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प्रवचनसार---सुप्तदशाङ्गी टीका
जो हिदमोह दिट्ठी श्रागमकुसलो विरागचरियम्हि | दो महप्पा धम्मो ति विसेसिदो समणो ॥६२॥
जो निहतमोहदृष्टी, श्रागमज्ञानी विरागचर्या में ।
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उन्नत महान आत्मा वही श्रमरण धर्ममय माना ॥ ६२ ॥ तिमोहष्टिरागमकुशलो विरागचरिते । अभ्युत्थितो महात्मा धर्म इति विशेषतः श्रमणः ।। ६२ ।। यदयं स्वयमात्मा घर्मो भवति स खलु मनोरथ एव तस्य त्वेका बहिर्मोहदृष्टिरेव रिही । सा चागमकौशलेनात्मज्ञानेन च निहता, नात्र मम पुनर्भावमापत्स्यते । ततो वीतराचारित्रसूत्रितावतारो ममायमात्मा स्वयं धर्मो भूत्वा निरस्त समस्तप्रत्यूहतया नित्यमेव निष्कस्प एवावतिष्ठते । श्रलमतिविस्तरेण । स्वस्ति स्याद्वादमुद्रिताय जैनेन्द्राय शब्दब्रहारणे । स्वस्ति
नामसंज्ञ-ज हिदमोहृदिट्टि आगमकुशल विरागचरिय अहिंद महम्प धम्म त्ति विरोशिद समण | - णि हण हिंसायां अभि उत् ट्ठा गतिनिवृत्तौ । प्रातिपदिकयत् निहतमोहदृष्टि आगमकुशल विरागचरित अभ्युत्थित महारमा धर्म इति विशेषित श्रमण। मूलधातुनि हन हिंसायां अभि उत् ष्टा नाश हो जाने से सदा निष्कंप ही रहता है। अधिक विस्तारसे क्या ? जयवंत वर्तो स्याद्वादमुद्रित जैनेन्द्र शब्दब्रह्म ! जयवंत वर्ती शब्दब्रह्ममूलक श्रात्मतत्त्वोपलब्धिः - कि जिसके प्रसाद से प्रनादि संसारसे बँधी हुई मोहग्रंथि तत्काल ही निकल गई है श्रौर जयवंत वर्तों परमवोत• चारस्वरूप शुद्धोपयोग जिसके प्रसादसे यह ग्रात्मा स्वयमेव धर्म हुआ है ।
आत्मा इत्यादि अर्थ - इस प्रकार शुद्धोपयोगको प्राप्त करके प्रात्मा स्वयं धर्म होता अर्थात् स्वयं धर्मरूप परिणत होता हुआ नित्य श्रानन्दके प्रसारसे सरस ज्ञानतत्वमें लीन होकर अत्यन्त अविचलपनेसे देदीप्यमान ज्योतिर्मय और सहजरूपसे विलसित रत्नदीपकको निष्कंप-प्रकाशमय शोभाको पाता है ।
निश्चित्य इत्यादि, अर्थ - इस प्रकार आत्मारूपी श्राश्रय में रहने वाले ज्ञानतत्वको यथार्थतया निश्चित करके, उसकी सिद्धिके लिये प्रशमके ध्येयसे ज्ञेयतत्त्वको जाननेका इच्छुक (जीव) सर्व पदार्थोंको द्रव्य - गुरण पर्याय सहित जानता है, जिससे कभी मोहांकुरको किचिन्मात्र भी उत्पत्ति नहीं होती |
प्रसंगविवरण --- अनंतर पूर्व गाया में बताया गया था कि जिनोदित अर्थश्रद्धान के बिना नहीं होती । अब इस गाथामें बताया गया है कि शुद्धोपयोगके प्रसादसे साध्यमान यह मैं सात्मा स्वयं साक्षात् धर्म हो हूं ।
तथ्यप्रकाश - ( १ ) यह मैं सहजात्मतत्त्व स्वयं धर्म हूं । (२) धर्मको विघातिका एक