________________
( २६ ) दुर्गम बन गये हैं, कि यात्री उधर से निकलने का साहस नहीं करते ।
इस प्रकार दोनों की बातें सुनकर महाराजा प्रतापसिंह को अांखें लाल हो गई । भौंहें धनुष की तरह तन गई। भुजायें फडकने लगी और अपने दांतों से औष्ठ काटते हुए वे बोले-राजन् ! दुष्ट लोग बिना किसी घोर प्रतिक्रिया के शान्त नहीं होते अतः इस जंगली भील को आगे बढ़ने से पहिले पील देना चाहिये । रण मेरी बजाने की आज्ञा दे दीजिये मेरी ओर आपकी सेनाओं को आक्रमण के लिये तैयार कीजिये।
महाराजा को आज्ञा पाते ही राजा दीपचन्द्र ने प्रधान सेनापतियों को अपनी २ सेनाः सजाने के लिये आदेश दिया । बस फिर क्या था ? रणभेरी बज उठी रण बांकुरे सिपाही अपने अस्त्र शस्त्रों से सुसजित सैनिक वेश में नियत स्थान पर एकत्रित होने लगे । सूर्य की रोशनी में उनके कवच और शस्त्र चमाचम चमक रहे थे। हाथियों की चिंघाड और घोडों की हिनहिनाहट के साथ सुभटों की सिंह गर्जना से दशों दिशायें मुखरित हो उठी। थोड़ी ही देर में चतुरंगिणी फौजें प्रयाण के आदेश की प्रतीक्षा में तैयार हो गई । विशाल काय तोपें अपनी