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आध्यात्मिक आलोक
___अन्न और धन की कोठी भरी जा सकती है परन्तु पेट की तरह तृष्णा कभी भरी नहीं जा सकती । अनुभवियों ने सात बड़ी खाड़ें बताई हैं । जैसे-2. पेट की खाड़, २. श्मशान की खाड़, ३. समुद्र की खाड़, ४. राज खजाने की खाड़, ५. अग्नि की खाड़, ६. आकाश की खाड़ और ७. तृष्णा की खाड़ । ये कभी भरी नहीं जा सकतीं । इनमें सबसे बड़ी तृष्णा की खाड़ होती है । इस सम्बन्ध की एक कहानी पढ़ने योग्य है
किसी नगर में एक सत्कर्म प्रेमी भक्त गृहस्थ रहता था, जो धन की दृष्टि से बहुत पिछड़ा हुआ था । और तो क्या, धनाभाव में कुलीनों की तरह उसका आहार भी पूरा नहीं पड़ता था । इससे उसका मन अशान्त और चंचल बना रहता था । सत्संगति और भक्ति के स्थान में भी उसके मन को शान्ति नहीं मिल पाती, फिर भी श्रद्धा से वह सत्संग में अवश्य जाता था ।
संयोगवश एकदा उस नगर में एक महात्मा पधारे । महात्मा का प्रवचन आकर्षक और प्रेरणादायक था, जिससे प्रवचन सुनने के लिए उनके पास बहुत से लोग आया करते थे । वह भक्त भी सत्संग का लाभ लेने के लिए नित्य महात्मा के पास आने लगा । एक दिन प्रवचन के पश्चात् वह अवसर पाकर ठहर गया और महात्माजी से अपनी सारी राम कहानी कह सुनायी तथा बोला कि महाराज ! मन को साधना में लगाने का बहुत प्रयत्न करता हूँ किन्तु मन में बिलकुल शान्ति नहीं रहती।
___ आँसू भरी आँखों से उसने अपने घर की आर्थिक परिस्थिति का ऐसा करुण चित्र खींचा कि महात्माजी दया से द्रवित हो उठे और उसकी हथेली पर एक का अंक बना दिया । उस दिन उस भक्त को व्यापार में शीघ्र ही एक रुपया मिल गया। इससे उसकी आध्यात्मिक प्रवृत्ति कुछ और अधिक जागृत हुई और वह महात्माजी की भक्ति में खूब जोर लगाने लगा | उसकी बढ़ती भक्ति से प्रसन्न होकर महात्मा ने उसकी हथेली में एक के सामने एक शून्य बढ़ा दिया । उस दिन भक्त को दस रुपये मिले जिससे बड़ी प्रसन्नता हुई । . . कुछ दिन बाद महात्मा ने उसको पूछा-बोलो भक्त क्या बात है ? उसने कहा-महाराज ? कुछ कर्ज टिका हुआ है और करने के आवश्यक काम तो सिर पर यों ही पड़े हुए हैं। महात्मा ने उसकी हथेली में एक शून्य और बढ़ा दिया जिससे भक्त की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी हो गई । अब प्रतिदिन एक सौ की आमदनी होने लगी । महात्मा ने फिर पूछा तो बोला-अभी लड़की को ब्याहना है । महात्मा ने एक बिन्दी और बढ़ा दी जिससे उसे हजार रुपये की नित्य आय होने लगी। अब तो उसे व्यापार से अवकाश ही नहीं मिलता | उसका व्यापार बहुत विस्तृत हो