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मृलाराधना
आश्वास
किसाने निंदा की तो क्रोधित न होना चाहिये और किसीने आदर किया तो आनांदत न होना चाहिये अर्थात् तोप और रोषका त्याग करके जाना चाहिये. जहाँ गीत नृत्य हो रहा है, जहां पताकाओंकी पंक्ति सजाइ जारही है. ऐसे घरमें प्रवेश न करे. मत्त पुरुषांक घरमें प्रवेश न करे, मदिरागृह अर्थात् मदिरा पीनेवालोंका स्थान, वेश्याका गृह, लोकनिंद्य कुलोंका त्याग करना चाहिये. यज्ञशाला, दानशाला. विवाहगृह, जहां प्रवेश करनेकी मनाई है, जो पहरेदारोंसे युक्त है, जिसको अन्य भिक्षुकोंसे छोडा है ऐसे ग्रहोंका त्याग करना चाहिये.
अतिशय दरिद्री लोगोंके गृह, आचार विरुद्ध चलनेवाले, श्रीमंत लोगोंके गृहका त्याग करे बडे, छोटे, और मध्यम ऐसे घरों में प्रवेश करना चाहिए.
यदि द्वार बंद होगा, अर्गलासे बंद होगा तो उसको उघारना नहीं चाहिये. छोटा बछड़ा, बकरा, और कुत्ता इनको लांघ कर नहीं जाना चाहिए. जो जमीन, घुप्प फल और बीजोंसे व्याप्त हुई है उसपरसे जाना निषिद्ध है. हाल ही जो लीपी गई है, जहां अन्य भिक्षुक आहार लाभके लिए खड़े हुए है ऐसे घरमें प्रवेश करना निषिद्ध है।
जहांके मनुष्य, किसी कार्य में तत्पर दीखते हो, खिन्न दीख रहे हो उनका मुख दीनतायुक्त दीरम रहा हो तो वहां ठहरना निपिद्ध है.
जहां अन्य भिक्षु ठहरते हैं तथा जहां भिक्षा ग्रहण करते हैं उस भूमीको उल्लंब कर आमे गमन नहीं करना चाहिये. याचना करना, अथवा अपना आगमन सूचित करने के लिये अस्पष्ट शब्द बोलना निषिद्ध है. बिजलीके समान अपना शरीर दिखाना चाहिये. मेरेको कोन श्रावक निर्दोष भिक्षा देगा ऐसा संकल्प नहीं करे.
एकांतगृह, उद्यानगृह. कदलीओंसे बना हुआ गृह, लतागृह, छोटे २ वृक्षोंसे आच्छादिन गृह, नाट्य, शाला, गंधर्वशाला, इन स्थानों में प्रातग्रह करनेपर भी प्रवेश करना निषिद्ध है.
जिसमें बहुत जनोंका प्रचार नहीं हैं. जो प्राणिरहित है अपवित्रता और परोपरोधरहित-अर्थात् वूसरोंका जहां प्रतिबंध नहीं है ऐसे घरमें जाने आनेका मार्ग छोडकर गृहस्थाने प्रार्थना करनेपर खड़े होना चाहिये. समान. छिद्ररहित ऐसे जमीनपर अपने दोन पायों में चार अंगुल अंतर रहेगा इस तरह निवल खड़े रहना चाहिये. भीत, खांब वगैरहका आश्रय न लेकर स्थिर खडे रहना चाहिये.