________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
२२१
गोपित - वि० [सं०] रक्षितः छिपाया हुआ ।
गोपी - स्त्री० [सं०] शारिवा लता; छिपानेवाली; दे० 'गो' में । गोप्ता (ट) - वि० [सं०] गोपनकर्ता; रक्षक । पु० विष्णु । गोप्य - वि० [सं०] गोपनीय ।
गोफ - पु० एक तरहका कंठा ।
गोफन - पु० दे० 'गो' के साथ ।
गोफा - पु० कल्ला, गोभा । * स्त्री० गुफा, - 'गोफन माँही पौड़ते, परिमल अंग लगाय' - साखी; तहखाना । गोबर - पु० गोमल । - गणेश - पु० मूर्ख, बुद्ध | गोबरी - स्त्री० गोबरका लेप ( करना ); कंडा, उपला । गोबरैला, गोबरौरा, गोबरौला - पु० दे० 'गुबरैला' । गोभ, गोभा* - स्त्री० लहर, तरंग - 'उठति सखि आनंद की गोभा' - गदाधर ।
गोभी - स्त्री० एक प्रसिद्ध शाक जो फूलगोभी, पातगोभी या करमकल्ला और गाँठगोभी के भेदसे तीन तरहका होता है; बनगोभी; पौधोंका एक रोग ।
गोम * - पु० स्थान । स्त्री० घोड़ोंकी एक भँवरी । गोमती - स्त्री० [सं०] उत्तरप्रदेशकी एक नदी जो बनारस और गाजीपुर जिले की सीमापर गंगा में मिलती है; एक वृत्त । गोमय - पु० [सं०] गोवर । गोड़-पु० गाँव के पासकी जमीन । गोयंदा - वि० [फा०] बोलनेवाला । पु० जासूस, भेदिया । गोय - पु० [फा०] गेंद ।
गोया - अ० [फा०] मानों, जैसे ।
गोर - + वि० दे० 'गोरा' । स्त्री० [फा०] वह गढ़ा जिसमें मुर्देको दफन करें, कब
गोरख - पु० गोरखनाथ । -धंधा - पु० तार, कड़ियाँ आदि जो एकमें जोड़कर फिर अलग की जा सकें; गोरखपंथी साधुओं के हाथमें रहनेवाला डंडा जिसमें बहुत-सी कड़ियाँ जड़ी होती हैं; जल्दी समझमें न आनेवाली चीज, पहेली; झमेला । - नाथ- पु० १५वीं शतीके एक प्रसिद्ध हठयोगी और पंथप्रवर्तक संत । - पंथ - पु० गोरखनाथका चलाया हुआ एक शैव पंथ या संप्रदाय, नाथसंप्रदाय । - मुंडी - स्त्री० एक घास जो दवाके काम आती है । गोरखा- पु० नेपालका एक प्रदेश या वहाँका निवासी । गोरटा * - वि० गोरा ( स्त्री० गोरटी-गोरी, सुंदर स्त्री ) । गोरसी - स्त्री० अँगीठी ।
गोरा - वि० गौर, श्वेत वर्णवाला। - चिट्टा - वि० खूब गोरा । - पत्थर - पु० एक सफेद मुलायम पत्थर । गोराई - स्त्री० गोरापन; सुंदरता ।
गोरिल्ला - पु० अफ्रीका में पाया जानेवाला हिंस्र बनमानुस । गोरी - वि० स्त्री० गौर वर्णवाली । स्त्री० सुंदरी स्त्री । गोरु - पु० चौपाया, ढोर (गाय, बैल, भैंस आदि ) । गोलंदाज - पु० गोला चलानेवाला, तोपची; गेंदबाज । गोलंदाजी - स्त्री० गोलंदाजका काम ।
गोलंबर - पु० गुंबज; गुंबज जैसी गोल उठी हुई कोई चीज; कालिब; बागमें बना हुआ गोल चबूतरा ।
गोल - पु० [सं०] मंडल, गोलाकार पिंड, वृत्त; धरतीका मंडल या गोला । - यंत्र - पु० वह यंत्र जिससे ग्रहनक्षत्रों की गति, स्थिति आदि जानी जा सकती है।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गोपित - गोशा
-योग- पु० ज्योतिषका एक योग, एक राशिमें ६ या ७ ग्रहों का एकत्र हो जाना; गोलमाल । - विद्या - स्त्री० ज्योतिर्विद्याका अंग-विशेष; धरतीका आकार, विस्तार, गति आदि जाननेकी विधि |
गोल - वि० गोला, वृत्ताकार; ठिगना और मोटा अस्पष्ट । - गप्पा - पु० छोटी, खूब फूली हुई करारी पूरी जिसे चाटकी तरह खाते हैं । - गोल- वि० गोला; अस्पष्ट । - मटोल - वि० जिससे कोई साफ अर्थ न निकले, अस्पष्ट । - माल - पु० गड़बड़, घपला । - मिर्च - स्त्री० काली मिर्च । - मेज सम्मेलन- स्त्री० सर्वपक्ष-सम्मेलन, ऐसा सम्मेलन जिसमें सभी पक्षोंके लोग एक साथ बैठकर विचार करें ।
गोल - पु० [अ०] फुटबाल आदिके खेल में वह स्थान जहाँ गेंद पहुँचने से पक्ष-विशेषकी जीत होती है; इस तरह हुई जीत ( करना, होना ) । -कीपर- पु० गोलकी रक्षापर नियुक्त खिलाड़ी ।
गोल - पु० [फा०] मंडली, झुंड, भीड़ ।
गोलक - पु० वह संदूक या डब्बा आदि जिसमें रोजकी आमदनी या कार्यविशेषके लिए धन एकत्र किया जाय; इस तरह इकट्ठा हुआ धन; गुंबद | [सं०] गोलपिंड; गोली; काठका गेंद; मटका; विधवाका जारज पुत्र; आँखका डेला; कई ग्रहोंका योग; गुड़; गोलोक ।
गोला - वि० गोलाईवाला, वृत्ताकार । पु० गोल वृत्ताकार वस्तु या पिंड; लोहेकी बड़ी गोली जिसे तोपमें भरकर दागते हैं; नारियलका साबित मग्ज; रस्सी आदिकी पिंडी; गल्ले, किराने आदिका बाजार जो किसी इहातेके अंदर हो; गोल शहतीर, बल्ला; घासका गट्ठा; वायुगोला रोग; जंगली बाँस जो भीतर से पोला नहीं होता; जंगली कबूतर; एक तरहका बेत । - बारूद - स्त्री० गोला और बारूद; युद्धसामग्री । गोलाई - स्त्री० गोलापन ।
गोलार्द्ध - पु० [सं०] पृथ्वीका आधा भाग जो एक से दूसरे ध्रुवतक रेखा खींचनेसे बने |
गोलियाना + - स० क्रि० गोल आकारका बनाना; गोल बाँधना ।
गोली - स्त्री० छोटा गोला; मिट्टी, काँच आदिका बना छोटा गोला जिससे लड़के खेलते हैं; गोलीका खेल; सौसे या लोहेका छोटा गोला जिसे बंदूक, तमंचे में भरकर छोड़ते हैं; गोलीके रूपमें बनायी हुई दवा, बटी । मु०- खानाबंदूक की गोली से घायल होना; गोलीकी चोट सहना । - चलना - बंदूक से गोलीका चलाया जाना, फैर किया जाना। - मारना - गोली से घायल करना; उपेक्षापूर्वक त्याग देना, ठुकरा देना । गोवना* - स० क्रि० छिपाना; गोश - पु० [फा०] कान। -माल, - माली - स्त्री० कान मलना, उमेठना, कनेठी; ताड़न । -वारा- पु० बाला, कुंडल; बड़ा मोती; पगड़ीका कलाबत्तू से बुना हुआ अंचल; कलगी; जोड़, मीजान; हिसाबका खुलासा ; रजिस्टर आदिके खानोंका शीर्षक ।
ढकना ।
गोशा- पु० [फा०] कोना, कोण; दिशा; एकांत स्थान |
For Private and Personal Use Only