Book Title: Mularadhna
Author(s): Shivkoti Acharya, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 1876
________________ मनका नाशकरनेवाले थे उनको चूलाराधना आश्वासः ४ नभिषेण आचार्य के शिष्य माधवसन नामक आचार्य थे. इन्होंने माया और मदनका नाश किया था. IN ये वृहस्पतिके समान चतुर थे और इनकी बुद्धि तत्वत्रिचारमै प्रयीण थी. ५ माधवसेन आचार्यके शिष्य अमित्तगति हुए है. उन्होंने यह भगवती आराधना बनायी है. यह पाप नाशिनी, संसारताप हरण करनेवाली गंगानदी के समान है. गंगानदी हिमाद्रीय उत्पन्न हुई है. यह भगवती आराधना अमितगत्याचार्यरूपी हिमाचलमे उत्पन हो गई है. ६ आचार्यश्रीने यह ग्रंथ केवल चार महिनेम बनाया है. इसमें कुछ भी आश्चर्य नहीं है. क्यों कि महाप्रयत्नशाली जिनभक्त कोनसे कार्य सिद्ध नहीं कर सकते हैं। ७ पूर्व जिनागमका [ शिवकोट्याचार्य का भगवती आराधना ग्रंथ ] आधार लेकर मैने यह ग्रंथ रचा है. मेरा यह ग्रंथ विद्वज्जनों में आदरणीय होगा कि दुक्षसे निकाला हुआ वृत मोल्यवान् और आदरणीय होता है. ८ जब तक मेरु पर्वतके शिखरपर पांइशिला रहेगी, जब तक सिद्धों से अधिष्ठित सिद्धशिला त्रैलोक्य के शिखरपर विराजमान रहेगी, तब तक चन्द्रकांतिक समान उज्ज्वल, श्रमदुःख का परिहार करने वाली, , अज्ञानांधकार का नाश करने वाली यह भगवती आराधना इस संसार में स्थिर रहे. SHETATARTS आराधनास्तवनम् । बंधुःस्वर्गापवर्गप्रभवसुरवफलमापणे कर्मवल्ली ।। नानावाधाविधायिप्रचितकलिमलक्षालने जहनुकन्या रागद्वेषाविभाविव्यसनधनवनच्छेदने छेदनी या ॥ सारामाराधनासी वितरतु तरसा शाश्वती वो विभूतिम् ।। २२५८ ।। ए यह आराधना स्वर्ग और मोक्ष का मुखफल देने में बंधुके समान है. नाना प्रकारकी गधाओं को उत्पन्न करने वाले पापरूपी कीचडको धोने के लिए यह आराधना गंगानदी के समान है. रागद्वेषादि विकारों से उत्पन्न होनेवाले संकटरूपी वनको तोडने वाली कुल्हाडी के समान यह आराधना ग्रंथ है. ऐसी यह आराधना तुम लोगों को इच्छित फल देने में समर्थ हो.

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