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क्लोम-क्षमा क्लोम-पु० [सं०] दाहना फेफड़ा।
मिला होता है। -योनि-वि० जिस(स्त्री)का पुरुषसे . क्लोरोफार्म-पु० [अं॰] एक तरल औषध जिसे सुंघाकर | समागम हो चुका हो, कौमार्य नष्ट हो चुका हो। चीर-फाड़के लिए रोगीको बेहोश करते हैं।
-विक्षत-वि० जिसकी देह घावोंसे भरी हो, बहुत क्वचित्-अ० [सं०] कहीं; कहीं-कहीं; बहुत कम कभी। । जगह कट-फट गयी हो । -वृत्ति-स्त्री० जीविकाका क्वचिढभाषी सदस्य-पु० [सं०] ( बैकबेंचर) विधान-सभा ! साधन न होना। -व्रण-पु० चोट पक जानेसे होने
आदिका वह सदस्य जो अपनो कम उम्र या कम अनुभवके वाला फोड़ा। -व्रत-वि० जिस(ब्रह्मचारी)का व्रत खंडित कारण अथवा दलमें अपेक्षाकृत कम महत्त्व रखनेके कारण हो गया हो।-सर्पण-पु० गमनशक्तिका नाश ।-हरप्रायः पीछेकी ही पंक्तियों में बैठता और विवादादिमें
। पापावाम १०ता आर विवादादिम पु० अगुरु। नाममात्रका ही हिस्सा ग्रहण करता है।
क्षता-स्त्री० [सं०] वह कन्या जिसका कौमार्य ब्याहके पहले क्वणन-पु० [सं०] वीणा, घुघरू आदिका बजना; मिट्टीका ही नष्ट हो चुका हो। छोटा बरतन।
क्षति-स्त्री० [सं०] हानि, हास; घाटा; चोट। -अस्तक्वणित-वि० [सं०] ध्वनित; गूंजता हुआ। पु० ध्वनि । वि० जिसकी हानि हुई हो। -पूर्ति-स्त्री० (रिपरेशंस) क्वथन-पु० [सं०] औटना; काढ़ा करना।
क्षति या हानि पूरी करनेका कार्य या इसके बदले दी क्वथनांक-पु० [सं०] (बॉइलिंग पॉइंट) वह विशेष तापक्रम | जानेवाली रकम, नुकसानका मुआवजा । जिसपर कोई द्रव वस्तु उबलने लगे।
क्षतोदर-पु०[सं०] एक उदर-रोग जिसमें आँतें कोई कड़ी, कथित-वि० [सं०] औटा हुआ; काढ़ा किया हुआ। | नुकीली चीज निगल जाने आदिसे कट जाती है। काँरा-वि० दे० क्वारा।
क्षत्र-पु० [सं० ] क्षत्रिय; योद्धा; बल; राज्य; देह; धन । क्वाथ-पु० [सं०] काढ़ा, जोशादा; कष्ट, दुःख, व्यसन । -कर्म(न्)-पु० क्षत्रियोचित कर्म ।-धर्मा(र्मन्)कान-पु० झनकार; कण ।
वि० क्षात्र धर्मका पालन करनेवाला । पु० योद्धा, सिपाही । क्वार-पु० आश्विन मास ।
-प-पु० प्राचीन पारसीक साम्राज्यके मांडलिक राजाओंक्वारपन-पु० अविवाहित अवस्था, वारापन ।
की उपाधि प्रांताधिपति, गवर्नर। -पति-पु० राजा। कारा-वि० कुंआरा, अविवाहित ।
-विद्या-स्त्री० धनुर्विद्या; युद्ध विद्या । -वृक्ष-पु० कैला*-पु० कोयला।
मुचकुंद ।-वेद-पु० धनुर्वेद । -सव-पु० एक यश जिसे क्षंतव्य-वि० [सं०] क्षमा करनेके योग्य, सहन करनेके | केवल क्षत्रिय कर सकता है। योग्य ।
क्षत्रांतक-पु० [सं०] परशुराम । क्ष-पु० [सं०] खेत; किसान; नाश; प्रलय; बिजली; एक | क्षत्राणी-स्त्री० वीर नारी क्षत्रिया । राक्षस; विष्णुका चतुर्थ-नरसिंह-अवतार । -किरण- क्षत्रिय-पु० [सं०] हिंदुओंके चार वर्गों में से दूसरा, योद्धा स्त्री० (एक्सरे) दे क्रममें।
जाति.। -हण-पु० परशुराम । क्षकिरण-स्त्री० [सं०] (एक्सरे) विद्युत् प्रवाहसे प्रभावित वे क्षत्रिया-स्त्री० [सं०] क्षत्रिय स्त्री। अदृश्य किरणें जो हाथ या शरीरके अन्य किसी भागके आर- | क्षत्रियाणी, क्षत्रियी-स्त्री० [सं०] क्षत्रियकी पत्नी । पार पहुँचकर हड्डियों के ढाँचेका छायाचित्र विशेष आग्राही क्षत्री (विन)-पु० [सं०] क्षत्रिय । काचपट्टपर अंकित कर देती है, पारदी किरण। क्षप-पु० [सं०] जल। क्षण-पु० [सं०] छन, लमहा; ४/५ सेकेंड, निमेषका चोथाई | क्षपणक-पु० [सं०] नग्न रहनेवाला बौद्ध या जैन संन्यासी; या ३० कलाके बराबर काल; अवसर; अवकाश; शुभ काल; विक्रमादित्यकी राजसभाके नौ रत्नोंमेंसे एक । उत्सव आनंद । -दा-स्त्री० रात; हलदी। -कर- क्षपांत-पु० [सं०] प्रभात । पु० चंद्रमा। -द्यति-प्रभा-स्त्री० बिजली ।-निःश्वास क्षपाध्य-पु० [सं०] रतौंधी। -पु. ( स । -भंग-पु० 'क्षणिकवाद' (बौद्ध)।-भंगु* क्षपा-स्त्री० [सं०] रात; हलदी। -कर-पु० चंद्रमा -वि० दे० 'क्षणभंगुर'।-भंगुर-वि० छनभरमें, थोड़ीही कपर ।-घन-पु० काला बादल ।-चर-पु० निशाचर । देरमें मिट जानेवाला । -मात्र-अ० छनभर ।
-नाथ,-पति-पु० चंद्रमा कपूर। क्षणिक-वि० [सं०] क्षणस्थायी ।-वाद-पु० बौद्ध दर्शन- क्षम-वि० [सं०] सहन करने में समर्थ; योग्य; उपयुक्त का यह मत कि प्रत्येक वस्तु उत्पत्तिसे दूसरे ही क्षण में | (हिंदीमें यह शब्द केवल समासमें आता है-कार्यक्षम, नष्ट हो जाती है अर्थात् प्रतिक्षण बदलती रहती है। अक्षम आदि)। क्षणिका-स्त्री० [सं०] बिजली ।
क्षमणीय-वि० [सं०] क्षमा करने योग्य, क्षम्य । क्षणिनी-स्त्री० [सं०] रात ।
क्षमता-स्त्री० [सं०] शक्ति, सामर्थ्य, योग्यता । क्षत-वि०[सं०] घायल; कटा-फटा हुआ; क्षतिग्रस्त खंडित, | क्षमना*-स० क्रि० माफ करना । भग्न । पु० घाव, जख्म; चोटसे होनेवाला फोड़ा, दःखः क्षमनीय*-वि० दे० 'क्षमणीय'। भय, खतरा। -चिह्व-पु० (स्कार) चोट लगने, जल जाने। क्षमवाना-स० क्रि० 'क्षमना'का प्रेरणार्थक रूप । या फोड़े आदिके कारण पड़ा हुआ निशान। -ज-पु० क्षमा-स्त्री० [सं०] परकृत अपकार, अपराधको बिना क्रोध रक्त; पीब । वि० घावसे उत्पन्न । -०कास-पु० फेफड़े में किये या दंड-प्रतीकारकी बात सोचे सह लेनेवाली चित्तजख्म होनेसे पैदा हुई खाँसी जिसमें कफके साथ खून वृत्ति, दरगुजर, माफी, सहनशीलता; धरती; दुर्गा; बेतवा
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