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गंड-गगन
१९८ के छोर एकमें बाँध दिये जाते हैं। पक्का नाता, अटूट संबंध । गंधरबिन*-स्त्री० गंधर्व स्त्री या गंधर्वकी स्त्री। गंड-पु० [सं०] गाल; कनपटी; गालसे कनपटीतकका | गंधर्व-पु० [सं०] देवताओंका एक भेद जो देवलोकके गायक मुखभाग हाथीकी कनपटी फोड़ा, फुसी; घेधा; योद्धा; गाँठ; माने जाते हैं। गायक; एक हिंदू जाति जिसकी लड़कियाँ गंडा; गड़ा; हलका; मंडलाकार रेखा; चिह्न, निशान; वीथि नाचने-गानेका पेशा करती है। -नगर,-पुर पु० ष्टि(नाटक)का अंगविशेष; एक अनिष्ट योग (ज्यो०)।-देश,- दोषसे आकाशमें दिखाई देनेवाला मिथ्या आभासरूप स्थल-पु० कनपटी। -माला-स्त्री० कंठमाला रोग। नगर, कल्पित नगर महाभारतमें वर्णित मानसरोवरके -स्थली-स्त्री० दे० 'गंडस्थल'।
पासका एक नगर ।-लोक-पु० गुह्यक लोकके ऊपर और गंडक-स्त्री० एक नदी। पु० [सं०] गंडा; गिरह ।
विद्याधर लोकके नीचे अवस्थित एक लोक। -विद्यागंडकी-स्त्री० [सं०] गंडक नदी; मादा गैंड़ा।
स्त्री० गानविद्या । -विवाह-पु० वह विवाह जिसे वरगँड़तरा-पु० वह मोटा वस्त्र या कथरी जो छोटे बच्चों के कन्या परस्पर-प्रीतिसे प्रेरित होकर माता-पिताकी अनुमति नीचे बिछा दी जाती है ताकि पेशाब-पाखानेसे बिस्तर न लिये बिना ही करें। -वेद-पु० चार उपवेदों में से एक, खराब हो।
संगीत-शास्त्र। गंडा-पु० गाँठ; मंत्र पढ़कर गाँठ लगाया हुआ धागा जो गंधाना -अ० क्रि० महकना, दुर्गंध निकलना ।। जंतर-तावीजकी तरह पहना जाय; तोते आदिके गलेका गंधाबिरोजा-पु. एक गोंद जिसका मरहम बनता है। रंगीन हलका कंठा, घोड़ेके गले में पहनानेका पट्टा आड़ी गंधार-पु० [सं०] एक प्राचीन जनपद, कंधारके आसधारी; चारका समूह (कौड़ी, पैसा), आना।
पासका देशः सप्तकका तीसरा स्वर; एक राग । गडासा-पु० एक हथियार जिसमें डंडेके सिरेपर लोहेका गंधी(धिन)-पु० [सं०] इत्रफरोशाखटमल एक धास। ।
खमदार फलक लगा होता है, परशु; एक औजार जिससे गंधीला*-वि० गंदा, मैला। चारा काटते हैं।
गंधेंद्रिय-स्त्री० [सं०] घ्राणेंद्रिय, नाक । गँडासी-स्त्री० एक औजार जिससे चारा काटते हैं। गंधोपजीवी (विन्)-पु० [मं०] गंधी, इत्रफरोश । गंडक*-पु० दे० 'गंडूष' ।
गंभीर-वि० [सं०] गहरा; ऊँची और भारी (आवाज); गंडू-वि० गाँडू।
मंद्र (ध्वनि); गहन; गढ़, दुर्बोध; सोच-विचारकर बोलने, गंडूष-पु० [सं०] चुल्लू (जल आदि); कुल्ली; हाथीकी काम करनेवाला; कम बोलने और हँसी-मजाकसे दूर सँड़की नोक।
रहनेवाला, संजीदा। गँडेरी-स्त्री०ईख या गन्नेका कुछ लंबोतराटुकड़ा जो चसने गँव-स्त्री० दे० 'गौं' ।-हिं*-अ० गौसे, चपकेसे । __ या कोल्हू में पेरनेके लिए काटा जाय; छोटा लंबोतरा टुकड़ा। गँवई-स्त्री० छोटा गाँव । गंतव्य-वि० [सं०] जाने योग्य, गम्य; जहाँ जाना हो। रमसला-पु० गँवारोंकी उक्ति । गंत्र-पु० [सं०] (एंजिन) यंत्रों, कल-पुरजों आदिको गति गँवाऊ-वि० गँवानेवाला, उड़ाऊ ।
प्रदान करनेवाला एक तरहका यांत्रिक साधन । गँवाना-स० क्रि० खोना, नष्ट करना या हो जाने देना । गंदगी-स्त्री० [फा०] मलिनता; मल; नापाकी; बदबू । गँवार-वि,पु० गाँवका रहनेवाला, देहाती; मूर्ख, अनाड़ी; गँदला-वि० गंदा, मैला-कुचैला ।
उजड्ड । -ता*-स्त्री० गँवारपन । गंदा-वि० [फा०] मैला; नापाक; बदबूदार बिगड़ा हुआ। गवारी-वि० स्त्री० गँवारकीसी, गँवार.। स्त्री० गवार स्त्री। गंदुम-पु० [फा०] गेहूँ।
गवारू-वि० गॅवारकासा, बेढंगा; भोंड़ा। गंदुमी-वि० [फा०] गेहुँए रंगका, दबती गोराईवाला। गवेली-स्त्री० गँवार स्त्री। गंध-स्त्री० [सं०] वास,बू, पृथ्वीतत्त्वका गुण (न्या०) सुगंध; | गंस*-पु०, स्त्री० दे० 'गाँस' । सुगंधित द्रव्य; चंदन, केसर आदिका लेप; लेश, नाममात्र गसना*-सक्रि० जकड़ना, कसना । अ०नि०कसा जाना। -द्रव्य-पु० सुगंधित द्रव्य (चंदन, केसर आदि)।-नाल* गँसीला-वि० जिसमें गाँसी हो, चुभनेवाला; गँसा -पु० दे० 'गंधनाली'।-नालिका,-नाली-स्त्री० नाका हुआ, गफ । -बिलाव-पु० [हिं०] नेवलेसे मिलता-जुलता एक जंतु, ग-पु० [सं०] गीत; गणेश । वि० गमन करनेवाला; गानेमुश्कबिलाब । -मादन-पु० एक पुराणवर्णित पर्वत; उस | वाला (समासके अंत.)। पर्वतपर लगा हुआ सुगंधित वृक्षोंका जंगल; भौरा ।। गइंद-पु० दे० 'गयंद'। -मार्जार-पु. गंधबिलाब। -मैथुन-पु० साँड़ । गइनाही*-स्त्री० ज्ञान, जानकारी। -राज-पु०मोगरा बेला; नंदन; जवादि नामक गंधद्रव्य । गई-बहोर*-वि० गयी, गँवायी हुई चीजको पुनः प्राप्त -सार-पु० चंदन, मोगरा वेला।
कराने, बिगड़ीको बनानेवाला । गंधक-पु०, स्त्री० [सं०] एक तीक्ष्ण गंधयुक्त पीतवर्ण खनिज | गऊ-स्त्री० गाय; सीधा आदमी। पदार्थ जो दवा, बारूद आदि बनानेके काम आता है; | गकरिया-स्त्री० लिट्टी, बाटी; मधुकरी ।
शोभांजन; सुगंध ।-बटी-स्त्री०एक प्रसिद्ध पाचकऔषध । गगन-पु० [सं०] आकाश, अंतरिक्ष; शून्य । -कुसुमगंधकाम्ल-पु० [सं०] गंधकका तेजाब ।
पु० आकाशकुसुम । -गढ़*-पु० गगनस्पर्शी, बहुत गंधकी-वि० गंधकके रंगका।
ऊँचा महल । -गिरा-स्त्री० आकाशवाणी। -चर-- गंधरब-पु० दे० 'गंधर्व' ।
वि० आकाशचारी । पु० पक्षी; शशिचत्र नक्षत्र; देवत।।
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