Book Title: Mularadhna
Author(s): Shivkoti Acharya, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 1853
________________ मूलाराधना आबासा अर्थ-इस जगतम जो कुछ शारीरिक और मानसिक सुख अथवा दुःख होता है वह अपने सम्पूर्ण प्रका. रॉके साथ मष्ट हुआ है. अर्थात सिद्धोंको शारीरिक और मानसिक दुःखोंका सर्वथा अभाव है. क्योंकि उनको देह और मन नहीं है. वे अशरीर और अमनस्क हैं. १८२ जं स्थि सव्वबाधाउ तस्स सन्धं च जाणइ जदो से || जं च गदज्झवसाणो परमसुही तेण सो सिहो । २१४६ ॥ जामता पश्यतां तेषां वियाधारहितात्मनाम् ॥ मुखं वर्णयितुं न शक्यते हतकर्मणाम् ॥ २२२६ ॥ विजयोदया-जंगस्थि सम्वाधाओ यत्र सन्ति सर्यषाधाः, सर्वं च यतो जानाति, यथापगतास्यवसानः, तेनासौ सिजः परमसुखी भवति । तत्परममुखित्वं समर्थयतेमूलारा-बाधाओ शरीराविदुःखानि स्खलनानि वा । गदम्झवसाणो निश्चितः ॥ अर्थ-इन सिद्धोंको सम्पूर्ण पाधा नहीं रहती हैं. जाननेकी इच्छाके बिना ही सर्व जगत् जानते हैं. इसलिये ये सिद्धजीव परमसुखी है. परमिट्ठि पत्ताणं मणुसाणं णत्थि तं सुहं लोए । अव्यावाघमणोबमपरमसुहं तस्स सिद्धस्स ।। २९४७ ॥ भोगिनो मानवा देवा पत्सुखं मुंजतेऽखिलम् ।। तषामात्मनीनस्य सुखस्यांशोऽपि विद्यते ॥ २२२७॥ विजयोश्या-परमिट्टि पसार्या परमामा चकलांछनतादिको प्रातानामपि मनुजानां मास्ति तत्सुखं लोके यदनुपमं तस्य सिद्धस्य सुम्नमव्यायाधं ॥ तत्सुररस्यानुपमत्वमाह--- मूलारा-परमिट्टि चक्रवर्ति विभूति ॥ १८४२

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