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कुडरा-कु
१६२ तालाब हौज; हवनकी अग्नि या जल-संचयके लिए खोदा कुदेरा-पु० दे० 'कुनेरा।। हुआ गढ़ा; बटलोई; ऐसी स्त्रीका जारज पुत्र जिसका पति कुंभ-पु० [सं०] मिट्टीका घड़ा; कलस; हाथीके सिरका जीवित हो; * लोहेका टोप; हौदा।
कुछ उभरा हुआ भाग जो उसके दोनों ओर होता है। कुँडरा-पु० गेंडुरी; कुंडा।
एक राशि अनाजका एक मान; एक पुण्यजनक पर्व जो कंडल-पु० [सं०] कानमें पहननेका बाला, बाली; कड़ा । हर बारहवें बरस पड़ता है।-कर्ण-पु. एक विशालकाय या चूड़ा; गोल बनावटका वह गहना जिसे कनफटे कानोंमें | राक्षस जो रावणका छोटा भाई था ।-कार-पु० कुम्हार; पहनते हैं; रस्सी, तार या साँपकी फेंटी; एक छंद ।
एक संकर जाति; सांप; उल्लू । -ज,-जन्मा(न्मन),कुंडलाकार-वि० [सं०] कुंडलके आकारका, गोल । जाता-योनि-पु० अगस्त्य मुनिः द्रोण । कुंडलिका-स्त्री० [सं०] मंडलाकार रेखा; कुंडलिया छंद। कुंभी-स्त्री० [सं०] छोटा घड़ा; हंडी; जलकुंभी।-पाकजलेबी।
। पु० एक नरक; हंडीमें पकायी हुई चीज । कुंडलित-वि० [सं०] जो कुंडली मारे हुए हो, चक्करके कुंभी(भिन)-पु० [सं०] हाथी; मगर कुंभीपाक नरक । रूपमें लपेटा हुआ।
कुंभीपुर*-पु० हस्तिनापुर । कुंडलिनी-स्त्री० [सं०] दुर्गा या शक्तिका एक रूप; कुंभीर-पु० [सं०] घड़ियाल; एक छोटा कीड़ा। मूलाधार चक्रमें स्थित एक शक्ति जिसे तंत्र और हठयोगका कुँवर-पु० लड़का; राजकुमार । साधक जगाकर ब्रह्मरंध्रमें लगानेका यत्न करता है। जलेबी। कुँवरि(री)-स्त्री० कुमारी; राजकन्या । कुंडलिया-स्त्री० एक मात्रिक छंद ।
कुँवरेटा-पु० छोटा लड़का । कुंडली-स्त्री० [सं०] जन्मकुंडली; कुंडलिनी; जलेबी, सॉपकी कुँवाँ-पु० दे० 'कुआँ' ।। फेंटी; इंडरी।
कुँवारा-पु० दे० 'कुँआरा' । कुंडली (लिन्)-वि० [सं०] कुंडलधारी; जो कुंटल या कुहकुँह-पु० दे० 'कुमकुम' ।
फेंटी मारे हुए हो; लपेटा हुआ। पु० साँप; मोर; वरुण । कु-स्त्री० [सं०] पृथ्वी; त्रिभुजका आधार। -ज-पु० कुंडा-पु० नाद; बड़ा मटका; कोंढ़ा।
मंगल ग्रह; वृक्ष; नरकासुर । वि० लाल । -देव-पु० कंडी-स्त्री० पत्थरका बना गोला, गहरा पात्र जिसमें भांग भूदेव, ब्राह्मण । -धर,-भृत्-पु० पहाड़ शेषनाग । घोंटी जाती है, पथरी; एक तरहका शिरस्त्राण; दरवाजेकी
ह, पथरा। एक तरहका शिरस्त्राण, दरवाजकी -सुत-पु० मंगल ग्रह । जंजीर या सांकल । मु०-खटखटाना-दरवाजा खुलवाने-कु-अ० [सं०] हीनता, नीचता, दुष्टता, अल्पता, कुत्सा के लिए सांकलको हिलाना।।
आदिके अर्थ देता है-जैसे कुकर्म, कुदृष्टि, कुपथ्य, कुमार्ग कुंत-पु० [सं०] कौडिला; भाला; क्रोधनँ ।
आदि । स्वरादि शब्दोंके पहले इसका रूप कत्, कब कुंतल-पु० [सं०] सिरके बाल; प्याला; हल; बहुरुपिया। और का हो जाता है-जैसे कदाचार, कवोष्ण, कोष्ण, कंता*-स्त्री० दे० 'कुंती'।
आदि । -कर्म (र्मन्),-कृत्य-पु० बुरा काम, पापकुंती-स्त्री०बरछी; एक तरहकी मधुमक्खी; [सं०] युधिष्ठिर, कर्म । -कर्मी (मिन्)-वि० कुकर्म करनेवाला । भीम और अर्जुनकी माता, पृथा ।
-खेत-पु० बुरी जगह, कुठांव। -ख्यात-वि० बदकंद-पु० [सं०] सफेद फूलवाला एक पौधा; कनेरका पेड़ नाम । -गति-स्त्री० दुर्गति, दुर्दशा। -गहनि*-स्त्री० कमल, विष्णु कुबेरकी नौ निधियोंमेंसे एक; ९की संख्या
हठ, दुराग्रह । -घात-पु० [हिं०] कपटभरी चाल, खराद । -कर-पु० खरादनेवाला।
छल-छंद; कुठांव । -चक्र-पु० किसीको विपदमें फंसाने, कंद-वि० [फा०] भोथरा, गुठला; मंद। -जेहन-वि० नुकसान पहुँचानेकी चाल, साजिश, षड्यंत्र । -चक्री मंदबुद्धि, मोटी अकलका।
(क्रिन्)-वि० साजिश, षडयंत्र करनेवाला --चालकंदन-पु०खालिम और दमकता हुआ सोना; शुद्ध मोनेका स्त्री० [हिं०] दुराचार, दुष्टता; खोटाई । -चालक-वि. पत्तर । वि० तपे हुए सोने जैसा शुद्ध और निर्मल; कांति- (बैड कंडक्टर) (वह वस्तु) जिसमें विद्युत् , ताप आदिका युक्त स्वस्था सुंदर । -साज़-घु० कुंदनका पत्तर बनाने- परिचालन सुगमतासे न हो सके, कुसंवाहक । -चालीवाला, जड़िया।
वि० [हिं०] दुराचारी, दुष्ट, खोटा। -चिल*,-चील*, कुंदरू-पु० एक बेल और उसका फल ।
-चीला-वि० दे० 'कुचैला' । -चेल,-चैल-वि० कंदा-पु० [फा०] लकड़ीका बड़ा और मोटा टुकड़ा; वह मोटी जिसके कपड़े बहुत मैले या फटे हों । पु० मलिन वस्त्र ।
और चपटी लकड़ी जिसपर रखकर कुंदीगर कपड़ेपर कुंदी -चेष्टा-स्त्री० कुत्सित चेष्टा । -चैन*-स्त्री०बेचैनी। करता और बकरकसाब मांस काटता है; बंदूकका काठका -चैला-वि० [हिं०] मैले कपड़ेवाला, मलिन ।-जंत्रबना वह भाग जिसमें घोड़ा और नली जड़ी होती है, पु० टोना-टोटका । -जन्मा (न्मन्)-पु० नीच कुल, दस्ता; काठकी बेड़ी; काठ; चिड़ियाका डैना; कुश्तीका जातिमें उत्पन्न । -जस-पु० अपयश; बदनामी । एक पेंच खोया।
-जाति-स्त्री० नीच जाति । वि० हीन जातिवाला; कंदी-स्त्री० कपड़ेकी सिलवट दूर करने और चमक लानेके जातिच्युत । -जोग*-पु० कुसंग; प्रतिकूल अवसर । लिए उसे मुँगरीसे पीटना । -गर-पु० कुंदी करनेवाला। -टेक-स्त्री० [हिं०] अनुचित हठ । -टेव-स्त्री० [हिं०] मु०-करना-खूब पीटना, पूरी मरम्मत कर देना ।
बुरी बान, लत। -ठाँउ-ठाँय,-टाँव-पु०, स्त्री० कँदेरना-स० क्रि० खरादना; छीलना ।
[हिं०] बुरी जगह; बेमौका। -ठाट-पु० [हिं०] बुरे,
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