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काम-कार कार्य; बेल-बूटे, नक्काशी आदि कारीगरी। -का-जिससे कामी(मिन)-वि० [सं०] कामनायुक्त, चाह रखनेकाम निकले, उपयोगी। -काज-पु. काम-धंधा, कार- वाला; जिसमें कामवेगकी प्रबलता हो, विषयासक्त। बार। -काजी-वि० कामकाजमें लगा रहनेवाला, उद्यमी। कामुक-वि० [सं०] चाहनेवाला; कामी, विषयासक्त । -चलाऊ-वि० जिससे काम निकल जाय, आवश्यकता कामोद-पु० [सं०] एक राग ।-कल्याण-पु० एक संकर की पूर्ति हो जाय। -चोर-वि०कामसे जी चुरानेवाला, राग। -तिलक-पु० एक संकर राग । आलसी। -दानी-स्त्री० वह सूत या रेशमी कपड़ा जिस- कामोद्दीपक-वि० [सं०] काम, सहवासकी इच्छा बढ़ाने पर जरीकी बूटियाँ बनी हों। -दार-वि० जरदोजी या
वाला। कलाबत्तके कामवाला (टोपी, जूता)। -धाम-पु० काम- कामोन्माद-पु० [सं०] कामवासना पूरी न होनेसे उत्पन्न काज। -न करो' हड़ताल-स्त्री० (स्टे-इन स्ट्राइक) उन्माद या व्याधि । हड़तालका वह प्रकार जिसमें श्रमिक या कमी कारखाने काम्य-वि० [सं०] चाहने योग्य; जिसकी चाह, कामना आदिमें तो जाते हैं पर कोई काम नहीं करते-अपने हो; सुंदर; उद्देश्यविशेषसे किया हुआ। स्थानपर चुपचाप बैठे रहते हैं । मु०-आना-इस्तेमाल काम्येष्टि-स्त्री० [सं०] कामनाकी सिद्धिके लिए किया जानेहोना, काममें आना; युद्ध में मारा जाना; साथ देना; वाला यश । सहायक होना। -करना-असर करना कारगर होना; काय-पु० [सं०] शरीर, देह; पेड़का तना; (तारोंके अतिकृतकार्य होना; अर्थ सिद्ध करना। -चलना-काम रिक्त) वीणाका ढाँचा संघ, समूह मूल धन; निवासस्थान; होना; कामका जारी रहना। -चलाना-प्रयोजन, स्वभाव; छिगुनी, प्राजापत्य विवाह; लक्ष्य । -कृशआवश्यकतापूर्ति करना; ज्यों-त्यों काम निकाल लेना; पु० शारीरिक कष्ट-पीड़ा। काम जारी रखना ।-तमाम करना-काम पूरा करना; कायदा-पु० [अ०] नियम ढंग; विधान; क्रम । मार डालना । -तमाम होना-काम पूरा होना; मारा। कायफल-पु० एक पेड़ जिसकी छाल दबाके काम आती है। जाना; मरना । -निकलना-प्रयोजन सिद्ध होना। कायम-वि० [अ०] खड़ा हुआ; ठहरा हुआ; स्थापित -बनना-प्रयोजन निकलना । -रखना-वास्ता, सरोजारी; स्थाथी; बराबरीमें रहनेवाला (बाजी इ०)। - कार रखना कठिन होना। -लगना-दरकार होना। मुकाम-वि० दूसरेकी जगह अस्थायी रूपसे काम करने-से काम रखना-अपने काम, प्रयोजन, अर्थका ही। वाला, एवज । ध्यान रखना, और बातों में न पड़ना।।
कायर-वि० डरपोक, बुजदिल ।। काम-पु० [फा०] इच्छा, कामना इरादा, मतलब; तालु; कायल-वि० [अ०] माननेवाला; अपनी गलती स्वीकार मुँह । -याब-वि० सफल मनोरथ, कृतकार्य; परीक्षामें करनेवाला; निरुत्तर । मु०-करना-किसीसे कोई बात उत्तीर्ण । -याबी-स्त्री० सफलता, कृतकार्यता ।
मनवा लेना; निरुत्तर कर देना। -होना-मान लेना कामठ-वि० [सं०] कछुएसे संबंध रखनेवाला।
विपक्षीकी बातका औचित्य स्वीकार करना; निरुत्तर हो कामना-स्त्री० [सं०] इच्छा, चाह ।
जाना। कामरिया, कामरी*-स्त्री० कमली।
कायली-स्त्री० लज्जा, ग्लानि आलस्य । कामरेड-पु० [अं०] साथी, साथ काम करनेवाला (साम्य- काया-स्त्री० देह, शरीर । -कल्प-पु० ओषधि-प्रयोगसे वादियोंका एक दूसरेको संबोधन)।
शरीरका नया या जवान हो जाना ।-पलट-पु० चोला कामलरी*-स्त्री० कमली।
बदल जाना; भारी क्रांतिकारी परिवर्तन । कामला-पु० एक प्रकारका रोग, पीलिया।
कायिक-वि० [सं०] देह-संबंधी; शरीरसे किया हुआ। कामली*-स्त्री कमली।
कारंड, कारंडव-पु० [सं०] एक तरहका ईस या बत्तख । कामांध-वि० [सं०] जो कामसे अंधा हो गया हो, कार- वि० काला । पु० [सं०] (समासके अंतमें) करने कामातुर ।
वाला, कर्ता (ग्रंथकार, चित्रकार इ०); क्रिया; काम कामा-* स्त्री० कामिनी । पु० [अं०] लघुविराम । (पुरुषकार, चमत्कार इ०); [फा०] काम, कार्य । -कुनकामाक्षी-स्त्री० [सं०] दुर्गाका एक नाम ।
पु० काम करनेवाला, कारिंदा। -खाना-पु० वह जगह कामाख्या-स्त्री० [सं०] दुर्गाका एक नाम; सतीका योनि- जहाँ कोई बिक्रीकी चीज बनायी जाया कार्यालय; कारबार; पीठ, कामरूप।
मामला; घटना ।-खानेदार-पु० कारखानेका मालिक । कामातुर-वि० [सं०] कामपीड़ित, कामवेगसे बेहाल । -गर-वि० असर करनेवाला, प्रभावकर । -गुज़ारकामायिनी-स्त्री० [सं०] वैवस्वत मनुकी पत्नी श्रद्धाका वि० कार्यकुशल, काममें चतुर । -गुज़ारी-स्त्री० मुस्तैदी एक नाम ।
और होशियारीसे काम करना। -चोब-पु० लकड़ीका कामारि-पु० [सं०] शिव ।
चौटा ढाँचा जिसपर कपड़ा तानकर कशीदे या गुलकारीकामार्त-वि० [सं०] कामातुर, कामसे पीड़ित ।
के काम करते हैं; जरदोजीका काम करनेवाला; गुलकारीकामित-वि० [सं०] अभिलषित, इच्छित ।
का काम । -चोबी-स्त्री० गुलकारी, कशीदेका काम । कामिनी-स्त्री० [सं०] कामवती नारी; सुंदर स्त्री। वि० कशीदेका (काम)। -नामा-पु० प्रशंसनीय काम कांचन-पु० सुंदरी स्त्री और धन ।
कार्यावली; करतूत । -परदाज़-वि० काम करनेवाला, कामिल-वि० [अ०] पूरा, संपूर्ण, तमाम; योग्य; पूर्ण ज्ञाता। प्रबंधक । -बार-पु० काम-काज; रोजगार, व्यापार ।
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