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गर्भवती-गलन पु० गर्भगृह; सौरी । -मंडप-पु० शयनागार; गर्भगृह । जोत-स्त्री० [हिं०] वह रस्सी जिससे दो बैल एक साथ -मास-पु. वह महीना जिसमें गर्भ रहे। -मोक्ष- बाँधे, जोते जायँ; गलेका हार। -झप-पु० [हिं०] पु० बच्चेकी पैदाइश। -लक्षण-पु० गर्भके चिह्न । (युद्ध में) हाथीके गलेपर डाली जानेवाली लोहेकी झूल । -वध-पु० भ्रूणहत्या । -वास-पु० (बच्चेका) गर्भके। -तनी-स्त्री० [हिं०] बैलोंके गराँवके साथ बाँधनेकी भीतर रहना; कोख, गर्भाशय । -व्यूह-पु० एक व्यूह रस्सी। -थन,-थना-पु० [हिं०] गलस्तन । -द्वारया सैन्य-रचना जिसमें सेना कमलके आकारमें खड़ी की पु० मुख ।-फाँस-स्त्री० [हिं०] मालखंभकी एक कसरत । जाती हैं । -शंक-पु० एक तरहकी सँड़सी जिससे मरा -फाँसी-स्त्री० [हिं०] गलेकी फाँसी; फंदा; जंजाल, हुआ बच्चा पेटसे निकाला जाता है (फारसेप्स)।-संधि- गलग्रह । -बंदनी-स्त्री० [हिं०] गलेका एक गहना, स्त्री० नाट्यशास्त्र में कथित एक प्रकारकी संधि । -स्थ- गुलूबंद । -बहियाँ-बाही-स्त्री० [हिं०] गलेमें बाँह वि० गर्भमें स्थित । -स्राव-पु० गर्भपात, चार महीने- डालना, बगलसे आलिंगन । -शुंडिका,-शुंडी-स्त्री० तकके गर्भका गिर जाना। -हत्या-स्त्री भ्रूणहत्या। छोटी जीभ, उपजिह्वा; एक रोग जिसमें तालूमें शोथ हो गर्भवती-वि० स्त्री० [सं०] गर्भवाली, गर्भिणी, हामिला। जाता है। -सिरी-स्त्री० [हिं०] गलेका एक गहना, गांक-पु० [सं०] रूपकमें अंकके अंतर्गत अंक या दृश्य- कंठश्री। -स्तन-पु० बकरियोंके गलेसे लटकनेवाली थन विशेष ।
जैसी थैली, गलथन । -हस्त-पु० अर्द्धचंद्र, गरदनियाँ। गर्भागार-पु० [सं०] गर्भाशय; गर्भगृह; शयनागार | गल-पु० गालका लघु रूप ( केवल समासमें व्यवहृत)। प्रमूतिगृह ।
-गंज-पु० शोर, हला । -चुमनी-स्त्री० कानका गर्भाधान-पु० [सं०] गर्भ रहना,गर्भ-धारण १६ संस्कारी एक गहना जो गालोंको छूता रहता है। -तकिया-पु० मेंसे एक।
गालके नीचे रखनेका छोटा नरम तकिया।-थैली-स्त्री. गर्भाशय-पु०म०] स्त्रीके पेटकी वह थैली जिसमें बच्चा बंदरके गालके अंदर रहनेवाली थैली। -फड़ा-पु० रहता है, बच्चादानी।
जलचरों आदिका वह अवयव जिससे वे सांस लेते है। गर्भिणी--वि० स्त्री० [सं०] जिसे गर्भ हो, गर्भवती। गालका चमड़ा। -फूला-वि. जिसके गाल फूले हों।
-दीहद-पु० गर्भवतीका कुछ चीजोंपर मन चलना।। पु० गलसुआ ।-मंदरी-स्त्री.दे० 'गलमुद्रा'।-मुच्छागर्भित-वि० [सं०] गर्भयुक्तः भरा हुआ। पु० काव्यका पु० गालोपर दोनों ओर मूंछकी सीधमें रखे हुए बाल, एक दोष, किसी अतिरिक्त वाक्यका किसी वाक्यके बीच में गलगुच्छा। -मुद्रा-स्त्री० शिवकी पूजामें उन्हें प्रसन्न आ जाना।
करनेके लिए गाल बजाना। -सुआ-पु० एक रोग गर्म-वि० [फा०] गरम ।
जिसमें गालोंके नीचेके हिस्से सूज आते है और ज्वर गर्रा-वि० लाखके रंगका । पु० लाखी रंग; लाखी रंगका रहता है। -सुई*-स्त्री० गलतकिया। घोड़ा जिसके कुछ बाल सफेद हों; लाखी रंगका कबूतर | गलका-पु० हाथ या पाँवकी उँगलियोंमें होनेवाला एक गराड़ी, चरखी; पानीका आघात ।
तरहका छाले जैसा फोड़ा। गर्व-पु० [सं०] घमंड-धन, विद्या आदिमें अपनेको दूसरों- गलगंजना-अ० क्रि० दे० 'गलगाजना' । से बढ़कर और दूसरोंको अपने सामने छोटा समझनेका गलगल-पु० चकोतरेके आकारका बहुत खट्टा नीबू ; चूना भाव; एक संचारी भाव ।
और अलसीका तेल मिलाकर बनाया हुआ एक तरहका गर्ववंत-वि० गर्वयुक्त ।
मसाला; एक चिड़िया। गर्वाना*-अ० कि० गर्व करना ।
गलगला*-वि० गीला, तर । गर्वित-वि० [सं०] गर्वयुक्त, घमंडी।
गलगाजना-अ० क्रि० खुशीसे फूलकर, इतराकर बड़ी-बड़ी गर्विता-स्त्री० [सं०] अपने रूप-गुणपर गर्व करनेवाली बातें करना; जोर-जोरसे बोलना । नायिका।
गलगुथना-वि० मोटा-ताजा । गर्यो(विन)-वि० [सं०] गर्व करनेवाला, धमंडी। गलतंस*-पु० ऐसे आदमीकी संपत्ति जो अपने पीछे गर्वीला-वि० घमंडी।
किसीको छोड़ न गया हो; निःसंतान मृत व्यक्ति । गहणीय-वि० [सं०] निंदा करने योग्य, निंद्य । ग़लत-वि० [अ०] जो सही या ठीक न हो, मिथ्या; गर्हित-वि० [सं०] निदित, बुरा, दूपित ।
असत्य । -नामा-पु० शुद्धिपत्र । -फहमी-स्त्री० गह-वि० [सं०] गहणीय, निंद्य ।
गलत समझना, कुछका कुछ समझना। -बयानी-स्त्री० गलंतिका, गलंती-स्त्री० [सं०] छोटी कलसी; छेददार अयथार्थ कथन । घड़ा जिससे शिवलिंग आदिपर पानी चूता रहता है। ग़लता-पु०[फा०] रेशम और सूतकी मिलावटसे बना एक गल-पु० [सं०] गला, कंठ सालका गोंद । -कंबल-पु० | चमकदार कपड़ा। गाय-बैलके गलेका नीचे लटकनेवाला भाग, झालर। ग़लती-स्त्री० [अ०] गलत होना, अशुद्धि भूल-चूक । -गंड-पु० गलेका एक रोग जिसमें एक गाँठसी निकल | गलन-पु० [सं०] चूना, क्षरण; झड़ना; गलना; सरकना। आती है और कभी-कभी वह बढ़कर लटकने लगती है, गलनहाँ-पु० हाथियोंका नाखून गलनेका रोग। घेधा। -ग्रह-पु० गला पकड़ना, धोंटना; गलेका. एक गलना-अ० क्रि० ठोस वस्तुका तरल होना, पिघलना; रोग; वह चीज जिससे जल्दी जान न छूटे। -जोड़,- कड़ी चीजका पककर नरम होना, सीझना; घुलना; दुबला
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