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SMARATHI
मूलाराधना
आश्वासः
१६३०
दुःखोंका अनुभव लेता है इसलिए यह अर्थ अर्थात धन अनर्थका कारण है. महामयका कारण है. मोक्ष प्रासिके लिए यह अर्गलाके समान प्रतिबंध करता है. कामस्याशुभतमतामाचरे
कुणि डिभवा लहुगत्तकारया अप्पकालिया कामा । उवधो लोए दुक्खावहा य ण य हुति ते सुलहा ॥ १८१५ ॥ निघस्थानभवाः कामा भीमा लाघवहेतवः ।।
दुःस्वपदा दूये लोक स्वल्पकाला सुदुर्लभाः ॥ १८८६ ।। विजयोदया-कुणिमकुडिभचा लहुगतकारया अशुचिकुटिभचाः अलघुत्वकारिणः । अप्पकालिया कामा अल्प कालेषु भवाः । कामकाले उवधो लोप लोकद्वये । दुःखावाहाच । ण य हॉति ते सुलभाः नैव ते सुलभा भवति ॥
कामाशुभत्वमाख्याति--
मूलारा-कुणिमकडिमवा अशुचिस्वपरशरीरप्रभषाः । अप्पकालिया स्तोककाळभवाः । कामा काम्यमानाः । इंद्रियायाः तत्प्रभवप्रीतयो था। उबधी लोए लोकद्वये ॥
काम पुरुषार्थ अत्यंत अशुभ है
अर्थ-यह काम पुरुषार्थ अपवित्र शरीरसे उत्पन्न होता है. इससे आत्मा हलकी होता है. इसकी सेवासे आत्मा दुर्गति दुःख पाती है. यह पुरुषार्थ अल्पकालमें ही उत्पन होकर नष्ट होता है. और प्रास होने में कठिन है.
अद्विदलिया छिरावकवछिया मंसमट्टियालित्ता ।। बहुकुणिमभण्डभरिदा विहिंसणिज्जा खु कुणिमकुडी ॥ १८१६ ।।. मसलिमा सिराबद्धा कृषितास्थिदलाचिता 11.
सतां कायटी कुत्स्था कृधिसर्विविधैर्भूता ॥ १८८७॥ विजयोदया-अदिलिया अस्थिदलनिष्पना चिरावस्यद्धिया सिरायकलवद्धा । मंसमट्टियालित्ता मांस मृत्तिकालिसा । बहुकुणिमभण्डारदा अनेकाशुचिद्व्य पूर्णा विहिंसपिज्जा खु कुणिम कुडी जुगुप्सनीया अनुचिकटी ।
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