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मुलाराधना]
आश्वासः
अर्थ--उस संस्तरपर बह इगिणीमरणकी प्रतिज्ञा करनेवाला पुनि पूर्व दिशा अथवा उत्तर दिशाके तरफ मुख करके खड़ा हो जाता है. अपने मस्तकपर हाथ जोडकर रखता है. अंतःकरणमें परिणामोंकी निर्मलता उत्पन्न करता है.
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अरहादिअंतिगं तो किच्चा आलोचणं सुपरिसुद्धं ।। दसणणाणचरितं परिसारेदूण णिस्सेसं ।। २०३८ ॥ विधापालोचनामने जिनादीनामदूषणाम् ॥
दर्शनशान चारित्रतपसां कृतशोधनः ॥ २११० ॥ विजयोदया-अरहादितिय अईदातिक । तो पश्चातू आलोचनां कृत्वा सुपरिशुद्ध, दसणणाणचरितं पडि. सारेदूण वर्शनमानचारित्राणि संस्कृत्य निरवशेष ।।
मूलारा-अरहादिअंतिग अई हादिपावे । पडिसारेदूण निर्मलीकृत्य ||
अर्थ-तदनंतर अहंदादिकों के समीप सम्बग्दर्शन, ज्ञान और चारित्रमें लगे हुए दोषोंकी वे मुनि आलोचना करते हैं. और संपूर्णतासे रत्नत्रयको संस्कृत करते हैं अर्थात निर्मल करते हैं .
सव्वं आहारविधि जावजीवाय वोसरित्ताणं ॥ वोसरिदूण असं अम्भतरबाहिरे गंथे ॥ २०१९ ॥ याधज्जीवं विधाहारं पत्याख्याय चतुर्विध ।।
याह्यमाभ्यंतरं ग्रंथमपाकृत्य विशेषतः ॥ २१११॥ विजयोवया-सर्व माहारविधि सर्व माहारविकल्पं । यावज्जीवं परित्यज्य बाह्याभ्यंतरानशेषान परिप्रहांश्च मूलारा--विधि अशनाविभेद ।
अर्थ-संपूर्ण आहारों के विकल्पोंका वे यावजीव त्याग करते हैं. तथा संपूर्ण बात च अभ्यंतर परिग्रहोंका त्याम करते हैं.
SelectorateSARAN
त्यक्त्वा
STARNA