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________________ मुलाराधना] आश्वासः अर्थ--उस संस्तरपर बह इगिणीमरणकी प्रतिज्ञा करनेवाला पुनि पूर्व दिशा अथवा उत्तर दिशाके तरफ मुख करके खड़ा हो जाता है. अपने मस्तकपर हाथ जोडकर रखता है. अंतःकरणमें परिणामोंकी निर्मलता उत्पन्न करता है. १७७८ अरहादिअंतिगं तो किच्चा आलोचणं सुपरिसुद्धं ।। दसणणाणचरितं परिसारेदूण णिस्सेसं ।। २०३८ ॥ विधापालोचनामने जिनादीनामदूषणाम् ॥ दर्शनशान चारित्रतपसां कृतशोधनः ॥ २११० ॥ विजयोदया-अरहादितिय अईदातिक । तो पश्चातू आलोचनां कृत्वा सुपरिशुद्ध, दसणणाणचरितं पडि. सारेदूण वर्शनमानचारित्राणि संस्कृत्य निरवशेष ।। मूलारा-अरहादिअंतिग अई हादिपावे । पडिसारेदूण निर्मलीकृत्य || अर्थ-तदनंतर अहंदादिकों के समीप सम्बग्दर्शन, ज्ञान और चारित्रमें लगे हुए दोषोंकी वे मुनि आलोचना करते हैं. और संपूर्णतासे रत्नत्रयको संस्कृत करते हैं अर्थात निर्मल करते हैं . सव्वं आहारविधि जावजीवाय वोसरित्ताणं ॥ वोसरिदूण असं अम्भतरबाहिरे गंथे ॥ २०१९ ॥ याधज्जीवं विधाहारं पत्याख्याय चतुर्विध ।। याह्यमाभ्यंतरं ग्रंथमपाकृत्य विशेषतः ॥ २१११॥ विजयोवया-सर्व माहारविधि सर्व माहारविकल्पं । यावज्जीवं परित्यज्य बाह्याभ्यंतरानशेषान परिप्रहांश्च मूलारा--विधि अशनाविभेद । अर्थ-संपूर्ण आहारों के विकल्पोंका वे यावजीव त्याग करते हैं. तथा संपूर्ण बात च अभ्यंतर परिग्रहोंका त्याम करते हैं. SelectorateSARAN त्यक्त्वा STARNA
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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