सैन्य - पु० (मिलीशिया) ( युद्धकाल में ) अपने नगर या आस-पास के स्थानों में उपद्रवादिका शमन करनेके लिए बनायी गयी नागरिकोंकी सेना ।
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