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मूलाराधना
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किया जानेपर वृषभसेन नामक पुरुषने श्वासरोध करके आराधना की सिद्धि की है. अहिभारकनामक बुद्धधर्मका उपासक पुरुष था उसने सुनेका वेष धारण किया था, उसने स्रावस्ती नगरीके जयसेन राजा को मार दिया. उस समय अपने ऊपर राजाको मारने का अपवाद आयेगा इस हेतुसे वृषभसेन नामक आचार्यने पत्रके द्वारा अपना घातकर आराधनाकी सिद्धि की है. शकटाल नामक मुनिने समीप दीक्षा धारण की थी इस शकटाल मुनने वररुचिके कारण शस्त्रसे अपना नामक धर्माचार्यके आराधनाओंकी सिद्धि की है.
महापद्म
घात कर
इस प्रकार पंडित मरणका विकल्पोंके साथ आचार्यने सविस्तर वर्णन किया है, अब यहांसे बालपंडित मरणका संक्षेप में वर्णन करते हैं.
दे सेकसविरदो सम्मादिट्ठी मरिज्ज जो जीवो ||
तं होदि बालपण्डमरणं जिणसासणे दिडं || २०७८ ॥ संयतासंयतो जीवः सम्यग्दर्शनभूषितः ॥
यत्तस्य मरणं प्रोक्तं श्रुत र्याल पंडितम् ॥ २१५० ॥
विजयोदया- सिक्कदेव विरदो सर्व्वासिंयमप्रत्याख्यानस्थालमर्थः प्राणातिपातादिपचकादेशविरत इत्युच्यते । एकदेशवितो नाम देशविरमणेपि एकदेशाव्यावृत्तः हिंसाद्येकदेशाद्विरतः स्थूलभूत म्रियते तस्य तद्वालपण्डित मरणं ॥ सम्यग्दृष्टियों
अथातो यापंडितमरणं गाथादशकेन व्याचिख्यासुरादौ स्वामिनिर्देशमुखेन तलक्षयति
मूलारा---- देखेकदेसविरो] स्थूलहिंसादिपंचकान्मनोवाक्काय कृतादिना व्यावृत्तो देशविरत इत्युच्यते । एकदेशचिरतस्तु देशत्रिरमणेऽपि एकदेशाद्वत्यावृत्तः । स्वशक्त्यनुसारेण कृत हिंसादिनिवृत्तिरित्यर्थः । एतेन सकलेन विकलेन च सागारधर्मेण युक्तः श्रावको निर्दिष्टः । सं तस्य ॥
अर्थ-स्थूलहिंसादि पाप से मन, वचन, शरीर, कृत, कारित और अनुमोदन इनके द्वारा जो विरक्त हुआ हैं उसको देशविरत कहते हैं. और एक देशविरत उसको कहते हैं कि जो एक देशवितिके भी एक देशसे विरक्त
आश्वास
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