________________
S3690
minine
प्रवचनसार-सप्तदशाङ्गी टीका मास्ति । यथा हि जलायुकास्तृष्णाबीजेन विजयमानेन दुःखांकुरेण क्रमतः समाक्रम्यगाणा दुष्टसोलालमभिलषन्त्यस्तदेवानुभवन्त्यश्चाप्रलयात क्लिश्यन्ते । एवममी पि पुपयशालिनः पापमालिन इव तणाबीजेन विजयमानेन दुःखांकुरे या क्रमतः समाक्रम्यमारणा विषयानभिलपन्तधालेवानुभवन्तश्चाप्रलयात् विलश्यन्ते । अतः पुण्यानि मुखाभासस्य दुःखः सेव साधनानि
289
लसतत । मूलधातु..--उत् ऋ गतिमापणो स्वादि, भ्रा गतौ ऋ वादि, विपिन बन्धन स्वादि ऋयादि, हर इच्छाग्य, अनु भः सत्तायां । उभयपदविवरण-- उदिताहा उदीणतृष्णा: दुनिया दुविता: दुसम्वमतचा पसंतपता-पु० बहु । पुण पुनः य च-अव्यय । न हाहि तृष्णाभि:-तृतीया बहु० । विसवसो. माणि विषयसौख्यानि-द्वि बहु । इच्छति इन्ति अणुभवति अनुभवन्ति-वर्तमान लट् अन्य गुरुप
आमरण क्रियाविशेषण अव्यय भासा निरक्ति-....म्रियतं मरण । समास-उदीण तुणा गेखां सोतिष्णा, विषयाणां सौस्यानि विदुः ख न संतप्ताः दुःखसंतप्ता: ५॥ तमा व्यक्त होती है । (६) आश्रयभूत कारणों मे उपयोग न जुटानेपर विषयतृणा व्यक्त होती है । (१०) तृष्णारूप बीज क्रमश: अंकुररूप होकर दु:ख रूप वृक्ष बढ़ता है। (११)
सदाहका वेग असह्य होनेपर जीव विषयों में प्रवृत्ति करते हैं । (१२) जिनके विषयों में प्रति है वे सब संसारी जीव स्पष्ट दुःखो हैं । (१३) जैसे मृगमरीचिकासे जल प्राप्त नहीं होता. ऐसे ही इन्द्रियविषयों से सुख प्राप्त नहीं होता है ।
सिद्धान्त - (१) कर्मोदयवश जीव विकारी और प्राकुल होता है । R इष्टि-- १-- उपाधिसापेक्ष अशुद्ध द्रध्याथिकनय (२४) ।
म प्रयोग:--सुखाभासोंसे हटकर पारमार्थिक सुखके स्रोत ज्ञानानन्दस्वभावमय अंतस्तत्त्व aft करना ।।७५॥
अब पुनः भी पुण्यजन्य इन्द्रिधसुखको अनेक प्रकारसे दुःख रूप उद्योतित करते हैं... अपना जो [इंद्रियः लब्धं] इन्द्रियोंसे प्राप्त होता है [तत् सौख्यं] वह सुख [सपरं] परद्रव्याकि पावासहित] बाधासहित [विच्छिन्नं विच्छिन्न [बंधकारणं] बंधका कारण [विषम मीर विषम है, [तथा] इस प्रकार [दुःखं एवं] वह दुःख ही है।
तात्पर्य ---जो सुख पराधीन बाधासहित विनाशोक व बन्धका कारण हो वह तो
RSSIC
टीकार्य--परापेक्षता होनेसे, बाधासहितपना होनेसे, विच्छन्नपना होने से, बन्धका भारणपना होनेसे, और विषमता होनेसे, पुण्य जन्य भी इन्द्रियसुख दुःख ही है । घरसम्बन्ध डाला होता हुमा पराश्रयताके कारण पराधीनता होनेसे बाधासहित होता हुमा खाने, पीने
hwww