________________
बातचीत की हैं। दोनों ने सन्निधान से ब्याह करने की इच्छा प्रकट की है। सन्निधान और पट्टमहादेवी का यह दाम्पत्य एक आदर्श है. इस बात का सम्पूर्ण ज्ञान उन्हें है। अपनी अभिलाषा सफल हो जाय तब भी इस आदर्श दाम्पत्य की समरसता में किसी तरह की बाधा न पड़े इस तरह अपने जीवन को ढालने पर दृढ़ विश्वास रखती हैं। मैंने भगवान् बाहुबली के सामने यही निवेदन किया कि इन बच्चियों का इष्टार्थ सफल होना हो तो सन्निधान और पट्टमहादेवीजी की स्वीकृति की आवश्यकता है और ऐसी स्वीकृति देने की प्रेरणा भगवान् दें। इस तरह निवेदन करने के पहले भी मैंने एक बार और इस सम्बन्ध में विचार-विनिमय किया है। यदि इच्छा के विपरीत निर्णय लिया जाता है तब भी हम यहाँ आश्रित रहेंगे। हमारा जीवन पोय्सल राष्ट्र की प्रगति के लिए धरोहर है।" कहकर मंचिअरस ने अपने विचार व्यक्त किये।
"उनके योग्य वर की खोज कर व्यवस्था करने का भरोसा राजपरिवार देता है।" बिट्टिदेव तुरन्त बोले ।
"हम आश्रित हैं, सच है। आश्रित निष्ठा के विषय में अचल और अटल हैं यह व्यक्तिगत निवेदन है। इसके लिए सीधा उत्तर मिले तो हमें उससे सन्तोष होगा।" बम्मलदेवी ने यह कहते हुए किसी तरह का संकाच नहीं किया।
" आपका भविष्य उज्ज्वल बने इसी उद्देश्य से हमने कहा । " बिट्टिदेव बोले । " सन्निधान क्षमा करें। मेरा और राजलदेवी का जन्म उत्तम कुल में हुआ है, किसी असंस्कृत कुल में नहीं। जीवन के हमारे निश्चित मूल्य और आदर्श हैं। अच्छी है या बुरी, हमारे मन में यह इच्छा उत्पन्न हुई, यह अन्यत्र मुड़ नहीं सकती। वह एकनिष्ठ और दृढ़ हो गयी है। सन्निधान से हजार गुना अच्छा वर भी मिले तो भी वह हमारे लिए तिनके के समान है। हमने अपने मन में सन्निधान को वर लिया है। पट्टमहादेवीजी के विशाल मन की उदारता से हम परिचित हैं। हम चाहती हैं कि वे हमेशा हमारी माता-सी ही बनी रहें। हम उनके मन को दुःख देने जैसे किसी भी तरह के व्यवहार के लिए मौका ही नहीं देंगी। उनकी स्वीकृति के बिना अपनी अभिलाषा को सफल बनाने के लिए किसी भी गलत रास्ते का आश्रय नहीं लेंगी और न ही किसी तरह का षड्यन्त्र रचना चाहेंगी। अपनी अभिलाषा के असफल होने की अधिक सम्भावना के बावजूद मन इसकी सीमा को लाभकर सन्निधान में विलीन हो चुका है। ऐसी दशा में वह सौभाग्य हमें मिले तो हम भाग्यशालिनी होंगी. न मिले तो दूसरे सौभाग्य की आशा नहीं करेंगी। संयम से जीवन-यापन करते हुए राष्ट्रसेवा में ही लगी रहेंगी। यही हमारा संकल्प है। इसलिए विषयान्तर के लिए स्थान ही नहीं है। सन्निधान और पट्टमहादेवीजी आशीर्वाद देकर कृपा करें।" बम्मलदेवी ने दिल खोलकर स्पष्ट कह दिया ।
72 पट्टमहादेवी शान्तला भाग तीन