Book Title: Pattmahadevi Shatala Part 3
Author(s): C K Nagraj Rao
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 418
________________ की शक्ति आयी है तबसे एक-न-एक युद्ध ही होता आया है।" "चारों ओर जब शत्रु हों तो युद्ध अनिवार्य हो जाता है। आपके कविपुंगव ने चालुक्यों में सन्धान के बदले विद्वेष की आग भड़कायी होगी। पोय्सल पर हमला करने के प्रयास वहाँ हो रहे हैं, प्रधानमन्त्री ने इस बात की सूचना दी है और कहा है कि कल प्रातःकाल इस सम्बन्ध में उधर से समाचार मिला है।" "हमारे कविपुंगव नहीं; सन्निधान के गुरुवर्य हैं।" "फिर भी वे यहाँ से खिसक जाने के लिए सन्धान करने का बहाना बनाकर चले गये, मुझे तो यही लगता है।" "घे बुद्धिजीवी हैं। आपस में ईया-द्वेष उत्पन्न करने का काम नहीं करेंगे। ऐसे कार्य के लिए अपनी शक्ति का व्यय वे नहीं करेंगे। बल्लाल महाराज के जीवन के बाद हो जाने के रिशः। कार के मन पर उसका भीषण प्रभाव पड़ा था। कन्नड़ सरस्वती के आराधक, कन्नड़-भाषी दो राजघरानों के परस्पर सौहार्दपूर्ण सहजीवन की प्रतिष्ठा करना चाहते थे, वह इसलिए कि इससे कन्नड़-साहित्य संस्कृति एवं कला का अच्छा विकास हो सके। इसके लिए इन दोनों कन्नड़ भाषा-भाषी राजपरिवारों की सौहार्दतापूर्ण सहजीवन की आवश्यकता पर विश्वास रखते थे। मेरी राय है कि वे इन दो कारणों से यहाँ से मुक्त होना चाहते थे। वे यहाँ राजगुरु थे, इसी कारण चालुक्यों ने उनके विचारों को मान्यता नहीं दी होगी। उनकी अनुपस्थिति में उन पर आक्षेप करना ठीक नहीं होगा। इस बात को रहने दें; यदि यह युद्ध अभी छिड़ जाय तो मन्दिर की प्रतिष्ठा के इस उत्सव का क्या हाल होगा?" "यह केवल सुचना-मात्र हैं। मंचिअरस तो आने ही वाले हैं न? तब निश्चित रूप से सूचना मिल जाएगी। यहाँ अगर युद्ध का डर हो तो वे केवल दोनों रानियों को यहाँ भिजवा देंगे। उनके आने पर आगे के बारे में सोच सकेंगे। वह जो भी रहे. इस प्रतिष्ठा समारोह में आने के लिए आमन्त्रण भेज देते तो अच्छा होता। पिरियरसीजी यदि न भी आ सकती हों तो वहीं दूर से ही सच्चा आशीर्वाद तो देंगी ही।" "उन्हें इस आमन्त्रण के मिलने से ही वहाँ आक्रमण करने का विचार उत्पन्न हुआ होगा। हमारी तलकाडु-विजय, और विरुदावली धारण करने का विचार-इन बातों ने उनके मन को छेड़ दिया होगा।" 'हम अपना कर्तव्य करें। युद्ध अपने-आप आवे तो हम पीछे हटनेवाले नहीं। हम पोग्सलों के हाथों में चूड़ियाँ तो नहीं, ऐसी स्थिति आ भी जाय तो चूड़ियोंवाले हाथ तलवार भी चमका सकते हैं, इस पोयसल देश में। एक बिनती है। इस प्रतिष्ठा के उत्सव के सम्पन्न होने तक सन्निधान किसी भी युद्ध के विषय 820 :: पट्टमहादेवी शान्तला : भाग तीन

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