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प्रलोना
अल्पविषया नमक के, बिना लवण के, लवण-रहित। संज्ञा, पु० (सं० ) एक प्रकार का अलंकार लावण्य-हीन, अलोना (दे०)।
जिसमें प्राधेय की अपेक्षा, आधार की अलोना-वि० दे० (सं० अलवण ) नमक- अल्पता या छोटाई दिखलाई जाती है रहित, जिसमें नमक न पड़ा हो, जिसमें (अ० पी० काव्यशा० )। नमक न खाया जाय ( एक प्रकार का व्रत ) (दे० ) अलप---अकाल मृत्यु-भय । फीका, स्वाद-रहित, बेमज़ा, बेज़ायका, | अल्पकालीन-वि० यौ० (सं० ) थोड़े ( विलोम --सलोना ) लावण्य-विहीन, समय की, थोड़े समय तक रहने वाली। जहाँ लोना न लगा हो । स्त्री. अलंलो। शल्पजीवा-वि० ( सं० यौ० ) कम श्रायु अलोप-वि० दे० (सं० लोप ) लोप, वाला, अल्प समय तक जीने वाला, छिपा हुआ, लुप्त, अदृश्य ।
अल्पायु । "भा अलोप पुनि दिस्टि न पावा"-५०। “जीवे अल्पजी वी तो मैं ,-द्विजेश । वि० (अ+लोप ) प्रगट, अलुप्त, न छिपा !
अल्पज्ञ-वि० (सं.) थोड़ा ज्ञान रखने हुआ।
वाला, नासमझ। प्रलोभ-वि० (सं० ) लोभ -रहित,निलोभ, वि० अल्पज्ञानी (सं० यौ० ) वि० अल्पलालच-विहीन, जो लालची न हो। ज्ञाता। संज्ञा, पु० लोभाभाव, वि. अलोभी। अल्पज्ञता-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) नासमझी, अलोम-वि० ( सं० ) लोम-रहित, निलाम, मूर्खता । बाल से विहीन, बिना बालों का। । अल्पता-~-संज्ञा, पु० ( सं० ) कमी, न्यूनता, प्रलाय-वि० (दे० ) बिना आँख के, छोटाई, ऊनता। लोचन-रहित ।
अलपत्ध-संज्ञा, पु० (सं० ) अल्पता, कमी, अलोल--वि० (सं०) अचंचल, स्थिर, दृढ़।। संकीर्णता। प्रलोलिक-संज्ञा, पु० दे० (सं० अलोल ) अल्पप्राण-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) व्यंजनों अचंचलता, स्थिरता, धीरता, स्थैर्य, के प्रत्येक वर्ग का पहला, तीसरा और अचांचल्य ।
पाँचवाँ वर्ण या अक्षर, तथा य, र, ल, व, अलोलित-श्रलोडित--वि० दे० (सं० । जिन वर्णो के उच्चारण में प्राणवायु का मलोल, पालोडन ) जो मथा न गया हो, । उपयोग कम किया जाय। बिना बिलोड़ा हुआ, अचंचलीकृत । अल्पबुद्धि --संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मन्दअलोहित-वि० (सं० ) जो लाल न हो। बुद्धि, निर्बुद्धि, कम-समझ, असमझ, मन्द अलौकिक-वि० (सं० ) जो इस लोक से मति । सम्बन्ध न रक्खे, इस लोक में न प्राप्त होने | वि० मूर्ख, अबोध, ना समझ । वाला, लोकोत्तर, अनोखा, अद्भुत, अपूर्व, अल्पवयस्क-- वि० यौ० पु० (सं०) थोड़ी या आमानवीय, अमानुषी, सर्व श्रेष्ठ, दैवी, छोटी अवस्था वाला, कम उम्र, कमसिन । दिव्य ।
अल्पवयस (दे० )। " मन बिहँसे रघुवंसमनि, प्रीति अलौकिक स्त्री. अल्पवयस्का-थोड़ी वयस वाली। जानि"..- रामा०।
अल्पविषया--वि० यौ० स्त्री० (सं० ) अल्प अल्प- वि० ( सं० ) थोड़ा, कम, छोटा, विषयों को समझने वाली, साधारण बातों कुछ, किंचित, लघु ।
या विषयों का बोध करने वाली वुद्धि । "अल्प काल विद्या सब भाई "-रामा०।। " व चाल्पविषया मतिः"-रघ० ।
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