________________
१४०
HTATARIS
सहजानन्दशास्त्रमालायां अथ कथं मया बिजेतव्या मोहवाहिनीत्युपायमालोचयति
जो जाणदि अरहंतं दव्यत्तगुणत्तपज्जयतेहिं । मो जादि अप्पाणं मोहो खलु जादि तस्स लयं ॥८॥ जो जिनवरको जाने, द्रव्यत्व गुरगत्व पर्ययपनेसे ।
वह जाने प्रात्माको, उसके नहिं मोह रह सकता ॥८॥ यो जानात्यहन्तं द्रव्यत्वगुणत्वपर्ययत्वैः । स जानात्यात्मानं मोहः खलु याति तस्य लयम् ।। ८०।1
यो हि नामान्त द्रव्यत्वगुणत्वपर्ययत्वैः परिच्छिनत्ति स खल्वात्मानं परिच्छिनत्ति, उभयोरपि निश्चये नाविशेषात् । अर्हतोऽपि पाककाष्ठागतकार्तस्वरस्येव परिस्पष्टमात्मरूपं, तत
नामसंज....ज अहंत दध्वत्तगुणत्तपज्जयत्त त अप्प भोह खलु त लय धातुसंज्ञ----जा गती जाण अवबोधने, अरह योग्यतायां । प्रातिपदिक...यत् अहंत ध्यत्वगुणत्यपर्य प्रत्व तत् आत्मन् मोइ खलु तत्
प्रसङ्गविवरण- अनन्तर पूर्व माथामें बताया गया था कि शुभाशुभोपयोगविशेषज्ञ रागद्वघका परिहार करता हुअा शुद्धोपयोगको अङ्गीकार करता है। अब इस गाथामें बताया गया है कि सर्व पागको त्यागकर चारित्र अंगीकार करते हुए भी यदि शुभोपयोगवृत्तिवश होकर मोहादिकको नहीं उखाड़ता है तो शुद्धात्माका लाभ नहीं होता है । इस कारण यह ज्ञानी सर्वोद्यमपूर्वक उठता है अर्थात् मोहादिकको उखाड़ फेंकनेके लिये तैयार होता है ।
तथ्यप्रकाश--(१) मोक्षोद्यमी पुरुष सर्वपापसंबंध को हटानेरूप परमसामायिक नामक चारित्रका प्रतिज्ञापन करता है । ( ) यदि कोई परमसामायिक चारित्रको प्रतिज्ञा करके भी शुभोपयोगवृत्तिके वश होकर मोहसेनाको व्यस्त नहीं करता है वह दुःखी जीव प्रात्माको प्राप्त कर सकता है । (३) मुमुक्षुको मोहसेनापर विजयके लिये कमर कसना चाहिये ।
सिद्धान्त... (१) आत्माके पुरुषार्थ से निमोह प्रात्मपदकी सिद्धि होती है। दृष्टि–१- पुरधकारनय (१८३)।
प्रयोग -- पापारंभको छोड़कर चारित्रमें बढ़कर निर्मोह भावसे रहकर प्रात्मस्वभावमें उपयुक्त होना ॥७६।।
अब मेरे द्वारा मोहकी सेना कैसे जीती जानी चाहिये ऐसा उपाय वह निरखता है.--- [यः] जो | अन्ति] अरहंतको द्रिय रवगुरगत्वपर्ययत्व:] द्रव्यपने, मुरापने और पर्यायपनेसे [जानाति] जानता है, [सः] वह [प्रात्मान] अपने प्रात्माको [जानाति] जानता है, और [तस्य मोहः] उसका मोह [खलु] निश्चयतः लयं याति] विनाशको प्राप्त होता है।
तात्पर्य--जो अपने में समानता असमानता व उपायको दृष्टिपूर्वक द्रव्यत्व गुणत्व व
e nionshTV HTASTRASTROTESTANTTAMATKARENDMERIES
OmsammaNETISTICTIHARTIYASETIMATImmuneTASTOTASHRAISEXJRAMSHR
PurnrvarnamammAware...mawrappin
EWARI
SHIRAMMemonetimonkeammar