Book Title: Pravachansara Saptadashangi Tika
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 461
________________ Basti ४४७ ४४७ Tertifican प्रवचनसार--सप्तदशाङ्गो टोका प्रमागमचक्षुषा सर्वमेय दृश्यत एवेति समयति---- सव्वे आगमसिद्धा अत्था गुणपजएहि चित्तेहिं । . जागांति अागमेण हि पेच्छिता ते वि ते समणा ॥२३५।। नाना गुरण पर्यायों, सहित अर्थ सब सिद्ध आगमसे । उन सबको आगमसे, प्रेक्षण कर ये श्रमण जानें ॥२३५॥ सर्वे बागमसिद्धा अर्था गुणपर्यायश्चित्रः । जानल्यागमेन हि दृष्ट्वा तानपि ते श्रमणाः ।। २३५ ।। आगमेंन तावत्सर्वाण्यपि द्रव्याणि प्रमोयन्ते, विस्पष्टतर्कणस्य सर्वव्याणामविरुद्धलात् । विचित्रगुणपर्यायत्रिशिष्टानि च प्रतीयन्ते, सहक्रमप्रवृत्तानेकधर्मव्यापकानेकान्तमयत्वेन. नामसंज्ञ-सच्च आगमसिद्ध अत्य गुणपज्जय चित्त आगम त वित समण-1 धातुसंज-जाण अवबोधने, दस दर्शने, प इक्ख दर्शने । प्रातिपदिक-सर्व आगमसिद्ध अर्थ गुणपर्यय चित्र आगम हि तत आप तत् श्रमण । मूलधातु- ज्ञा अवबोधने, दृशि प्रेक्षणे । उभयपदविवरण-सब्जे सर्वे आगमसिद्धा आगमसिद्धाः अत्था अर्धाः ते समणा श्रमापा:-प्रथमा बहुवचन । गुणपाजयहिं गुणपर्याय: चित्तेहिं चित्रः तृतीय आगमचक्षसे ही देखना चाहिये । अब प्रागमरूपचक्षुसे सब कुछ दिखाई देता ही है यह समर्थित करते हैं-[ सर्वे अाः] समस्त पदार्थ [चित्रः गुरणपर्यायः] विचित्र (पनेक प्रकारकी) गुणपर्यायों सहित मा. गमसिद्धाः] प्रागमसिद्ध है। [तान् अपि] उनको भी [ते श्रमणा:] वे श्रमरण [प्रागमेन हि दृष्टया] पागम द्वारा ही वास्तव में देखकर [जानन्ति] जानते हैं। तात्पर्य -श्रमण प्रागम द्वारा ही विविध गुणपर्यायमय वस्तुको जानते हैं। टोकार्य---प्रथम तो, ओगम द्वारा सभी द्रव्य दृहतया जाने जाते हैं, क्योंकि सर्वद्रव्य विस्पष्ट तर्कणाके प्रविरुद्ध हैं, और फिर, प्रागमसे वे द्रव्य विचित्र गुणपर्यायविशिष्ट प्रतीत होते हैं, क्योंकि सहप्रवृत्त और क्रमप्रवृत्त अनेक धर्मों में व्यापक अनेकान्तमयपना होनेसे प्रागमके प्रमाणपनाको उपपत्ति है इससे सभी पदार्थ प्रागम सिद्ध ही हैं । और वे श्रमणोंके स्वयमेव जयभूत होते हैं, क्योंकि श्रमणोंका विचित्रगुणपर्यायवाले सर्वद्रव्योंमें व्यापक अनेकान्तात्मक श्रुतज्ञानोपयोगरूपके होकर विशिष्ट परिणमन होता है । अतः प्रागमनक्षुषों के कुछ भी अदृश्य नहीं infushiltejian र प्रसङ्गविवरण-अनन्तर पूर्व गाया में बताया गया था कि मोक्षमार्गमें चलने वालोंका मागम ही एक चक्षु है । अब इस गाथामें बताया गया है कि प्रागमचक्षुसे सब कुछ दिखाई देता ही है। तथ्यप्रकाश --(१) सभी द्रव्य प्रागमसे प्रमाण किये जाते हैं । तर्क युक्तिवलसे निर्णय

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