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सहजानन्दशास्त्रमालायां
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स निर्यापकः, योऽपि छिन्न संयम प्रतिसंधान विधानप्रतिपादकत्वेन छेदे सत्त्युपस्थापकः सोऽपि निर्यापक एव । ततश्छेदोपस्थापक: परोऽप्यस्ति ॥२१०।। मुरु गुरु: पवज्जदायगो प्रवज्यादायक:- प्रथमा एक० 1 छेदेसु-मप्तमी बहः । छेदयो:-सप्तमी द्विः । उवट्ठवमा उपस्थापका: सेसा शेषा: णिज्जावगा निर्याणका; समणा श्रमणा:-प्रथमा बहु० । होदि गवति--- वर्त० अन्य ० एका किया । निरुक्ति- गृणाति धर्म उपदिशति यः स गुरु: शिष्यते इति शेषः शिष । अच् शिष् असर्वोपयोगे धुरादि । समास--लिङ्गस्य ग्रहणं लिङ्गग्रहणं, अब ज्याया : दायकः प्रव्रज्यादायकाः ।।१०। था। ३- उसी प्रव्रज्यादायक गरुने फिर निर्विकल्प सामायिक संयमके विकल्परूप छेदोपस्था. पनासंयमका उपदेश किया था सो बह निर्यापक गुरु भी है । ४- अब छेदोपस्थापनासंयममें अर्थात् २८ मूल गुणों व किन्हीं उत्तर गुणोंकी कुछ विराधना हो जाय तो उसका प्रायश्चि. तादि विधानसे जो उपस्थापक होता है वह भी निर्यापक ही है । ५- निर्विकल्पसमाधिरूप सामायिक संयमको एकदेश च्युति होना एकदेश छेद कहलाता है। ६-- निर्विकल्पसामायिकसंयमकी सर्दथा च्युति (नाश) हो जाना सकलदेशच्छेद कहलाता है । ७ निर्विकल्पसामायिक संयमके विकल्परूप मूल गुणोंक भी एक देशछेद व सकलदेशच्छेद हो सकता है। - व्रतोंका कोई छेद होनेपर फिरसे शुद्ध करने वाला, उपस्थापन करने वाला श्रमण है, निर्यापक है वह दूसरा श्रमण भी हो सकता है।
सिद्धान्त---(१) जो दीक्षार्थीको दोक्षा दे वह दोक्षागुरु है । (२) जो श्रमण अन्य साधककी साधनाको निर्दोष बनाये वह निर्यापक है ।
दृष्टि-१, २- प्राश्रये प्राश्रयी उपचारक व्यवहार, पर सम्प्रदानत्व असद्भूत व्यव. हार (१५१, १३२)।
प्रयोग - शाश्वत शान्ति के साधनभूत निर्विकल्प सामायिक संयमकी सिद्धि के लिये निग्रंथदीक्षा लेकर छेदोपस्थापनासे विशुद्ध होकर निर्विर रूपसमाधिरूप सामायिक संयमरूप परिणाम करना ।।२१०।।
अब छिन्नसंयमके प्रतिसंधान के विधानका उपदेश करते हैं--- [यदि] यदि [श्रमरणस्य श्रमणके [प्रयताया] प्रयत्न पूर्वक [ समारब्धायां की जाने वाली [कायचेष्टायां काय. चेष्टामें [छेदः जायते] छेद होता है तो [पुनः तस्य] फिर उसका [पालोचनापूर्विका क्रिया) मालोचनापूर्वक क्रिया करना कर्तव्य होता है। [छेदोपयुक्तः श्रमरणः छेदमें उपयुक्त हुना श्रमण [जिनमते] जैनमतमें [व्यवहारिगं] व्यवहारकुशल [श्रमरणं प्रासाद्य] श्रमणके पास जाकर [आलोच्य] पालोचना करके [तेन उपदिष्टं] निर्यापक द्वारा बताये गये कर्तब्यको [कर्तव्यम् ] करे ।
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