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मूलाराधना
आश्वासा
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३ कृतिका नक्षत्रके समयपर यदि मुनि बिछानेपर शयन करेंगे तो उत्तर फाल्गुनी नक्षत्रपर मध्यान्ह कालमें उनका मरण होगा,
४ रोहिणी नक्षत्रपर संस्तर ग्रहण करनेवाले मुनिओको श्रवण नक्षत्र में आधी रातके समय मरण प्राप्त होगा. ५ मृगशिर नक्षत्रएर सालेखनाका आश्रय करनेसे पूर्व कालानि नक्षत्रपर पनिका देहान्त होया.
६ आद्रा नक्षत्रमे यदि संस्तर ग्रहण किया जायगा तो उत्तरा नक्षत्रके दिन मरण होगा यदि न होगा तो आगेके नक्षत्र में उसकी मृत्यु होगी.
७ पुनर्वसुनक्षत्र पर बिछाना ग्रहण करने से अश्विनी नक्षनगर अपराहकालमें मरण होगा. . पुष्य नक्षत्रपर शय्या ग्रहण करनेसे मृगशिर नक्षत्रपर गरण होता है. १. आश्लेपानक्षत्रके समय शगाका ग्याकार करनेगे चित्रा नक्षत्रपर मरण होता है.
१. मघानक्षत्रके समय शय्याका स्वीकार करने मे उसी नक्षत्रके दिन मरण होता है यदि न होगा तो आमेके नक्षत्र में होता है.
११ निनावगं यदि मन्ना प्रणा कनक लिंग या पीकार किया होगा तो घनिष्ठानक्षत्रके ममय दिनमें मरण होगा.
१२ उत्तर 'फाल्गुन नक्षत्र में यदि नया ग्रहण की होगी तो मूलनक्षत्रपर सायंकाल में मरण होगा. १३ हस्तनक्षत्रपर यदि संन्यास ग्रहण किया जायगा तो भरणी नक्षत्रपर दिन में मरण होगा. १४ चित्रानक्षत्र में यदि संन्यास ग्रहण किया हो तो मृगशिर नक्षत्रपर आधीरातमें मरण होगा. १५ स्वाती नक्षत्र पर शय्याग्रहण करनेसे वतिनक्षत्र के समय प्रभात कालमें मरण होगा. १६ विशाखा नक्षत्रपर शय्या धारणा करनस आश्लेषा नक्षत्रपर मरण होता है. १७ आश्लेषा नक्षत्रपर शरया ग्रहण करनसे पूर्वभाद्रनक्षत्रम दिनमें मरण होगा. १८ मूलनक्षत्रपर शय्या ग्रहण करनेसे ज्येष्ठानक्षत्रपर प्रभात कालमें मरण होना है. १९ पूर्वापाडानक्षत्र में शय्या ग्रहण करनेरो मृगशिर नक्षत्रपर रातक प्रारंभक समय मरण होता है.
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