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कालबूत-काशिका भाग; कोयल; लोहा; एक गंधद्रव्य । वि० काला, गहरे | कालातिपात-पु० [सं०] समयका नाश; विलंब ।। नीले रंगका। -कूट-पु० एक भयानक विष; हलाहल | कालातीत-वि० [सं०] जिसका समय बीत गया हो; विष । -कोठरी-स्त्री० हिं०] भयंकर अपराधियोंको निर्धारित समय बीत जानेसे जो बेकार हो गया हो एकाकी रखने के लिए जेल में बनी हुई एक कोठरी जो बहुत | (टाइमबार्ड, दस्तावेज आदि)। तंग और अँधेरी होती है (सॉलिटरी सेल)। -क्रम-पु० कालानल-पु० [सं०] प्रलयकालकी अग्नि ।। समयकी गति । -क्षेप-पु० समय बिताना, दिन काटना। कालापास-पु० (कैलिपर्स) बेलनों, गोलों आदिका व्यास -चक्र-पु०समयका हेर-फेर, भाग्यपरिवर्तन ।-ज्ञ-वि० नापनेका एक भाला जो दो चपटे, टेढ़े फौलादके टुकड़ों(कार्यविशेषके) अवसरको पहचाननेवाला । पु० ज्योतिषी। का बना होता है-ये एक ओरसे नोकदार व दूसरी ओर-अप-पु. तीनों काल-भूत, भविष्य और वर्तमान । से चौड़े होते हैं। -दंड-पु० मृत्युः यमराजका दंड । -दोष-पु० (एना- कालावधि-स्त्री० [सं०](पीरियड) निर्धारित समयकी सीमा । क्रॉनिज्म) किसी वस्तु, व्यक्ति या घटनाका अपने वास्त-कालास्त्र-पु० [सं०] वह बाण जिसके प्रहारसे प्राणांत विक या ठीक समयसे बहुत पहले अथवा पीछे होना वर्णित | निश्चित हो । किया जाना, बतलाया जाना । -धर्म-पु० ऋतुविशेषके कालिंग-वि० [सं०] कलिंग देशका | पु० कलिंग देशका उपयुक्त आचरण; मृत्यु । -निशा-स्त्री० दीपावलीकी निवासी; वहाँका राजा, कलिंग देशका सर्प, हाथी। रात; घोर अंधेरी रात । -नेमि-पु० रावणका मामा। कालिंदी-स्त्री० [सं०] (कलिंद पर्वतसे निकली हुई) यमुना -पाश-पु० यमका फंदा। -पाशिक-पु० जल्लाद । नदी; सगरकी माता; कृष्णकी एक पत्नी। -कर्षण,-पुरुष-पु० कालरूप ईश्वर । -यापन-पु० वक्त गुजा- भेदन पु० बलराम (कहा जाता है कि वे अपने हलसे रना, दिन काटना। -रात, राति-स्त्री० दे० 'काल- | यमुनाको वृंदावन में खीच लाये)। रात्रि'। -रात्रि-रात्री-स्त्री० अँधेरी, डरावनी रातः कालि*-अ० कल, बीता हुआ या आनेवाला दिन । प्रलयकी रात; मौतकी रात: दिवालीकी रात; हर आदमीके | कालिका-स्त्री० [सं०] देवीकी एक मूर्ति, चंडिका; कालिमा; ७७वें वर्षके ७वें मासकी ७वीं रात; दुर्गाका एक नाम; काला रंग काले रंगकी स्त्री। यमराजकी बहिन । -वाचक-वि० जिससे समयका | कालिख-स्त्री० कलौंछ; स्याही; कलंक (लगना)। बोध हो। -सर्प-पु. काला साँप जो अति विषधर होता कालिदास-पु० [सं०] रघुवंश, कुमारसंभव आदि काव्योंहै (स्त्री० 'कालसपिणी')। -सूर्य-पु० प्रलयकालका सूर्य। के रचयिता जो महाराज विक्रमादित्यके सभा-पंडित, कालबूत-पु० मेहराब बनानेके लिए रखा गया कच्चा भराव।। संस्कृतके सर्वश्रेष्ठ कवि थे। कालर-पु० [अं०] कपड़ेकी इकहरी या दुहरी पट्टी जो कोट- कालिमा(मन)-स्त्री० [सं०] कालापन; कालिख कलंक । कमीज आदिमें लगाकर या अलगमे गले में पहनी जाती है। कालिय-पु० [सं०] यमुनामें रहनेवाला एक नाग जिसका कत्तेके गले में बाँधनेका चमड़े या धातुका पट्टा; * कल्लर, कृष्णने दमन किया। -जित्,-मर्दन-पु० कृष्ण । रेह-'ते नर कधी न नीपजे ज्यों कालरका खेत'-साखी। काली-स्त्री० [सं०] पार्वती; दुर्गा, कालिका दश महाकालांतर-पु० [सं०] दूसरा समय, अन्य काल । -विष- विद्याओंमेंसे पहली, अग्निकी ७ जिह्वाओंमेंसे एक; काले पु० वह जंतु जिसके काटनेका जहर कुछ अरसेके बाद रंगकी स्त्री। चढ़ता है (चूहा, पागल कुत्ता आदि)।
कालीन-पु० [अ०] बड़ा गलीचा; गलीचा । काला-वि० कोयलेके रंगका, स्याह, कृष्णवर्ण; कलुषित; | कालुष्य-पु० [सं०] मलिनता; अपवित्रता; अस्वच्छता । भारी; बहुत । पु० काला साँप; काले रंगका आदमी। कालौंछ-स्त्री० कालिमा, कालिख । -कलूटा-वि० बहुत काला । -चोर-पु० भारी चोरः काल्पनिक-वि० [सं०] कल्पनामें स्थित; कल्पित, फजीं। कोई निकृष्ट व्यक्ति। -जीरा-पु० स्याह रंगका जीरा।। काल्ह, काल्हि*-अ० दे० 'कल'। -दाना-पु० एक लता जिसके बीज रेचक होते हैं। कावा-पु० [फा०] घोड़ेको वृत्त या दायरे में चक्कर देना; -नमक-पु० साँचर नमक । -नाग-पु. काला साँप चकर। -बाज़-वि० चकर लगानेवाला; छापामार । अति दुष्ट, कुटिल जन (ला०)।-पान-पु० ताशमें हुकुमका ] -बाज़ी-स्त्री० कावा काटना; दुश्मनपर जब जहाँ मौका रंग। -पानी-पु० अंडमानका टापू जहाँ पहले आजीवन | मिले, छापा मारते रहना । कैदका दंड पानेवाले अपराधी भेजे जाते थे; आजीवन कैद-कावेरी-स्त्री० [सं०] दक्षिण भारतकी एक नदी; वेश्या। की सजा । -भुजंग-वि० अति काला । काली खाँसी-काव्य-पु० सं०] वह वाक्यरचना जो रसात्मक हो; स्त्री० बच्चोंको होनेवाली कष्टकर खाँसी । -जीरी-स्त्री० कविता। -लिंग-पु० एक अर्थालंकार जहाँ किसी कही एक पौधेके बीज जी दवाके काम आते है। -मिट्टी-| हुई बातका समर्थन करनेके लिए प्रमाणस्वरूप कोई स्त्री० चिकनी करैली मिट्ट।। -मिर्च-स्त्री० गोल स्याह कारण भी बताया जाय । रंगकी मिर्च । काले कोस,-कोसों-अ० बहुत दूर । काव्यापत्ति-स्त्री० [सं०] एक अर्थालंकार जहाँ इस मु० (अपना) मुँह-करना-व्यभिचार या कुकर्म | प्रकार वर्णन किया जाय कि 'जब हमने वह कर लिया करना । मुँह काला करो= हट जाओ।
तो यह कौन बड़ी बात है। कालाग्नि-स्त्री० [सं०] दे० 'कालानल' ।
काश-पु० [सं०] काँस खाँसी । अ० [फा०] ईश्वर करता! कालातिक्रमण-पु० [सं०] समय बीत जाना, देर होना। काशिका-स्त्री० [सं०] काशीपुरी; पाणिनीय व्याकरणपर
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