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मुलाराधना
व्यतिरेकेणाहमुलारा - खलिणिदा नियंत्रिताः । माणकसाए सयामधर्मयष्टेः । भीदा प्रस्ताः ।।
अर्थ-परंतु जब इंद्रियकरायरूपी इष्ट घाड घराण्यरूपी लगामस खीच जाते है और ध्यानरूपी चाबुक से वे ताडित किये जाते हैं तब पापरूपी दुःखदायक गड्ढों में मनुष्यको वे नहीं पटकते हैं.
आश्वासः
इंदियकसायपण्णगठ्ठा बहुवेदणुहिदा पुरिसा ॥ पन्भदृशाणसुक्खा संजमजीवं पविजहंति ॥ १३९७ ॥ विचित्रवेदनादष्टाः कषायाक्षभुजंगमैः॥
नष्टध्यानसुखाः यो मुचंते वृत्तजीवितम् ॥११५३ ॥ विजयोदया-द्रियकषायपत्रमदष्टाः, बहुरेदनावएन्धाः पुमांसः मभ्रएध्यानसुखाः संयमजीर्ष परित्यति ।। मूलारा बहुवेदणुहिन्द। भूरिव्यथार्दिताः ॥
अर्थ-इंद्रिय और कपायरूपी सोसे इसे गये पुरुष तीन विष चेदनासे पारित होकर उत्तम ध्यानरूपी सुखसे च्युत होते हैं. और संयमरूपी प्राणोंका त्याग करते हैं.
PRATIMATERNATION
झाणागदेहि इंदियकसायभुजगा विरागमंतेहिं । णियमिजंता संजमजीव साहुस्स ण हरति ॥ १३९८ ॥ सध्यानमंत्रवैराग्यभेष निर्विषीकृताः ।।
न साधोस्त क्षमा हर्तुं दीर्घ संयमजीवितम् ॥ १५५४ ॥ विजयोदया-ध्यानागरिदियकवायभुजगा वैराग्यमंत्रनियम्यमाणाः साधोः संयमजीवितं न हरन्ति ॥ मूलारा-ज्झाणागदेहि सद्भधान सिद्धौषधैः ॥
अर्थ-ध्यानरूपी औषध और वैराग्यरूपी मंत्र इनके द्वारा जब इंद्रियकपायरूपी विषयुक्त सर्प नियमित किये जाते हैं तब वे मुनिके संयमरूपी प्राणोंका नाश करनेमें समर्थ नहीं होते हैं।