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जनक-जना
२७० केंद्र-पु० (बेलफेयर सेंटर) जनताके स्वास्थ्य, उन्नति तथा | जनता-स्त्री० [सं०] जनसमूह, लोक; जनन ।-जनार्दनभलाईके लिए किये जानेवाले कार्योका केंद्र। -गणना- पु० जनतारूप जनार्दन, भगवान् । स्त्री० मर्दुमशुमारी, देशविशेषके सब मनुष्योंकी गणना। जनन-पु० [सं०] उत्पत्ति जन्म; आविर्भाव, प्रकट होना; -जागरण-पु० समस्त जनतामें अपने अधिकार, हिता- | जनना, उत्पादन वंश; जीवन परमेश्वर, पिता।-गतिहितका ज्ञान होना। -जाति-स्त्री० (ट्राइब) जंगलों या स्त्री० ( बर्थ रेट ) आबादीके प्रतिसहस्र व्यक्तियोंके पीछे पहाड़ी स्थानों आदिमें रहनेवाले ऐसे लोगोंका समूह जो होनेवाले शिशु-जन्मकी गति ।। शिक्षा, सभ्यता आदिमें समीपवती स्थानोंके लोगोंसे कुछ जनना-सक्रि० बच्चेको जन्म देना, प्रसव करना! * पिछड़े हुए हों और जो अपने-अपने मुखियों या सरदारोंके | जानना-'जो यह पीर जनै'-स्वामी हरिदास । आदेशोंके अनुसार चलनेके आदी हों। -तंत्र-पु० जननाशौच-पु० [सं०] प्रसवका अशौच, सौरीका सूतक । लोकतंत्र, प्रजातंत्र । -धन-पु० आदमी और पैसा
जननी-स्त्री० [सं०] जन्म देनेवाली, माता दया; चम(जन-धनसे सहायता)।-निर्देश-पु० (रिफरेंडम) गादड़लाखजूडी; मजीठ; कुटकी; जटामासीपर्पटी;जनी। संसदमें पुरःस्थापित किसी महत्त्वपूर्ण विवादग्रस्त विषयको | जननेंद्रिय-स्त्री० [सं०] वह इंद्रिय जिससे संतानकी समस्त जनताके सामने मतदान द्वारा अपना निर्णय देनेके | उत्पत्ति होती है, उपस्थ । लिए उपस्थित करना। -पद-पु० देश, राज्य; राज्य- जनम-पु० जन्म; जीवन, जिंदगी। -घूटी-स्त्री. नवजात विशेषका ग्राम-भाग; लोक, प्रजा।-प्रवाद-पु० अफवाह, बच्चेको पिलायी जानेवाली चूंटी। -दिन-पु० दे० आम चर्चा । -प्रिय-वि० लोकप्रिय । -मत-पु० लोक- _ 'जन्मदिन'।-पत्री-स्त्री०.दे०जन्मपत्रिका' ।-संगीमत, जनसाधारणकी राय । -रंजन-वि० लोकको सुख, वि०जिसका साथ जन्मसे हो या जिंदगीभर रहे ( पति आनंद देनेवाला । पु० लोकरंजन ।-रक्षा अधिनियम- या पत्नी)। -संघाती*-वि० जनमसंगी। पु० (पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट) सर्वसाधारणकी रक्षाकी दृष्टिसे जनमना-अ० कि० जन्म लेना, पैदा होना । स०कि. बनाया गया अधिनियम ।-रव-पु० अफवाह, जनश्रुति; जन्म देना-'सुंदर सुत जनमत भई ओऊ'-रामा० । लोकापवाद । -लोक-पु. ऊपरके सात लोकोंमेंसे | जनमाना-स० क्रि० जन्म देना, जनना। पाँचवाँ, महलोंके ऊपर स्थित लोक । -वाद-पु० दे० जनमारो*-पु० जन्म, जीवन । 'जनरव' । -वास-पु. सर्वसाधारणके ठहरनेका स्थान; जनमेजय-पु० [सं०] परीक्षितका पुत्र जिसने उनके सर्प
दंशसे मरनेके बाद साँके नाशके लिए सर्पसत्र किया। [हिं०] बरातियोंके ठहरनेकी जगह । -शून्य-वि० आद. जनयिता(त)-वि० [सं०] जन्म देनेवाला, उत्पादक । मियोंसे खाली, सुनसान । -श्रुत-वि० प्रसिद्ध, जिसे पु० पिता। बहुत लोग जानते हों।-श्रुति-स्त्री० जनरव ।-संख्या- जनयित्री-स्त्री० [सं०] जननी, माता । स्त्री० स्थान विशेषमें बसनेवालोंकी संख्या, आबादी। जनवरी-स्त्री० ईसवी सालका पहला महीना । . -संग्राम-पुथ्वह युद्ध जिसमें सारी जनता शामिल हो। जनवाई-स्त्री० जनवानेकी उजरत या नेग । -संपर्काधिकारी(रिन्)-पु०(पब्लिक रिलेशन ऑफिसर) जनवाना-स० क्रि० बच्चा जनाना, जनने में मदद करना; सरकारका जनतासे संपर्क बनाये रखनेवाला अधिकारी। सूचित कराना। -समुदाय-पु० भीड़, मजमा। -समुद्र-पु० समुद्रवत् जनांतिक-पु० [सं०] अभिनयमें एक अभिनेताका दूसरेके विशाल जनसमूह, भारी भीड़। -समूह-पु० भीड़, कानसे सटकर कुछ कहना । मजमा। -साधारण-पु. साधारण जन; जनसमाज; | जना-वि० उत्पन्न किया हुआ। जनता। -स्थान-पु० दंडकारण्यका वह भाग जहाँ | जनाई-स्त्री० जनानेकी उजरत या नेग; जनानेवाली स्त्री। सीताका हरण हुआ था। -हरण-पु० एक दंडक वृत्त । | जनाउ*-पु० दे० 'जनाव' । -हित-पु० लोकहित, जनताके लाभका काम ।-हितैषी जनाकीर्ण-वि० [सं०] आदमियोंसे भरा हुआ; बहुत धनी राज्य-पु० (वेलफेयर स्टेट) वह राज्य जहाँ जनताके | आबादीवाला। स्वास्थ्य, शिक्षा, सुख-सुविधा आदिकी विशेष व्यवस्था हो | जनाज़ा-पु० [अ० ] लाश; अरथी, तावूत ( उठना, तथा जीविका दिलाने एवं असमर्थता-वृत्ति आदिका आयो- निकलना) । -(जे)की नमाज़-स्त्री० मुसलमानकी जन हो। -हीन-वि० जनशून्य, विजन ।
अंत्येष्टिके अवसरपर रारतेमें या कब्रिस्तान में पढ़ी जानेजनक-वि० [सं०] जन्म देनेवाला, उत्पादक । पु० पिता | वाली नमाज । मिथिलाका रामायण-कालीन राजवंश जिसमें कई बड़े
जनानखाना-पु० [फा०] घरका वह भाग या खंड जिसमें ब्रह्मज्ञानी हुए; उक्त वंशके राजा सीरध्वज जोसीताके पिता
स्त्रियाँ रहें, अंतःपुर । थे। -तनया,-सुता-स्त्री० सीता। -दुलारी-स्त्री० जनाना-सक्रि० जताना दे० 'जनवाना'। [हिं०] सीता।
जनाना-वि० [फा०] स्त्री-संबंधी (स्कूल, अस्पताल आदि); जनकात्मजा-स्त्री० [सं०] सीता ।
स्त्रीकी तरह (चाल, सूरत)। पु० जनानखाना; हिजड़ा; जनकौर*-पु० जनकपुर; जनकवंश ।
डरपोक आदमी; पत्नी । -पन-पु० हिजड़ापन, नामदर्दी; जनखा-पु० औरतोंकी तरह बोलने और चेष्टाएँ करने | स्त्रीसुलभ हाव-भाव । वाला, हिजड़ा, स्त्रैण ।
जनाब-पु० [अ०] श्रीमान् , महोदय, महाशय ।
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