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मूलाराधना
आश्वासा
अर्थ-जैसे कोई पुरुप बडे वेगसे दौड रहा है. वह ठहरना चाहता है तथापि ठहर नहीं सकता है क्योंकि वह बेगके आधीन हो चुका है. वैसा यह आन्मा शुक्लभ्यानसे उधगमन करता है. लोकके अंततक उसकी गति होकर सिद्धशिलाके उपर वह ठहरता है.
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जह वा अग्गिस्स सिहा सहावदो चेव होहि उढुगदी । जीबस्स तह सभावो उनुगमणमप्पवसियस्स !। - १३० ॥ यथामशिस्त्रा नित्यमृवं याति स्वभावतः ॥
तथो याति जीवोपि कर्ममुक्तो निसर्गतः ॥ २२०८।। विजयोदया-पोसरगाथा॥ पुनर्मुक्तात्मनः प्रालिको गमनमा निर्माना या हि ..
मूलारा-जवेत्यादि तथागतिपरिणामान् यथा तिर्यकप्लवनस्वभावसमीरणसंबंधनिरुत्सुका प्रदीपशिखा स्वभावादुत्पत्तति तथा मुक्तात्मापि नानागतिविकारकारगकमनिवारणे सत्यूई गविस्वभावत्यादूर्वमेवारोहतीत्यर्थः ।
अर्थ-जैसी अग्नि की ज्वाला स्वभावमे ऊर्च गमन करती है वैसा यह आत्मा स्वभावतः उर्ध्वगमन
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करता है.
तो सो अविग्गहाए गदीए समए अणंतरे चव ॥ पावदि जयस्स सिहर खित्तं कालेण य फुसंतो ॥ २१३१ ॥ याप्यविग्रहया गत्या नियाघातः शिवास्पदम् ॥
एकन समयमासौ न मुक्तोऽन्यत्र तिष्ठति ।। २२.९ ।। चिजयोदया-तो सो अविगहाण ततोऽसायनिग्रहया गत्या अनंतरसमय एक जगतपिशखरं प्राप्नोति ।। तदेकसमयिकाविग्रहगतिप्राप्यं स्थानमाह-- मूलारा-अबिगहाए अत्रकथा । पाणिमुक्तालागलीगोमूत्रिकाभ्यो गतिभ्योऽन्यया । अणं तरे कर्मश्यानंतर